उत्तराखंड के पंचकेदार Panchkedar of Uttarakhand
1 केदारनाथ शिवजी के 12 ज्योतिलिगों में से 11वां श्रेष्ठ ज्योर्तिलिंग माना जाता है। इस मंदिर के कपाअ श्रावण पूर्णिमा के दिन खुलते हैं। समुद्र तल से 3500 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। यह रूद्रप्रयाग जिले में पड़ता है। संस्कश्त में केदार शब्द का प्रयोग दलदली भूमि या धान की रोपाई वाले खेत के लिए होता है। केदारनाथ में शिव के पश्श्ट भाग की पूजा की जाती है। गरुड पुराण के अनुसार केदारनाथ ऐसा तीर्थ है जो समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है।कि केदारनाथ मंदिर की स्थापना पांडवों या उनके वंशज जन्मेजय ने की थी यहां भगवान शंकर शिवलिंग के बजाय तिकोनी शिला के रूप में हैं। केदारनाथ मंदिर के पश्श्ठ भाग में शंकराचार्य की समाधि है। मंदिर के गर्भ गह में त्रिकोण आकति की बहुत बड़ी ग्रेनाइट की शिला है। जिसकी भक्तगणों द्वारा पूजा की जाती है।
1 केदारनाथ शिवजी के 12 ज्योतिलिगों में से 11वां श्रेष्ठ ज्योर्तिलिंग माना जाता है। इस मंदिर के कपाअ श्रावण पूर्णिमा के दिन खुलते हैं। समुद्र तल से 3500 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। यह रूद्रप्रयाग जिले में पड़ता है। संस्कश्त में केदार शब्द का प्रयोग दलदली भूमि या धान की रोपाई वाले खेत के लिए होता है। केदारनाथ में शिव के पश्श्ट भाग की पूजा की जाती है। गरुड पुराण के अनुसार केदारनाथ ऐसा तीर्थ है जो समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है।कि केदारनाथ मंदिर की स्थापना पांडवों या उनके वंशज जन्मेजय ने की थी यहां भगवान शंकर शिवलिंग के बजाय तिकोनी शिला के रूप में हैं। केदारनाथ मंदिर के पश्श्ठ भाग में शंकराचार्य की समाधि है। मंदिर के गर्भ गह में त्रिकोण आकति की बहुत बड़ी ग्रेनाइट की शिला है। जिसकी भक्तगणों द्वारा पूजा की जाती है।
2 मदमहेश्वर मदमहेश्वर, पंचकेदार के अन्तर्गत द्वितीय केदार माना जाता है। यहाँ पर भगवान शिव के नाभि की पूजा की जाती है और यह समुद्र तल से 3497 मी. की ऊंचाई पर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद होने पर मदमहेश्वर की पूजा ऊखीमठ में की जाती है। यहां से 2 किमी. की दूरी पर धौला क्षेत्रपाल नामक गुफा भी है।
3 तुंगनाथ यह तश्तीय केदार है। यहां पर शिव की भुजाओं की विशेष पूजा की जाती है क्यों कि इस स्थान पर शिवजी भुजा या बॉह के रूप में विद्यमान है। यह मंदिर चन्द्र शिला पर्वत के मध्य में स्थित है। मंदिर के समीप एक रावण शिला हैं कहा जाता है कि यहीं पर रावण ने भगवान शंकर की अराधना की थी।शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद हो जाने पर तुंगनाथ की पूजा मंक्कूमठ में होती है। यह राज्य का सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है।
4 रुद्रनाथ यह चतुर्थ केदार है और समुद्र तल से 3559 की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर गोपेश्वर, चमोली से 18 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में शिव के की पूजा होती मुख है। केदारनाथ से द्रोणगिरी, चौखम्भा, नन्दा देवी आदि पर्वत शिखर दिखाई देते हैं।शीतकाल में मंदिर बंद हो जाने पर रूद्रनाथ की पूजा गोपेश्वर मंदिर में होती है।
5 कल्पेश्वर यह पांचवां केदार है। यहां शिव की जटाओं की पूजा होती है। समुद्र तल से 2134 मी. की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर चमोली जिले में पड़ता है। इस मंदिर में वर्ष भर पूजा की जाती है।
कूट भाषा -तुम रूक के।
तु -तुंगनाथ म- मदमहेश्वर
रु-रुद्रनाथ क-कल्पेश्वर के-केदारनाथ
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