ठाकुर पूर्ण सिंह नेगी ने डाली थी दून में डीएवी की नींव (देश-दुनिया को दी कई हस्तियां)

 ठाकुर पूर्ण सिंह नेगी ने डाली थी दून में डीएवी की नींव (देश-दुनिया को दी कई हस्तियां)

आध्यात्मिक पुरोधा महर्षि दयानंद सरस्वती चाहते थे देश में ऐसी शिक्षा पद्धति विकसित हो, जो भारतीय व पश्चिमी समाज को आपस में जोडऩे का कार्य करे। इसके लिए उन्होंने वर्ष 1885 से 1887 के बीच पंजाब में दयानंद आंग्ल वैदिक संस्था की स्थापना की। उस दौर में देश के अन्य क्षेत्रों के लोग भी उन्हीं की तरह शिक्षा के क्षेत्र में तरह-तरह के प्रयोग कर रहे थे।

 देहरादून में दो प्रमुख समाजसेवी ठाकुर पूर्ण सिंह नेगी व बाबू ज्योति स्वरूप इन्हीं में शामिल थे। 

ठाकुर पूर्ण सिंह नेगी ने आज के डीएवी पीजी कॉलेज की शुरुआत वर्ष 1902 में एक संस्कृत विद्यालय के रूप में की। साथ ही मौजूदा जमीन व पीली इमारत वाला भवन आर्य समाज देहरादून को धर्म कार्य के लिए दान में दे दिया। मेरठ निवासी बाबू ज्योति स्वरूप तब देहरादून में वकालत करते थे। पूर्ण सिंह नेगी उन्हीं के मुवक्किल थे और मेरठ में एक स्कूल चलाते थे। बाद में वे भी देहरादून में रहने लगे। वर्ष 1904 में उन्होंने अपने मेरठ वाले स्कूल को भी इसी संस्कृत विद्यालय में मिला दिया। तब इसका नाम डीएवी मिडिल स्कूल हो गया। 

वर्ष 1906 में ठाकुर पूर्ण सिंह नेगी ने डीएवी कॉलेज ट्रस्ट देहरादून को दोबारा जमीन दान दी। यही नहीं, वर्ष 1911 में उन्होंने एक लाख रुपये नकद और अपनी पूरी जायदाद दान करके इसे डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसाइटी कानपुर (उत्तर प्रदेश) के नाम कर दिया। तब से यह कॉलेज लगातार प्रगति करता रहा और दून का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र बन गया। डीएवी वर्ष 1910 तक मिडिल स्कूल रहा और वर्ष 1911 में हाईस्कूल, वर्ष 1922 में इंटरमीडिएट कॉलेज, वर्ष 1946 में डिग्री कॉलेज और वर्ष 1948 में पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज बना। आज डीएवी प्रदेश का सबसे बड़ा महाविद्यालय होने के साथ ही छात्र राजनीति का प्रमुख केंद्र भी है।

आगरा, मेरठ से गढ़वाल विवि तक का सफर

शुरुआत में डीएवी कॉलेज आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा। वर्ष  1965 में यह मेरठ और वर्ष 1974 में गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गया। वर्तमान में यहां देश के दूरस्थ प्रदेशों से छात्र अध्ययन के लिए आते हैं।

देश-दुनिया को दी कई हस्तियां 

डीएवी ने देश-दुनिया को कई नामचीन हस्तियां दीं। इनमें प्रमुख रूप से शिक्षाविद् एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्तदर्शन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा, स्वतंत्रता सेनानी केसरी चंद, पद्म विभूषण कुंवर सिंह नेगी, पूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल बीसी जोशी, वर्ष 1986 में पोलैंड में आयोजित मैराथन दौड़ के स्वर्ण पदक विजेता यशवंत सिंह रावत, उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी, प्रथम एवरेस्ट विजेता भारतीय महिला बछेंद्रीपाल, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति शिव सागर राम गुलाम, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद, पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त आदि शामिल हैं।



टिप्पणियाँ