प्रसिद्ध ऐतिहासिक कोट भ्रामरी देवी मंदिर शक्ति के रूप में बागेश्वर के रूप में पूजा जाता है।

सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक कोट भ्रामरी देवीमंदिर शक्तिरूप में होती है माँ की पूजा बागेश्वर

प्रसिद्ध ऐतिहासिक कोट भ्रामरी देवी मंदिर शक्ति के रूप में बागेश्वर के रूप में पूजा जाता है। The famous historical Kotbhramari Devi temple is worshiped in the form of Shakti as Bageshwar.

    कोट भ्रामरी मंदिर को भ्रामरी देवी मंदिर और कोट माई नाम से भी जाना जाता है। कत्यूर घाटी के मध्य में स्थित कोट भ्रामरी मंदिर जन-जन की अगाध श्रद्धा और अटूट आस्था का प्रतीक है। 
  मां नंदा-सुनंदा और भ्रामरी के इस मंदिर में वर्ष में दो बार विशाल मेला लगता है। चैत्र मास की शुक्ल अष्टमी को भ्रामरी देवी की पूजा अर्चना के साथ मेला लगता है। 


   कत्यूरी राजाओं ने कत्यूर घाटी के महत्वपूर्ण स्थानों को किले के रुप में स्थापित किया था। वर्तमान कोट मंदिर को भी किले का रुप दिया गया था।
     
       कोट भ्रामरी मंदिर की स्थापना के सम्बंध में कहा जाता है कि कत्यूर क्षेत्र में अरुण नामक दैत्य का बेहद आतंक था।  कत्यूरी राजाओं का दैत्य से भयंकर युद्ध हुआ  किन्तु उन्हें  पराजय का मुंह देखना पड़ा।  

तब राजाओं ने भगवती मां से   प्रार्थना की और विधि-विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मैया ने भंवरे के रुप में  अरुण नामक दैत्य का वध कर दिया।  जनता को दैत्य के आतंक से मुक्ति मिली। मैया की इसी अनुकंपा के कारण ही मैया की भंवर के रुप में पूजा होती है।

शक्ति रूप में होती है मां की पूजा 

कोट मंदिर में कत्यूरी राजाओं की अधिष्ठात्री  देवी भ्रामरी तथा चंदवंशावलियों द्वारा प्रतिष्ठापित नंदा देवी स्थापित की गई है। 

       भ्रामरी के रुप में देवी की पूजा-अर्चना शक्ति रूप में की जाती है। जबकि नंदा के रूप में स्थल पर मूíत पूजन, डोला स्थापना और विसर्जन का प्रचलन है।

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