नालापानी का युद्ध: गोरखों की वीरता और अंग्रेजों की रणनीति
युद्ध की पृष्ठभूमि
1814 में नालापानी का युद्ध गोरखा साम्राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ा गया। यह संघर्ष गोरखा साम्राज्य के विस्तार को रोकने और हिमालयी क्षेत्र पर नियंत्रण पाने के लिए हुआ। नालापानी, जिसे आज 'खलंगा' कहा जाता है, शिवालिक की तिमली और मोहन घाटी के बीच स्थित था। इस क्षेत्र को रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया।
गोरखों की तैयारी
गोरखा सेनापति बलभद्र सिंह थापा ने 500 सैनिकों के साथ नालापानी में एक किले का निर्माण किया। यह किला पत्थरों और लकड़ियों से बना था, जिसे उन्होंने शाल के वृक्षों से घिरे एक टीले पर तैयार किया। अंग्रेजों द्वारा आत्मसमर्पण के प्रस्ताव को उन्होंने ठुकरा दिया और गोरखा सैनिकों ने दुर्ग की रक्षा के लिए अपनी वीरता का परिचय दिया।
युद्ध का क्रम
- 26 से 31 अक्तूबर 1814जनरल गिलेस्पी के नेतृत्व में अंग्रेजों ने दुर्ग पर कई बार हमला किया, लेकिन गोरखा सैनिकों की कुशल रणनीति और आत्मबल के कारण हर बार असफल रहे। 31 अक्तूबर को निर्णायक हमले के दौरान गिलेस्पी मारा गया।
- 31 अक्तूबर से 27 नवम्बर 1814अंग्रेजों ने दुर्ग पर घेराबंदी जारी रखी, लेकिन गोरखा सैनिकों ने मजबूती से मोर्चा संभाले रखा। अंग्रेजों को अंततः दुर्ग तब जीतने में सफलता मिली जब उन्होंने गोरखों की पानी की आपूर्ति रोक दी।
- गोरखा वीरता और बलिदानबलभद्र सिंह थापा अपने शेष 70 सैनिकों के साथ अंग्रेजी सेना को चीरते हुए बाहर निकल गए। कर्नल लुडलो ने उनका पीछा किया, लेकिन वे सुरक्षित जॉटगढ़ पहुँचे और बाद में गोरखा सेना में सम्मिलित हो गए।
नालापानी के बाद
अंग्रेजों ने खलंगा दुर्ग को नष्ट कर दिया लेकिन गोरखों की वीरता का सम्मान करते हुए दो स्मारक स्थापित किए। एक स्मारक जनरल गिलेस्पी और उनके सैनिकों की स्मृति में, और दूसरा बलभद्र सिंह और गोरखा सैनिकों की वीरता के लिए।
अंग्रेजों की अन्य रणनीतियाँ
- मार्ले का अभियान: काठमांडु पर कब्जे की योजना में असफलता।
- ऑक्टरलोनी की चालाकी: छलनीति और कपटपूर्ण योजनाओं से गोरखों को हराया।
कुमाऊँ पर नियंत्रण
कुमाऊँ पर अधिकार पाने के लिए अंग्रेजों ने कर्नल गार्डनर और कैप्टन हेरसी के नेतृत्व में आक्रमण किया। स्थानीय समर्थन जुटाने के लिए घोषणाएँ निकालीं और हर्षदेव जोशी जैसे स्थानीय नेताओं को अपने पक्ष में किया।
गोरखा सैनिकों का योगदान
नालापानी का युद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में गोरखा सैनिकों की वीरता का प्रतीक है। आज भी, उनकी स्मृति में 'मलाऊं राइफल्स' जैसी सैन्य इकाइयाँ भारतीय सेना का हिस्सा हैं।
निष्कर्ष
नालापानी का युद्ध न केवल गोरखा सैनिकों की बहादुरी का उदाहरण है, बल्कि यह दिखाता है कि साधन-संपन्न ब्रिटिश सेना भी आत्मबल और साहस के सामने घुटने टेक सकती है। गोरखों की वीरता इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
नालापानी युद्ध की कहानी साहस, बलिदान, और अदम्य इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
नालापानी का युद्ध FQCs (Frequently Asked Questions)
1. नालापानी का युद्ध कब और किसके बीच लड़ा गया था?
- नालापानी का युद्ध 24 अक्टूबर 1814 को ब्रिटिश सेना और गोरखा सैनिकों के बीच लड़ा गया था।
2. नालापानी कहाँ स्थित है, और इसका ऐतिहासिक महत्व क्या है?
- नालापानी दून घाटी में स्थित है, जिसे स्थानीय लोग नालागढ़ी या खलंगा के नाम से जानते हैं। यह गोरखा वीरता और ब्रिटिश विजय की गाथाओं का गवाह है।
3. गोरखा सेना का नेतृत्व किसने किया था, और उनकी तैयारी कैसी थी?
- गोरखा सेना का नेतृत्व कैप्टन बलभद्र सिंह थापा ने किया। उन्होंने पत्थर और लकड़ी से निर्मित किला तैयार किया और 500 सैनिकों के साथ अंग्रेजों का डटकर सामना किया।
4. नालापानी युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना का नेतृत्व किसने किया?
- ब्रिटिश सेना का नेतृत्व ले-कर्नल कारपेंटर, कर्नल मौबी, और जनरल रोलो गिलेस्पी ने किया।
5. गोरखा सैनिकों ने किस प्रकार से अंग्रेजों का सामना किया?
- गोरखा सैनिकों ने दुर्ग पर लगातार हमलों का साहसिक तरीके से प्रतिरोध किया। उनकी महिलाओं ने भी दुर्ग की रक्षा में योगदान दिया।
6. जनरल गिलेस्पी की मृत्यु कैसे हुई?
- जनरल गिलेस्पी 31 अक्टूबर 1814 को नालापानी दुर्ग पर हमले के दौरान मारे गए।
7. नालापानी का किला अंग्रेजों के हाथ कब आया, और कैसे?
- 30 नवंबर 1814 को अंग्रेजों ने नालापानी किले पर कब्जा किया। उन्होंने गोरखों की पानी की सप्लाई रोक दी, जिससे गोरखा सैनिक कमजोर पड़ गए।
8. बलभद्र सिंह थापा और उनकी सेना का क्या हुआ?
- बलभद्र सिंह थापा ने अपने 70 सैनिकों के साथ दुश्मन की सेना को चीरते हुए सुरक्षित निकलने में सफलता पाई।
9. अंग्रेजों ने नालापानी युद्ध के बाद क्या किया?
- अंग्रेजों ने नालापानी दुर्ग को नष्ट कर दिया। गोरखा वीरता का सम्मान करते हुए खलंगा क्षेत्र में दो स्मारक स्थापित किए।
10. गोरखा वीरता की प्रशंसा किसने की?
- फ्रेजर जैसे ब्रिटिश लेखकों ने गोरखा सैनिकों के शौर्य और उच्च चरित्र की सराहना की।
11. गोरखा रेजीमेंट का गठन कब हुआ, और इसका क्या महत्व है?
- मलाऊं किले की विजय के बाद जनरल ऑक्टरलोनी ने पहली गोरखा रेजीमेंट की स्थापना की, जो आज मलाऊं राइफल्स के नाम से प्रसिद्ध है।
12. अंग्रेजों ने कुमाऊँ पर अधिकार के लिए कौन-कौन से कदम उठाए?
- अंग्रेजों ने सुब्बा बमशाह को अपनी ओर मिलाने, स्थानीय लोगों की मदद लेने, और गोरखा सैनिकों को कमजोर करने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाईं।
13. नालापानी युद्ध का भारत के इतिहास में क्या महत्व है?
- नालापानी युद्ध गोरखा सैनिकों की वीरता और ब्रिटिश सैन्य रणनीति का उदाहरण है। यह उत्तर भारत में गोरखा शासन के अंत की शुरुआत का प्रतीक है।
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