निदग्धिका, क्षुद्रा तथा व्याघ्री आदि नामों से जाना जाता है ।

निदग्धिका, क्षुद्रा तथा व्याघ्री आदि नामों से जाना जाता है ।


They are known by the names Nidagdhika, Kshudra and Vyaghri.
कईं पौधों को हमने देखा होता है पर हम उनके नाम गुणधर्म से परिचित नही होते है !
भटकटैया को कटेरी, रेंगनी, रिंगिणी,संस्कृत साहित्य में कंटकारी, निदग्धिका, क्षुद्रा तथा व्याघ्री आदि नामों से जाना जाता है ।
भटकटैया बहुवर्षायु क्षुप होता है इसके पत्ते लम्बे काँटो से युक्त हरे होते है , पुष्प नीले रंग के होते है ,, कच्चे फल हरे ओर पकने पर पीले छोटे टमाटर के आकार के दिखाई देते हैं इसके बीज छोटे और चिकने होते है अक्सर यह सड़क किनारे या फिर शुष्क स्थानों पर देखने को मिल जाता है इसकी एक ओर प्रजाति होती जो सफेद फूल वाली होती है जो अब बहुत ही कम दिखती है।

पथरी से लेकर बच्चो की खांसी,काली खांसी,श्वास दमा रोग,जलोदर,सूजन मोच,छाले आदि रोगों में इसके फल फूल पत्ती ओर पंचाग बहु उपयोगी हैं इसके पंचांग के धुँए से कफ रोगी का कफ साफ हो जाता है, वही इसकी पत्तियों के धुँए से दांत के कीड़े तक बाहर निकल जाते हैं यह एक अनन्य गुणकारी ओषधि है इसका उपयोग वैद्य की सलाह में करे..।।



उत्तराखंड  में यह पौधा बहुत मात्रा में पाया जाता है जानकारी न होने के कारण प्रयोग नही ला पाएं ।

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