एक खूबसूरत सफर पहाड़ों की ओर

 एक खूबसूरत सफर पहाड़ों की ओर

जब हम लोग शहर बटी पहाड जानू तो जसै हल्द्वाणि बटी अघिल बढनू तो एक नई उर्जा क संचार हुण बैठ जां .ध्यान दिणी बात यो छ कि जब हम लम्ब सफर करिबेर उनू और थकावट हैरूं फिर ले जसै काठगोदाम पार करनू हमन यस लागौं कि आपुण देली में पुजि गेया और बस भीतर पुजणी वाल छियां . एक बात और छ जब हम मैदान बटी पहाड जानू तो हल्द्वाणि तक ट्रेन या भल बस गाडि न में सफर करिबेर उनू . लेकिन हल्द्वाणि बटी मलिके सफर बहुत कठिन हैजां . केमू क गाडि न में सीट न में  जाग कम हुणा वीलि घुन सीद नि करीन   रोडवेज छन लेकिन कम भै लेकिन वीक सीट केमु हैबेर जरा ठीक भै .


 और मेर व्यक्तिगत अनुभव नानि गाडि नाक बार में ले के ठीक नहां . वां ले कई ड्राइवर रफ चलूलनन . और कोचाकोच अलग भै . और फिर ठुल गाडि न में ज्यादे लोग हुणा वीलि एक अलगै माहौल बण जां . कुमाऊ क अलग अलग जागा क लोग . सबनक बुलाण और शैली अलग . अलग अलग उमराक लोग   हर बखत एक अलग माहौल बणते रूं और सफर क कष्ट भुली जां . 


जब हम लोग मैदान में हुनू तो हमरि सोच एक अलगै है रूं . लेकिन जसै पहाड में प्रवेश करो तो हमर दिमाग और सोच क मोड चेन्ज हैजां . क्वे कमी वेशी ले भै तो हम सोचनू क्वे बात नै    हम पहाडि आदिम भयां   कस कस झेली भै . द्वि चार घन्टै की बात भै . कटी जाल सफर . 
फिर घर पुजणकि खुशी ले भै . खुशी में छोटि मोटि चीज आदिन अणदेखां कर दीं . 
लेकिन एक बात और छ . जब हम पहाड उज्याणि जानू तब हमरि मनोदशा दुसरि हूं हम भवालि , गरमपाणि , ताकुल या काठगोदाम पुजण पर अलगै लागौं . एक उमंग हूं  जब वापसी करण भै यो एक एक स्टेशन आते रूनी हमन नराई लागते रूं . यस लागौं हम आपुण परिवाराक या मित्र लोगन छैं विदा ल्हिणयां . हल्द्वाणि में वापसी में पुजबेर तो यस लागौं कि हम मैत बटी सौरास पुजि गेयां . 
पहाड में जब हम जानू तो हल्द्वाणि बटी मली दोगांव बटी चाहा नाश्ता खाणक होटल शुरु है जानन . और फिर हमार घर पुजण तक लगभग हर जाग हुनन . ( मी हल्द्वानी बागेश्वर मार्ग क जिकर करनयू . लेकिन और रूट ले लगभग यसै भाय ) 
दोगांव ,  भवाली गरमपानी , खैरना , छडा . लोधिया . फिर अलमाड , ताकुला , बसौली या कोसी गरुड कौसानी . यो जागन आल चाण रैत पकौडी , मिल जाल . 
पहाडक सफर और खोर रिंगाई लागि रूं , पेट पणीं रूं . कई बार तो के ले मुख में धरण जसि नि लागि रूनि . उल्टी लि अलगै बिडौव है रूनी . फिर ले हमन गाडि रुकणक इन्तजार हूं . हम उतरबेर एक दुसराक देखा देखी .. हम ले कूनू - लगाना दाज्यू एक प्लेट .. ( प्लेन क भाइसाहब शब्द हमर खाप बटी गायब हैजां ,) अब कि लगूण छ उ दुकानदार पर निर्भर भै . चना पकौडी लगाउ या रायता पकौडी  या आलू चना . आब  खाण जसि तो सब चीज लागि रूनेर भै . हमर जवाब होल .. चना पकौडी लगा दो . आब दुकान दार पुछौल .  रायता भी मार दूं .. बस यस सुणबेर दिल खुश .. हम   होय होय कैबेर उ रैत आल चाण वगैरह खूण बैठ जूल . उ चर पर सवाद अलगै उ जिबडी में .  खैबेर सन्तोष हूं . फिर हम आपु  आप छै कून .. खै हालौ    आब उल्टी ले होली तो देखीनी रौलि . वी बाद एक चाहा ले चलनेरे भै . पहाडि आदिम क तो चहा मुख  शुद्धि भै या यो कै सकछा कि जीवन की आघारभूत आवश्यकता . 
यो खाणकि प्रक्रिया लगभग हर स्टेशन पर हुनेर भे . उखावते रओ खाते रओ . किलै कि हम यो स्वाद कें आपुण दगाट ल्हिजाणकि कोशिश करनू . शहर जैबेर यो कां मिलौल   
गाडी क सफर में ले जो आदिम मिलनन उनार दहाड ले एक आत्मीयता बण जां . हल्द्वाणि बटी जब चलला तो सब जागाग ह्वाल और भाषाई विविधता   जसै जसे चलते जाला तुमर जिल्लक ,  इलाकाक , तुमार गौं क लोग मिलते रौल   हमन एक अलगै संतोष मिलते रूं . . और घर जाण या वापसी में अलमाड लोधिया या बागेश्वर बटी बाल मिठाई जरूर खरीदण भै . और खरीदण बखत जरा - टेस्ट कराना तो दाज्यु 
ताकुला में खाण क टैम पर - एक डाईट   साठ या सत्तर में ( आजकल ) जमें रोट  दाल टपकी साग झोली और प्याज सलाद . और मोट चावल . लेकिन यकीन मानो   उ ले भलै लागौं   किलै कि उमें हमर पहाड क प्यार और अपुड्याट चिताई . और खिलूणी वाल जब .. दाज्यू .. रोटी .. दाज्यू भात .. कूं तो यस लागौं होटल में ना कति कैके घर में खाणयां . 
प्संगवश जिकर करनयूं - ताकुल में एक आमा क होटल छी . आम कूनेर भै - ईजा कि चें .. रोट .  एक आजि खाई जाल . थ्वाडै भात लूं कि .  अरे क्वे दाल दिओ यां   आम हर ग्राहक दगाड एक रिशत बणै ल्हिनेर भै . एक बार जब आम कें पत्त लाग कि मैं खान्तोईक छ्यूं .  आमलि मेछे पन्तज्यू क्वे चेलि बताया . मेर च्यालै तें कौछी . और जाण बखत आम आशीष ले दिनेर भै  ईजा तुम जां जाणौछा तुमर भल हैजौ   तुमर परसाद मी ले खाणयूं . जल्दी आया पोथी 
यस हमार पहाडनै में देखी सकी . हालाकि आब कुछ खानपान बदली गो . चौमीन मोमो ऐगो . कुॆछ दुकानदार व्यावसायिक ले हैगेईन . पर कूनन नैं उजड गयी तो फिर भी दिल्ली ..
पहाड तो पहाड ही हुवा . और हर पहाडी भितर बटी एकनसे जस ..

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