माँगल गीत : सगुन बोल सगुन न्यूतो
(गढ़वाली)
औ बैठ कागा… हरिया बिरिछ… बेदमुखी बरमा जी… बेद पढ़ला… पिञ्जरी का सूवा.. अटारि का सूवा… जण्दो नि छों मैं.. पछण्दो नि छों मैं…
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(हिंदी)
आ बैठ कागा… हरे वृक्ष पर… हे पिंजरे के
तोते हे.. अटारी के तोते… जानती नहीं
हूँ.. पहचानती नहीं हूँ… |
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