उत्तराखंड दूसरा राज्य होगा जो गोवा के बाद यूसीसी लागू Uttarakhand will be the second state to implement UCC after Goa.
उत्तराखंड दूसरा राज्य होगा जो गोवा के बाद यूसीसी लागू करने जा रहा है। 6 फरवरी को विधानसभा के पटल पर यह ड्राफ्ट विधेयक के रूप में रखा जाएगा, पारित कराया जाएगा। इसके अंतर्गत हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई बौद्ध जैन आदि सभी धर्मों के लोग एक कानून के अन्तर्गत आ जाएंगे। तलाक़ के लिए एक जैसे कानून होंगे, विवाह की उम्र एक समान होगी, प्रत्येक व्यक्ति एक ही पत्नी रख पाएगा। मतलब धर्म के आधार पर बने अलग अलग कानून अब अवैध हो जाएंगे।
विवाह और तलाक के एक जैसे कानून वास्तव में विषमताएं दूर करने की दिशा में बड़ा कदम है। प्रत्येक व्यक्ति दो बच्चे पैदा करेगा। गोवा जैसे छोटे प्रदेश में छह साल से यह कानून लागू है। सभी नागरिक इसका पालन करते हैं, कभी भी कोई विवाद नहीं हुआ। उत्तराखंड दूसरा राज्य है जिसने यूसीसी लागू करने का बीड़ा उठाया है। लोकसभा चुनाव से पूर्व यूसीसी पारित करना निश्चय ही बहुत बड़ा कदम है। उत्तराखंड का यूसीसी ड्राफ्ट आगे चलकर पूरे देश का ड्राफ्ट बन जाए तो आश्चर्य मत कीजिएगा?
समान नागरिक संहिता ऐसा विषय है जो जनसंघ के जमाने से बीजेपी के एजेंडे पर रहा है। जाहिर है राम मंदिर, तीन तलाक़ और धारा 370 जैसे विषयों पर काम पूरा करने के बाद अब पूरे देश में यूसीसी लागू होना लाज़मी है। उत्तराखंड यूसीसी का ड्रॉफ्ट तैयार करने में अनेक केंद्रीय विशेषज्ञों की मदद ली गई है। जाहिर है भारत सरकार भी भविष्य में कुछ फेरबदल के साथ यही ड्राफ्ट लागू करेगी। भारत सरकार ने सीएए जैसा लाभकारी कानून भी बनाया जो अभी पैंडिंग पड़ा है। अनिवार्य रूप से एनआरसी भी लागू करने की तैयारी है।
भारत बदल रहा है, इसे महसूस कीजिए। जो लोग इस बदलाव को महसूस करने के बजाय बेवजह झुलसे जा रहे हैं, उन्हें संभलने और बदलने की जरूरत है। जमाना और भारत दोनों नए हैं तो सभी को लकीरवाद त्याग देना चाहिए। हर समय रोतडी सूरत बनाने की जरूरत नहीं। कुछ नए अहसास जगाने की जरूरत है। अगर कोई चाहता है कि देश को 1947 वाली डगर पर बनी बनाई लीक के बीच चलते रहना चाहिए तो फिर उसका कुछ नहीं हो सकता। दुनिया AI तकनीक पर पहुंच गई है और वे चक्की पीसते रहना चाहते हैं। तो यह उनकी प्रॉब्लम है, नई दुनिया की नहीं।
विवाह और तलाक के एक जैसे कानून वास्तव में विषमताएं दूर करने की दिशा में बड़ा कदम है। प्रत्येक व्यक्ति दो बच्चे पैदा करेगा। गोवा जैसे छोटे प्रदेश में छह साल से यह कानून लागू है। सभी नागरिक इसका पालन करते हैं, कभी भी कोई विवाद नहीं हुआ। उत्तराखंड दूसरा राज्य है जिसने यूसीसी लागू करने का बीड़ा उठाया है। लोकसभा चुनाव से पूर्व यूसीसी पारित करना निश्चय ही बहुत बड़ा कदम है। उत्तराखंड का यूसीसी ड्राफ्ट आगे चलकर पूरे देश का ड्राफ्ट बन जाए तो आश्चर्य मत कीजिएगा?
समान नागरिक संहिता ऐसा विषय है जो जनसंघ के जमाने से बीजेपी के एजेंडे पर रहा है। जाहिर है राम मंदिर, तीन तलाक़ और धारा 370 जैसे विषयों पर काम पूरा करने के बाद अब पूरे देश में यूसीसी लागू होना लाज़मी है। उत्तराखंड यूसीसी का ड्रॉफ्ट तैयार करने में अनेक केंद्रीय विशेषज्ञों की मदद ली गई है। जाहिर है भारत सरकार भी भविष्य में कुछ फेरबदल के साथ यही ड्राफ्ट लागू करेगी। भारत सरकार ने सीएए जैसा लाभकारी कानून भी बनाया जो अभी पैंडिंग पड़ा है। अनिवार्य रूप से एनआरसी भी लागू करने की तैयारी है।
भारत बदल रहा है, इसे महसूस कीजिए। जो लोग इस बदलाव को महसूस करने के बजाय बेवजह झुलसे जा रहे हैं, उन्हें संभलने और बदलने की जरूरत है। जमाना और भारत दोनों नए हैं तो सभी को लकीरवाद त्याग देना चाहिए। हर समय रोतडी सूरत बनाने की जरूरत नहीं। कुछ नए अहसास जगाने की जरूरत है। अगर कोई चाहता है कि देश को 1947 वाली डगर पर बनी बनाई लीक के बीच चलते रहना चाहिए तो फिर उसका कुछ नहीं हो सकता। दुनिया AI तकनीक पर पहुंच गई है और वे चक्की पीसते रहना चाहते हैं। तो यह उनकी प्रॉब्लम है, नई दुनिया की नहीं।
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