जय माँ हाट कालिका....
- पूरे कुमाऊं में हाट कालिका के नाम से विख्यात मंदिर गंगोलीहाट में स्थित है।
- इस मंदिर की ख्याति यह है कि पांच हजार साल पूर्व लिखे गए स्कंद पुराण के मानसखंड में भी दारुकावन (गंगोलीहाट) स्थित देवी हाट कालिका का वर्णन है।
- छठी सदी के अंत में भगवान शिव का अवतार माने जाने वाले जगत गुरु शंकराचार्य महाराज ने कूर्मांचल (कुमाऊं) भ्रमण के दौरान हाट कालिका की पुनर्स्थापना की थी।
- हाट कालिका मंदिर के बारे बताया जाता है कि यहां पर मां काली विश्राम करती है।
- यही कारण है कि शक्तिपीठ के पास महाकाली का बिस्तर लगाया जाता है। बताया जाता है कि सुबह में इस बिस्तर पर सिलवटें पड़ी होती हैं, जो संकेत देती है कि यहां पर किसी ने विश्राम किया था।
- यह पिथौरागढ़ से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर देवदार के घने वृक्षों के बीच स्थित है।
- हाटकालिका मंदिर में विराजमान महाकाली माता इंडियन आर्मी की कुमाऊँ रेजिमेंट की आराध्य देवी हैं। इस रेजिमेंट के जवान जब भी युद्ध या मिशन पर जाते हैं तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं।
- यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु भी दर्शन कर माता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।
हाट कालिका मंदिर में "कुमाऊं राइफल्स" के द्वारा चढाई गयी घंटी।...
कुमाऊँ रेजीमेंट के जवान जब भी युद्ध के लिए जाते हैं तो काली मां के दर्शन के बिना नहीं जाते हैं।...
बताया जाता है कि 1971 में पाकिस्तान के साथ छिड़ी जंग के बाद कुमाऊँ रेजीमेंट ने सुबेदार शेर सिंह के नेतृत्व में महाकाली की मूर्ति की स्थापना की थी। बताया जाता है कि ये सेना द्वारा पहली मूर्ति स्थापित की गई थी। इसके बाद कुमाऊ रेजिमेंट ने साल में 1994 में बड़ी मूर्ति चढ़ाई थी। हर साल माघ महीने में यहां पर सैनिकों की भीड़ लग जाती है। महाकाली के इस मंदिर में सहस्त्र चण्डी यज्ञ, सहस्रघट पूजा, शतचंडी महायज्ञ, अष्टबलि अठवार का पूजन समय-समय पर आयोजित होता है। इसके अलावा महाकाली के चरणों पर श्रद्धापुष्प अर्पित करने से रोग, शोक और दरिद्रता भी दूर होती है।...
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