श्री श्याम (खाटू) चालीसा / Shri Shyam (Khatu) Chalisa

 श्री श्याम (खाटू) चालीसा

श्री श्याम (खाटू) की पूजा का अभ्यास कुछ विशेष रूप से खाटू धाम, राजस्थान में होता है और यहां एक विशेष मंदिर है जिसमें श्री श्याम बाबा की मूर्ति स्थित है। यहां श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी संख्या में पूजा जाता है।

श्री श्याम (खाटू) पूजा विधि:

  1. ध्यान और प्रणाम: पूजा की शुरुआत ध्यान और प्रणाम से होती है। श्री श्याम बाबा की मूर्ति के समक्ष बैठकर श्रद्धा भाव से मन में ध्यान करें और प्रणाम करें।
  2. कलश स्थापना: एक कलश में जल भरकर उसे स्थानीयतम पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  3. पंज अग्रपूजा: श्री श्याम बाबा के लिए पंज अग्रपूजा करें, जिसमें फूल, दीप, धूप, अक्षत, और नैवेद्य शामिल होते हैं।
  4. चौघड़िया पूजा: पूजा का समय श्री श्याम बाबा की चौघड़िया में होना चाहिए।
  5. भजन-कीर्तन: श्री श्याम बाबा के गुणगान के लिए भजन-कीर्तन करें।
  6. कथा वाचन: अगर संभव हो, तो श्री श्याम बाबा की कथा वाचन करें।
  7. प्रार्थना और आरती: अपनी मनोकामनाएं मांगें और श्री श्याम बाबा की आरती गाएं।
  8. प्रसाद वितरण: अधिकांश पूजा के बाद प्रसाद बाँटना एक महत्वपूर्ण अंग है।
  9. सेवा और समर्पण: श्री श्याम बाबा के लिए निरंतर सेवा करें और अपने समय, ऊर्जा, और संसाधनों को समर्पित करें।

इस विधि को अपनी आदतों और परंपराओं के अनुसार समायोजित करें, क्योंकि यह स्थानीय सांस्कृतिक अनुसार भिन्न हो सकता है।

॥दोहा ॥

श्री गुरु चरण ध्यान धरसुमिरि सच्चिदानन्द । 
श्याम चालीसा भणत हूँरच चौपाई छंद ॥

॥ चौपाई ॥

श्याम श्याम भजि बारम्बारासहज ही हो भवसागर पारा ।
इन सम देव न दूजा कोईदीन दयालु न दाता होई ।
भीमसुपुत्र अहिलवती जायाकहीं भीम का पौत्र कहाया ।
यह सब कथा सही कल्पान्तरतनिक न मानों इसमें अन्तर ।
बर्बरीक विष्णु अवताराभक्तन हेतु मनुज तनु धारा ।
वसुदेव देवकी प्यारेयशुमति मैया नन्द दुलारे ।
मधुसूदन गोपाल मुरारीबृजकिशोर गोवर्धन धारी 
सियाराम श्री हरि गोविन्दादीनपाल श्री बाल मुकन्दा ।
दामोदर रणछोड़  बिहारी नाथ द्वारिकाधीश खरारी ।
नरहरि रुप प्रहलाद प्याराखम्भ फारि हिरनाकुश मारा।
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंतागोपी वल्लभ कंस हनंता ।
मनमोहन चित्तचोर कहायेमाखन चोरि चोरि कर खाये ।
मुरलीधर यदुपति घनश्यामकृष्ण पतितपावन अभिरामा ।
मायापति लक्ष्मीपति ईसापुरुषोत्तम केशव जगदीश ।
विश्वपति त्रिभुवन उजियारादीन बन्धु भक्तन रखवारा ।
प्रभु का भेद कोई न पायाशेष महेश थके मुनिराया 
नारद शारद ऋषि योगिन्दरश्याम श्याम सब रटत निरन्तर ।
करि कोविद करि सके न गिनन्तानाम अपार अथाह अनन्ता ।
हर सृष्टि हर युग में भाईले अवतार भक्त सुखदाई 
हृदय माँहि करि देखु विचाराश्याम भजे तो हो निस्तारा ।
कीर पढ़ावत गणिका तारीभीलनी की भक्ति बलिहारी ।
सती अहिल्या गौतम नारीभई श्राप वश शिला दुखारी ।
श्याम चरण रज नित लाईपहुँची पतिलोक में जाई ।
अजामिल अरू सदन कसाईनाम प्रताप परम गति पाई ।
जाके श्याम नाम अधारासुख लहहि दुःख दूर हो सारा ।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दरमोर मुकुट सिर तन पीताम्बर ।
गल वैजयन्तिमाल सुहाईछवि अनूप भक्तन मन भाई ।
श्याम श्याम सुमिरहु दिनरातीशाम दुपहरि अरू परभाती ।
श्याम सारथी जिसके रथ केरोड़े दूर होय उस पथ के ।
श्याम भक्त न कहीं पर हाराभीर परि तब श्याम पुकारा 
रसना श्याम नाम रस पी लेजी ले श्याम नाम के हाले ।  
संसारी सुख भोग मिलेगाअन्त श्याम सुख योग मिलेगा 
श्याम प्रभु हैं तन के कालेमन के गोरे भोले भाले ।
श्याम संत भक्तन हितकारीरोग दोष अघ नाशै भारी ।
प्रेम सहित जे नाम पुकाराभक्त लगत श्याम को प्यारा 
खाटू में है मथुरा वासीपार ब्रह्म पूरण अविनासी ।
सुधा तान भरि मुरली बजाईचहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई 
वृद्ध बाल जेते नारी नरमुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर ।
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाईखाटू में जहां श्याम कन्हाई ।
जिसने श्याम स्वरूप निहाराभव भय से पाया छुटकारा ।

॥ दोहा ॥

श्याय  सलोने साँवरेबर्बरीक तनु धार । 
इच्छा पूर्ण भक्त कीकरो न लाओ बार ॥

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