किल्मोड़ा- - - उत्तराखंड में एक जंगली और कंटीली झाड़ी छोटे-छोटे

किल्मोड़ा- - - उत्तराखंड में एक जंगली और कंटीली झाड़ी  छोटे-छोटे 

बैंगनी फल लगते हैं, जिन्हें बच्चे बड़े चाव से खाते हैं। 
सैकड़ो बीमारियो के लिये रामबाण इलाज है उत्तराखंड का ये जंगली फल किल्मोड़ (ओरेगन होलीग्रेप) (ओरेगन अंगूर)



किल्मोड़ा उत्तराखंड में एक जंगली और कंटीली झाड़ी  छोटे-छोटे बैंगनी फल लगते हैं, जिन्हें बच्चे बड़े चाव से खाते हैं। 
इसी उपेक्षित कंटीली झाड़ी के फल फूल पत्तिया एवं जड़ो से जीवन रक्षक दवाएं तैयार हो रही हैं। जड़ी-बूटी के उत्पादन व संरक्षण में जुटे बागेश्वर के एक ग्रामीण ने किलमोड़ा की झाड़ियों से तेल तैयार किया है। खास बात यह है कि शुद्धता के कारण यह तेल लखनऊ की दवा बनाने वाली एक कंपनी को बेहद पसंद आया है।वनस्पति विज्ञान में ब्रेवरीज एरिस्टाटा को पहाड़ में किलमोड़ा के नाम से जाना जाता है। किलमोड़ा का पूरा पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है। विभिन्न बीमारियों में उपयोग आने वाली दवाएं बनाई जाती हैं। इस पौधे में एंटी डायबिटिक, एंटी ट्यूमर, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटी वायरल तत्व पाए जाते हैं।मधुमेह (डायबिटीज) के इलाज में इसका सबसे अधिक उपयोग होता  है 
यहां पौधा विशेषकर दो प्रकार का होता है एक तो यहां पहाड़ों पर और दूसरा यहां जंगलों में पाया जाता है इसका मधुमेह बीमारी का रामबाण इलाज कहा जाता है विशेषकर जंगल में पाया जाने वाला सबसे अधिक लाभदायक होता है

 इसको इस प्रकार से अगर आप इस्तेमाल करते हैं तो आपकी मधुमेह या डायबिटीज पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है इसकी जड़ को एक गिलास पानी लेकर उसमें इसकी जड़ों को अच्छी तरह धोकर एक गिलास पानी में डाल दीजिए सुबह उससे पानी को पी लीजिए आपकी मधुमेह बीमारी कितनी भी हो वहां 3 महीने में ठीक हो जाती है

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