प्रसून जोशी - शब्दों के जादूगर और भारतीय सृजनात्मकता के प्रतीक
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प्रसून जोशी - Prasoon Joshi |
प्रसून जोशी भारतीय साहित्य और फिल्म जगत के एक ऐसे रचनाकार हैं, जिन्होंने अपनी कलम से गीत, कविताओं और विज्ञापन की दुनिया में नए आयाम स्थापित किए। वह न केवल एक प्रसिद्ध गीतकार हैं बल्कि एक बेहतरीन लेखक, कवि, और पटकथा लेखक भी हैं। उनकी रचनाएं गहराई, संवेदनशीलता और मौलिकता का प्रतीक हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
प्रसून जोशी का जन्म 16 सितंबर 1968 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ। उनका पैतृक गांव दन्या है। उनके पिता देवेन्द्र कुमार जोशी उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा निदेशक थे, जबकि उनकी माता सुषमा जोशी भी साहित्य और संगीत से जुड़ी थीं।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, और नरेंद्रनगर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में हुई। उन्होंने एमएससी और एमबीए की शिक्षा प्राप्त की।
बचपन से ही वे प्रकृति और साहित्य के प्रति गहरा लगाव रखते थे। अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए उन्होंने किशोरावस्था में ही एक हस्तलिखित पत्रिका निकाली। उनकी पहली काव्य संग्रह मात्र 17 साल की उम्र में प्रकाशित हुई।
कैरियर की शुरुआत
प्रसून जोशी ने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापन की दुनिया से की। उनकी रचनात्मकता को सही मंच विज्ञापन एजेंसी मैकऐन इरिक्सन में मिला, जहां वे कार्यकारी अध्यक्ष बने। विज्ञापन जगत में उनके प्रसिद्ध अभियानों जैसे "ठंडा मतलब कोका कोला" और "बार्बर शॉप: ए जा बाल कटा ला" ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई।
संगीत और साहित्य के क्षेत्र में योगदान
प्रसून जोशी को संगीत और साहित्य विरासत में मिला। उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्रसिद्ध उस्ताद हफीज़ अहमद खान से प्राप्त की। हालांकि संगीत को करियर बनाने के बजाय उन्होंने लेखन को चुना।
उनके लिखे गीतों ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में एक नई ऊर्जा भरी। उनके उल्लेखनीय गीत हैं:
- मां (तारे ज़मीन पर)
- रूबरू (रंग दे बसंती)
- मसकली (दिल्ली 6)
- भाग मिल्खा भाग (जीत का जूनून से भरा)
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प्रसून जोशी - Prasoon Joshi |
प्रमुख उपलब्धियां और सम्मान
प्रसून जोशी को उनके अद्भुत योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
- राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (तारे ज़मीन पर के गीत "मां" के लिए)
- पद्म श्री (2015)
- फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड (रंग दे बसंती, दिल्ली 6)
- आईफा पुरस्कार (भाग मिल्खा भाग, चांद सिफ़ारिश)
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष
2017 में प्रसून जोशी को भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) का अध्यक्ष बनाया गया। इस भूमिका में भी उन्होंने भारतीय सिनेमा को नई दिशा देने का प्रयास किया।
प्रेरणा और प्रभाव
प्रसून जोशी का लेखन गहरे भावनात्मक पहलुओं को छूता है। उनकी कविताएं और गीत आम आदमी की संवेदनाओं से जुड़े होते हैं। उनकी रचनाएं न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि समाज को एक संदेश भी देती हैं।
प्रसिद्ध उद्धरण
"सृजनात्मकता एक साधना है, जिसमें विचारों और भावनाओं का मेल होता है।"
निष्कर्ष
प्रसून जोशी न केवल एक गीतकार या लेखक हैं, बल्कि वे एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपने कार्य से हर भारतीय के दिल में जगह बनाई। उनकी जीवन यात्रा और उपलब्धियां आज के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
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कविता:
"शब्दों से बुनते सपनों का संसार,
हर गीत में छिपा होता है प्यार।
प्रकृति, संवेदना और दिल की बात,
प्रसून की कलम, हर मन को दे साथ।"
Frequent Questions and Concerns (FQCs) for Prasoon Joshi Blog Post
प्रसून जोशी कौन हैं और उन्हें कौन-कौन से क्षेत्रों में योगदान के लिए जाना जाता है?
प्रसून जोशी एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक, और विज्ञापन जगत के विशेषज्ञ हैं। वे भारतीय सिनेमा और साहित्य में अपने अमूल्य योगदान के लिए जाने जाते हैं।प्रसून जोशी का जन्म और प्रारंभिक जीवन कहां हुआ था?
प्रसून जोशी का जन्म 16 सितंबर 1968 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गोपेश्वर, नरेंद्रनगर और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में हुई।प्रसून जोशी की शिक्षा और उनका करियर पथ क्या है?
उन्होंने एम.एस.सी और एम.बी.ए की पढ़ाई की। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने विज्ञापन जगत में कदम रखा और ‘मैकऐन इरिक्सन’ जैसी अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन कंपनी में कार्यकारी अध्यक्ष बने।प्रसून जोशी के प्रमुख उपलब्धियां और पुरस्कार कौन-कौन से हैं?
- फ़िल्म ‘तारे ज़मीन पर’ के गाने ‘मां...’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार।
- पद्म श्री (2015)।
- फ़िल्मफ़ेयर, आईफा, और मिर्ची म्यूजिक अवार्ड्स जैसे कई सम्मान।
- शैलेंद्र सम्मान और अन्य साहित्यिक पुरस्कार।
प्रसून जोशी ने किन फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं?
उन्होंने ‘रंग दे बसंती,’ ‘तारे ज़मीन पर,’ ‘दिल्ली-6,’ ‘हम तुम,’ ‘भाग मिल्खा भाग,’ और ‘फना’ जैसी फिल्मों में सुपरहिट गाने लिखे।क्या प्रसून जोशी का साहित्यिक और शास्त्रीय संगीत से कोई संबंध है?
जी हां, प्रसून जोशी ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उस्ताद हफीज़ अहमद खान से ली और उनका झुकाव साहित्य और कविता की ओर बचपन से रहा।प्रसून जोशी के जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा क्या रही?
बचपन में पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता, उनके माता-पिता का संगीत से जुड़ाव, और साहित्य के प्रति उनकी रुचि उनके लेखन और रचनात्मकता को प्रेरित करती रही।प्रसून जोशी का सबसे यादगार काम कौन सा है?
उनका गीत ‘मां...’ (तारे ज़मीन पर) और फ़िल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के लिए पटकथा और संवाद लेखन उनके सबसे प्रसिद्ध और यादगार कार्यों में से हैं।क्या प्रसून जोशी अभी भी सक्रिय हैं?
हां, वे वर्तमान में भी लेखन, गीत-रचना और विज्ञापन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इसके अलावा, वे भारतीय सेंसर बोर्ड के चेयरमैन के रूप में भी कार्यरत हैं।प्रसून जोशी का साहित्यिक योगदान कैसे सराहा गया है?
उनकी कविताओं और गीतों ने लाखों लोगों के दिलों को छुआ है। उनके गीत जीवन की गहराई और भावनाओं को सहजता से व्यक्त करते हैं।
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