दुनिया का सबसे पुराना खाद्यान्न रामदाना
रामदाना का नाम तो आपने सुना ही होगा। गढ़वाल में इसे मारसा, कुमाऊं में चुआ और ङ्क्षहदी में चौलाई नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि वनवास के दौरान श्रीराम रामदाना को फलाहार के रूप में लेते थे, इसलिए इसका 'रामदाना नाम पड़ा। आज भी नवरात्र के दौरान व्रती रामदाना को फलाहार के रूप में ग्रहण करते हैं। रामदाना को दुनिया का सबसे पुराना खाद्यान्न माना जाता है। इससे हरा साग, रोटी, लड्डू, हलुवा जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं। सर्दियों में बारिश और बर्फबारी के दौरान पहाड़ में लोग चूल्हे के इर्द-गिर्द बैठकर आग भी सेंकते हैं और कढ़ाई में भुना रामदाना खाते हुए मजे से गप-शप भी करते हैं।
गेहूं, धान व मक्का से भी श्रेष्ठ रामदाना
पौष्टिकता की लिहाज से रामदाने के दानों में गेहूं के आटे से दस गुना अधिक कैल्शियम, तीन गुना अधिक वसा और दोगुने से अधिक लोहा पाया जाता है। धान और मक्का से भी रामदाना श्रेष्ठ है। शाकाहारी लोगों को रामदाना खाने से मछली के बराबर प्रोटीन मिलता है। रामदाने का हरा साग भी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभकारी है।
रामदाना की रोटी
रामदाना के आटे की रोटी भी बनती है, जो मुंह में मिठास घोल देती है। लेकिन, आटा बेहद चिपचिपा होने के कारण रोटी मुश्किल से बनती है। इसलिए लोग रामदाना को मंडुवा व गेहंू के साथ मिलाकर पिसाते हैं। इस मिश्रित आटे की रोटी भी बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। आप इसे बिना साग के भी खा सकते हैं। वैसे हरे साग, कढ़ी व दही के साथ भी यह मजेदार लगती है।
गुड़ व भुने तिल के साथ खाने का मजा ही अलग
रामदाने के खील को गुड़ या भुने तिल के साथ खाने का मजा ही कुछ और है। इन खील को बिना पकाए गर्म दूध (धारोष्ण) के साथ मिलाकर पॉरिज की तरह खाया जा सकता है। यह बेहद सुपाच्य एवं पौष्टिक नाश्ता है।
रामदाने की म्यूजली
भुने रामदाने के खील को शहद, बादाम, सिरोला, अखरोट व किशमिश के साथ अच्छी तरह मिला लें। यही म्यूजली है। आप नाश्ते में इसका आनंद ले सकते हैं। म्यूजली पौष्टिक होने के साथ ही कैंसर रोधी भी मानी जाती है।
रामदाना के लड्डू
रामदाना के लड्डू सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माने गए हैं। इसके लिए पतीले में सौ मिली पानी उबालकर उसमें गुड़ के छोटे-छोटे टुकड़े तब तक पकाएं, जब तक कि चासनी तैयार न हो जाए। चासनी कच्ची होगी तो लड्डू नहीं बन पाएंगे। तैयार चासनी में तत्काल माप के हिसाब से भुना हुआ रामदाना मिला लें। इसमें भुने हुए तिल भी मिला लें तो स्वाद और बेहतर हो जाएगा। लड्डू बटने में विलंब न करें, क्योंकि चासनी ठंडी होने पर लड्डू नहीं बन पाएंगे। ये लड्डू स्वाद के साथ पौष्टिकता से भी भरपूर होते हैं। चिकनाई या वसा से परहेज करने वाले भी इन्हें बेझिझक खा सकते हैं।
साबुत रामदाने का हलुवा
साबुत रामदाने को अच्छी तरह साफ कर उबाल लें और फिर पानी को उससे अलग कर दें। रामदाना के वजन का दो तिहाई गुड़ या चीनी को पानी के साथ अलग से उबाल लें। इसके बाद देसी घी में उबले हुए रामदाना को तब तक भूनें, जब तक कि वह भूरा न हो जाए। अब उबले पानी को उसमें डालकर थोड़ी देर तक पकाएं। कद्दूकस किया हुआ गोला व किशमिश भी इसमें मिला लें। जब हलुवा कढ़ाई छोडऩे लगे तो समझिए पककर तैयार है। इसे आप नाश्ते में भी खा सकते हैं।
भुने रामदाने का हलुवा
भुने रामदाने का हलुवा बनाने की विधि भी साबुत रामदाने का हलुवा बनाने जैसी ही है। हां, इसमें देसी घी थोड़ा ज्यादा लगता है। लेकिन, इसे ज्यादा देर भूनने की जरूरत नहीं है। अब तो लोग भुने रामदाने के आटे से भी हलुवा, बर्फी, पूरी, बिस्कुट, केक, शक्करपारा, पॉरिज आदि आइटम तैयार करने लगे हैं। जिनकी बाजार में खासी डिमांड है।
मजेदार लसपसी खीर
रामदाने की खीर भी बेहद स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होती है। इसके लिए पहले रामदाने को बारीक छलनी में डालकर पानी से अच्छी तरह से धो लें। अब बर्तन में दूध और आधा कप पानी डालकर चूल्हे पर चढ़ा लें। दूध में उबाल आने लगे तो आंच धीमी करबर्तन में रामदाना मिला लें। कुछ देर बाद इसमें काजू व चीनी मिलाकर पांच मिनट धीमी आंच पर पकाएं। फिर इलायची पाउडर मिलाकर तेज आंच पर दो मिनट पकाएं। लीजिए! खीर तैयार है।
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