50+ प्रसिद्ध पहाड़ी कहावतें ( गढवाली कहावतें ) prasiddh pahaadee kahaavaten ( gadhavaalee kahaavaten )
50+ प्रसिद्ध पहाड़ी कहावतें ( गढवाली कहावतें )
50+ कहावतें गढवाली में /ग्रामीण कहावतें / पुरानी गढवाली कहावतें / गढवाली मजेदार कहावतें
- तू ठगानी कु ठग, मी जाति कु ठग ।
- ठुलो गोरू लोण बुकाओ , छोटु गोरू थोबड़ु चाटु।
- लूण त्येरी व्वेन नी धोली , आंखा मीकु तकणा।
- भुंड न बास, अर शरील उदास ।
- भिंडि खाणु तै जोगी हुवे अर बासा रात भुक्कु ही रै ।
- अपड़ा जोगी जोग्ता , पल्या गौं कु संत ।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू, तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- नि खांदी ब्वारी , सै-सुर खांदी ।
- ब्वारी बुबा लाई बल अर ब्वारी बुबन खाई
- उछलि उछलि मारि फालि, कर्म पर द्वी नाली।
- अकल का टप्पु, सरमा बोझा घोड़ा मां अफु।
- सौण मरि सासू, भादो आयां आंसू।
- जु नि धोलो अफड़ो मुख, उक्या देलो हैका तैं सुख।
- पढ़ाई लिखाई बल जाट, अर 16 दुनी आठ ।
- बिरालु मरयूं सबुन देखी, दूध खत्युँ कैन नि देखी ।
- भिंडि बिराल्युं मा मुसा नि मरियेंदन।
- जै गौ जाण ही नी, वे गौं कु बाठु क्या पूछण ।
- मैं राणी, तू राणी, कु कुटलु, चीणा दाणी ।
- पठालु फ़ुटु पर ठकुराण नी उठु
- जख कुखड़ा नि होन्दा, तख रात नि खुल्दी
- बिगर अफ़ु मरयां, स्वर्ग नि जयेन्दु ।
- पैंसा नि पल्ला, दुई ब्यो कल्ला ।
- एक कुंडी माछा, नौ कुंडी झोल ।
- गोणी तैं अपड़ु पुछ छोटु ही दिख्येन्दु ।
- सासु बोल्दी बेटी कू , सुणान्दी ब्वारी कू ।
- अपडू मुंड, अफ़ु नि मुंड्येन्द ।
- लुखु की साटि बिसैंई, म्यारा चौंल बिसैंई ।
- हाथा की त्येरी, तवा की म्यरी ।
- कखी डालु ढली, खक गोजु मारी ।
- जन मेरी गौड़ी रमाण च, तन दुधार भी होन्दी ।
- स्याल, कुखड़ों सी हौल लगदु त बल्द भुखा नि मरदा क्या ?
- मेंढकुं सी जु हौल लगदु त लोग बल्द किलै पाल्दा ?
- पैली छै बुड गितार, अब त नाती द ह्वेगी ।
- हैंका लाटु हसान्दु च, अर अपडु रुवान्दु च ।
- बाखुरी कु ज्यू भी नि जाऊ, बाग भी भुकु नि राऊ ।
- लौ भैंस जोड़ी, नितर कपाल देन्दु फ़ोड़ी ।
- जख मेल तख खेल, जख फ़ूट तख लूट ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू,तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- एक कुंडी माछा, नौ कुंडी झोल ।
- गोणी अपड़ु पुछ छोटु ही दिख्येन्दु ।
- सासु बोल्दी बेटी कू , सुणान्दी ब्वारी कू ।
- फाडू मुंड, अफ़ु नि मुंड्येन्द ।
- लुखु की साटि बिसैंई, म्यारा चौंल बिसैंई ।
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