प्रस्तुतकर्ता
Trilok Singh Negi
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आओ चले पहाड़ एक बेहतरीन कविता
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आओ चलो पहाड 
.................................... .......
आओ चलो पहाड बसायें .
दिल्ली देहरादून में घर बनाये. 
पेन्सिल से बैल बनाकर. 
कागजो पर हल चलायें
आओ चलो पहाड बसायें...................
बंजर खेत आबाद हो 
कुछ ऐसी मुहिम चलायें
मंचो से चिल्ला चिल्ला कर. 
जागरुकता का प्रमाण दिखायें
आओ चलो पहाड बसायें ........................
 बदहाल पहाड हो चाहे वीरान 
उसे यथावत रहने दें 
बडे शहरो मे ढोल दमौ 
अर पहाड़ी गीतो की धुन बजायें
आओ चलो................................. 
न खुद बदले न बदलने दे किसे. 
बस कागजो मे बदलाव लाये. 
न तुम लौटो न मै लौटा. 
शहरों से ही पहाड बसाये. 
आओ चलो............................

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