देवभूमि तीर्थाटन रघुनाथ मंदिर

देवभूमि तीर्थाटन रघुनाथ मंदिर

देवप्रयाग जहां भागीरथी और अलकनंदा नदी मिलकर गंगा नाम धारण करती हैं. इस संगम तट पर आदि गुरु शंकराचार्य ने अपने उत्तराखंड भ्रमण के दौरान लंबा प्रवास किया और इस स्थान पर पूर्व से भगवान श्री रघुनाथ जोकि रावण वध के बाद रावण के एक ब्राह्मण होने के कारण ब्राह्मण हत्या के अभिशाप से ग्रस्त थे. उसकी मुक्ति के लिए इस स्थान पर भगवान श्री रामचंद्र जी ने कठोर तप किया, यहां भगवान की मूर्ति अकेले ही है यहां न सीता माता है न हनुमान है. 
मेरी देवप्रयाग यात्रा

द्रविड शैली में बना रघुनाथ मंदिर, देवप्रयाग में 11 वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही यहां विशिष्टा द्वैतवाद के जनक रामानुजाचार्य जी जिनकी भक्ति परंपरा में रामानंद और कबीर दास जैसे संत हुए,ने भी कुछ समय यहां रुक कर तपस्या की और भगवान श्री रघुनाथ जी, देवप्रयाग, संगम तथा देवभूमि उत्तराखंड के आध्यात्मिक महत्व का वर्णन करते हुए 11 पदों की रचना की. सभी पद तमिल भाषा में रघुनाथ मंदिर की दीवारों पर शिला-पट के रूप में आज भी चस्पा हैं.इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है।

 रघुनाथ मंदिर श्री राम जी को समर्पित है

मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के टिहरी जिले देवप्रयाग में स्थित है
मंदिर अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संदर्भ में स्थित है
नदियों के संगम के बाद गंगा नदी बनती है यह ऋषिकेश बदरीनाथ राजमार्ग ऋषिकेश से 74,,2 किलोमीटर की 
दूरी पर स्थित है
नाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित 108 देवी देवताओं मे से एक है,,,, रघुनाथ मंदिर भगवान राम ( जोकि विष्णु के अवतार थे) और माता सीता जी ( माता लक्ष्मी का अवतार थी ) माना जाता है कि 8 वी शताब्दी के दौरान मंदिर गढ़वाल साम्राज्य के बाद विस्तार के साथ आदि शंकराचार्य आचार्य द्वारा स्थापित किया गया था
मंदिर मूल रूप से 10 वी शताब्दी से अस्तित्व में है

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