उत्तराखण्डः एक परिचय
भौगोलिक परिचय
स्वतंत्रता के बाद भारत में केवल एक हिमालयी राज्य 'असम' अस्तित्व में था। देश के बाकी हिमालयी क्षेत्र किसी न किसी मैदानी राज्य का हिस्सा थे। 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय के साथ वह भारत का दूसरा हिमालयी राज्य बना। इसके पश्चात, धीरे-धीरे हिमालयी राज्यों की संख्या बढ़ी, और 9 नवम्बर 2000 को उत्तराखण्ड को 11वें हिमालयी राज्य के रूप में मान्यता मिली।
इस प्रक्रिया में हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैण्ड, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, और अन्य हिमालयी राज्य अस्तित्व में आए।
Uttarakhand: An Introduction |
उत्तराखंड का भौगोलिक और प्राकृतिक विवरण
उत्तराखंड राज्य, जो 2000 में बना, हिमालयी क्षेत्र में स्थित एक अद्भुत राज्य है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 53,484 वर्ग किमी है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.6% है। यह राज्य भारत के उत्तर-पश्चिम और पश्चिम मध्य हिमालय में स्थित है, जहां इसकी सीमाएँ तिब्बत, नेपाल, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से मिलती हैं। उत्तराखंड का अधिकतम तापमान 40.5° सेल्सियस और न्यूनतम 1.9° सेल्सियस तक रहता है, और यहाँ औसत वर्षा 1079 मिमी होती है।
उत्तराखंड के भौगोलिक विभाजन को चार भागों में बांटा जा सकता है, जो हैं:
- महान हिमालयी क्षेत्र
- मध्य हिमालयी क्षेत्र
- शिवालिक हिमालयी क्षेत्र
- गंगा का मैदानी क्षेत्र
1. महान हिमालयी क्षेत्र
महान हिमालयी क्षेत्र उत्तराखंड की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं का हिस्सा है, जिसकी ऊँचाई 4800 से 6000 मीटर के बीच है। यह राज्य को तिब्बत से अलग करता है और यहाँ कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है, जैसे भागीरथी, अलकनंदा, और यमुना। इस क्षेत्र की जलवायु अत्यधिक ठंडी है, और यहाँ की चोटियाँ पूरे वर्ष बर्फ से ढकी रहती हैं। यह क्षेत्र शीतोष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन से भरा हुआ है, जिसमें साल, चीड़ और सागौन के पेड़ होते हैं। यहां का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है, और ऊनी वस्त्र, हस्तशिल्प, जड़ी-बूटी का व्यापार प्रमुख आय का स्रोत है।
2. मध्य हिमालय क्षेत्र
मध्य हिमालय क्षेत्र, जो महान हिमालय और शिवालिक पर्वतमाला के बीच स्थित है, उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस क्षेत्र में सरयू, गोमती, रामगंगा जैसी नदियाँ बहती हैं और इसकी ऊँचाई 3000-4000 मीटर तक होती है। यह क्षेत्र पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है, विशेषकर नैनीताल, टिहरी, उत्तरकाशी और अल्मोड़ा जैसे स्थल यहाँ स्थित हैं। यहाँ की जलवायु सर्दियों में ठंडी और ग्रीष्मकाल में सुहावनी रहती है। इस क्षेत्र में चीड़, देवदार और साल के वृक्षों का विस्तार है।
3. शिवालिक हिमालयी क्षेत्र
शिवालिक हिमालयी क्षेत्र हिमालय की निचली पर्वत श्रृंखला है, जिसकी ऊँचाई 750 से 1200 मीटर के बीच होती है। यह क्षेत्र अत्यधिक वनस्पति से भरपूर है, जिसमें आँवला, शीशम, साल, चीड़, देवदार और बाँस जैसे वृक्ष शामिल हैं। यहाँ मसूरी, नैनीताल, रानीखेत, और चकराता जैसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल स्थित हैं। यहाँ का तापमान शीतकाल में 4° सेल्सियस और ग्रीष्मकाल में 33° सेल्सियस तक जाता है। यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए अत्यधिक आकर्षक है और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए सालभर पर्यटक आते हैं।
4. गंगा का मैदानी क्षेत्र
गंगा का मैदानी क्षेत्र, जो शिवालिक पर्वतमाला के पाद पर स्थित है, उत्तराखंड के काशीपुर, किच्छा, ऊधमसिंह नगर और देहरादून पौड़ी जिलों के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। यह क्षेत्र अत्यधिक उपजाऊ है और यहाँ की जलवायु ग्रीष्मकाल में अत्यधिक गर्म होती है। इस क्षेत्र को "तराई-भाबर" के नाम से जाना जाता है और यहाँ की भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है। गंगा और उसकी सहायक नदियाँ यहाँ के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदाएँ
उत्तराखंड भूकंप और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र है। यहाँ के अधिकांश स्थल फाल्ट लाइन पर स्थित हैं, और यह क्षेत्र भूकंप के जोन-4 और 5 में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह राज्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए सबसे संवेदनशील है और यहां ऑस्ट्रेलिया मॉडल पर आधारित पृथक आपदा प्रबंधन मंत्रालय का गठन किया गया है।
वन क्षेत्र और जैव विविधता
उत्तराखंड का लगभग 66 प्रतिशत क्षेत्र वन क्षेत्र से घिरा हुआ है, जो भारतीय राष्ट्रीय वननीति में निर्धारित न्यूनतम वनक्षेत्र (33%) से दोगुना है। यहां की जैव विविधता में कई प्रकार की जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं, जिनका चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। राज्य में संजीवनी बूटी के अस्तित्व की भी मान्यता है, हालांकि अभी तक इसकी पहचान नहीं हो पाई है। यहाँ की जड़ी-बूटियाँ कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करती हैं, जैसे मधुमेह, कैंसर, और पीलिया।
निष्कर्ष
उत्तराखंड, अपनी भौगोलिक विविधता, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण विशेष स्थान रखता है। यहां की पहाड़ियाँ, घाटियाँ, नदियाँ, और वनस्पतियाँ इसे पर्यटकों के लिए आदर्श स्थान बनाती हैं। इसके अलावा, राज्य की प्राकृतिक आपदाओं और वनस्पतियों की संरक्षण की आवश्यकता को समझते हुए, उत्तराखंड ने पर्यावरणीय और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
उत्तराखण्ड राज्य का भौगोलिक विवरण और विशेषताएँ
FAQ 1: उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर: उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को हुई थी, जो पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। यह राज्य हिमालयी क्षेत्र में स्थित है और भारत के उत्तर-पश्चिम और पश्चिम मध्य हिमालय में अवस्थित है।
FAQ 2: उत्तराखण्ड का कुल क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर: उत्तराखण्ड का कुल क्षेत्रफल 53,484 वर्ग किमी है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.6वाँ हिस्सा है।
FAQ 3: उत्तराखण्ड का अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्या है?
उत्तर: उत्तराखण्ड का न्यूनतम तापमान 1.9°C और अधिकतम तापमान 40.5°C के बीच रहता है।
FAQ 4: उत्तराखण्ड राज्य के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्रों में विभाजन किया गया है?
उत्तर: उत्तराखण्ड राज्य को चार प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है:
- महान हिमालयी क्षेत्र
- मध्य हिमालयी क्षेत्र
- शिवालिक हिमालयी क्षेत्र
- गंगा का मैदानी क्षेत्र
FAQ 5: उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्वत और नदियाँ कौन सी हैं?
उत्तर: उत्तराखण्ड राज्य में प्रमुख पर्वत चोटियाँ नंदादेवी, कामेत और बंदरपूछ हैं। प्रमुख नदियाँ भागीरथी, अलकनंदा और यमुना हैं।
FAQ 6: उत्तराखण्ड में जलवायु और वर्षा के पैटर्न क्या हैं?
उत्तर: उत्तराखण्ड की जलवायु ठंडी होती है, जहां सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे गिर सकता है और ग्रीष्मकाल में मौसम सुहावना होता है। वर्षा का औसत 1079 मिमी होता है और सबसे अधिक वर्षा नरेन्द्रनगर क्षेत्र में होती है।
FAQ 7: उत्तराखण्ड में कौन-कौन से प्रमुख पर्यटक स्थल हैं?
उत्तर: उत्तराखण्ड में प्रमुख पर्यटक स्थल नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, हरिद्वार, ऋषिकेश, और केदारनाथ हैं। इन स्थलों की जलवायु और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
FAQ 8: उत्तराखण्ड की वनस्पति और जड़ी-बूटियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: उत्तराखण्ड में व्यापक वनस्पति है जिसमें चीड़, देवदार, साल और आँवला प्रमुख हैं। इसके अलावा, यहाँ पर कई प्राचीन जड़ी-बूटियाँ भी पाई जाती हैं, जो चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोगी होती हैं।
FAQ 9: उत्तराखण्ड भूकम्प के लिहाज से कितना संवेदनशील है?
उत्तर: उत्तराखण्ड भूकम्प के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील है, और इसे भूकम्प जोन 4 और 5 में रखा गया है। यहाँ भूकम्पों और भूस्खलनों का खतरा बना रहता है।
FAQ 10: उत्तराखण्ड का सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र कौन सा है?
उत्तर: उत्तराखण्ड का नरेन्द्रनगर क्षेत्र सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है, जिसे चेरापूंजी के नाम से भी जाना जाता है।
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