मलयनाथ स्वामी मन्दिर डीडीहाट

मलयनाथ स्वामी मन्दिर डीडीहाट

पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित है डीडीहाट।अब तक मान्य तथ्यों के अनुसार डीडीहाट नगर के पश्चिम में स्थित डिगताड़ के पास एक पर्वत चोटी पर सिरकोट किला था,
malayanaath svaamee mandir deedeehaat

जो सीरा के मल्ल राजाओं की राजधानी हुआ करता था। यह क्षेत्र सीराकोट के मल्ल राजाओं के अधीन रहा। राजा हरी मल्ल के समय तक डीडीहाट डोटी साम्राज्य के अधीन रहा था। जब रुद्र चंद के बेटे भारती चंद ने डोटी युद्ध जीता तो डीडीहाट को चंद साम्राज्य का हिस्सा बना लिया। डीडीहाट में डीडी शब्द कुमाऊनी के डांड और हाट शब्द से मिलकर बना है। डांड का अर्थ एक छोटी चोटी और हाट का अर्थ बाजार से है। कहा जाता है कि सीराकोट के राजा ठंडियों में यहां धूप सेंकने आते थे और यही एक समतल मैदान पर बाजार भी लगाते थे।
डीडीहाट से 3 किमी की दूरी पर मलयनाथ स्वामी का भव्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर को सीराकोट का मंदिर भी कहते हैं जिसे स्थानीय भाषा में सिरकोट मंदिर कहते हैं। मलयनाथ स्वामी को भगवान शिव का ही अवतार माना गया है। मंदिर में लगी सूचना के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चौदहवीं सदी में किया गया। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 1640 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आज जिसे सीराकोट कहा जाता है उसे राजा कल्याणमल के 1443 के ताम्रपत्र में कालकोट कहा गया है।

मलयनाथ स्वामी नाथपंथ के गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे। मलयनाथ के मंदिर प्रांगण में एक गोल और बड़ा पत्थर है मान्यता है कि जो व्यक्ति इसे उठा लेता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर में चंद राजा के समय से एक पानी का नौला भी है जिसका पानी सदा भोग के लिये प्रयोग में लाया जाता है। मन्दिर से डिडीहाट शहर का और चारों ओर सुंदर पहाडों का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। 

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