पहाड़ों कि कुछ खास बातें कविता द्वार दी गई हैं

पहाड़ों कि कुछ खास बातें "कविता द्वार दी गई हैं 



Some special things of the mountains are "given by poetry"

तुम जाना उन  हुस्न पहाड़ों मे 
ग्रीष्म बसंत या मौसम जाड़ों मे 

जहा बादल दौड़ा करते है, 
पर्वत सीना चौडा करते है 
रंग जीवन मे नजारे भरते है, 
जिन यादों मे हम जीते मरते है 

तुम जाना उन  हुस्न पहाड़ों मे 
ग्रीष्म बसंत या मौसम जाड़ों मे 

जहा सुंदरता हुस्न बहारो मे, 
आस्था चारधाम,पंचकेदारो 
झरने पर्वत घाटी के धारो मे, 
जर्रा-जर्रा अपने पन के इशारों मे

तुम जाना उन  हुस्न पहाड़ों मे 
ग्रीष्म बसंत या मौसम जाड़ों मे 

जब पेड़ ढूठ सब हिलते है, 
पर्वत अम्बर से मिलते है 
ब्रह्मकमल जहां खिलते है, 
सब अपनेपन से मिलते है 

तुम जाना उन  हुस्न पहाड़ों मे 
ग्रीष्म बसंत या मौसम जाड़ों मे 

क्या रखा शहर-ए-चार दीवारी मे, 
जब दुनिया हिल गई महामारी मे 
शाक सब्जियां घर की हर क्यारी मे, 
जंहा भोलापन हर बेटी-"ब्वारी"मे 

तुम जाना उन  हुस्न पहाड़ों मे 
ग्रीष्म बसंत या मौसम जाड़ों मे 

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