गढ़वाल के लोक गीत एवं नृत्य देवताओं के (मांगल) गीत / garhwal ke lok geet evam nritya devtaon ke (mangal) geet

गढ़वाल के लोक गीत एवं नृत्य 

देवताओं के (मांगल) गीत 

गढ़वाल में लोकगीतों के अनेक स्वर मिलते हैं। इन्हीं स्वरों को यदि विषय, शैली और रस की दृष्टि से देखें तो इनका वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है:

'जागरी' सबसे पहले उस गांव के इष्ट देवता भूमिपाल (भूम्याल) का स्मरण करता है। बाद में अन्य देवताओं से आग्रह करता है कि वे उस कार्य को पूर्ण करने में अपना आशीर्वाद प्रदान करें:

जै जस दे धरती माता
जै जस दे कुरम देवता
जै जस दे भूमि का भूम्यिाल
जै जस दे गंगा की निर्मल धार
जै जस दे पंचनाम देवता।

अर्थात —हे धरती माता, कुरम देवता, भूमि के भूमिपाल, इस कार्य का संपन्न करने में यश प्रदान करो। हे गंगा मैया, अपनी निर्मल जलधार से इस कार्य को पवित्रता प्रदान करो। हे पंचनाम देवो, यहां आकर इस कार्य को पूर्ण करने में अपना आशीर्वाद दो ताकि इस कार्य में सफलतला (यश) मिल सके।

परंतु बिना क्षेत्रपाल के संरक्षण के सफलता कहां मिल सकती है? अत: 'जागरी' उस गांव के क्षेत्रपाल का स्मरण कर प्रार्थना करता है:

देव खितरपाल, घड़ी—घड़ी का विघ्न टाल।
माता महाकाली का जाया, चंड भैरों खितरपाल।
प्रचंड भैरों खितरपाल, काल भैरों खितरपाल।
माता महाकाली का जाया, बूढ़ा महारूद्र का जाया।
तुम्हारो ध्यान जागो, तुम्हारो ध्यान जागो।

अर्थात— हे क्षेत्रपाल देव, मेरे इस कार्य में जो घड़ी—घड़ी में विघ्न पड़े, उन्हें दूर करो (टालो)। तुम महाकाली माता के और महारूद्र (शिव) के पुत्र हो। तुम्हीं चंड, तुम्ही प्रचंड और तुम्हीं काल भैरव हो। मैं तुम्हारा सर्वप्रथम स्मरण कर रहा हूं और प्रार्थना कर रहा हूं कि मेरे यज्ञ में पड़ने वाले विघ्नों से मेरी रक्षा करो।

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