तीलू रौतेली(तिलोत्तमा देवी(Teelu Rauteli (Tillotama Devi))

तीलू रौतेली(तिलोत्तमा देवी(Teelu Rauteli (Tillotama Devi))

  • जन्म - 8 अगस्त 66 ग्रामगुराड़ (पौड़ी गढ़वाल)
  • पिता - भूमसिंह 
  • माता - मैणावती रानी 
  • भाई - भगतू व पत्वा 
  • तीलू रौतेली को गढवाल की लक्ष्मीबाई भी कहा जाता है 
  • तीलू रौतेली की घोड़ी का नाम बिंदुली ° 5-20 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रीतेली सम्भवतः विश्व की एकमात्र वीरांगना है 
  • तीलू रीतेली के समय कत्यूरी शासक धामदेव था 
  • कत्यूरी शासक धामदेव ने खैरागढ़ किले पर आक्रमण किया और यह किला गढवाल की सीमा के अन्तर्गत आता था
  • गढवाल नरेश ने तीलू रौतेली के पिता भूमसिंह को खैरागढ़ किले की जिम्मेदारी सौंपी
  • तीलू के पिता व उसके दो भाई रणभूमि में शहीद हो जाते हैं
  • तीलू रीतेली अपने पिता व भाइयों की मौत का प्रतिशोध कत्यूरियों से लेती है
  • निधन - पूर्वी नयार नदी में स्नान करते समय रामु रजवार नाम का एक कत्यूरी सैनिक ने तीलू रौतेली पर धोके से हमला वार करता है और तीलू रौतेली का निधन हो जाता है
उत्तराखंड इतिहास को देखा जाये तो हमें ऐतिहासिक स्तर पर कुछ  वीरांगना का वर्णन मिलता है, जिन्होंने अपने पराकर्म व दृढ ईच्छा शक्ति से अपने शत्रु को नाकों चने चबवायें और उत्तराखंड  इतिहास में यह वीरांगनायें अमर हो गयी है, इन्हीं वीरांगना में से एक वीरांगना है, तिलोत्तमा देवी उर्फ (तीलू रौतेली) है ।

प्रारम्भिक जीवन 

  • वीरांगना  तिलोत्तमा देवी उर्फ (तीलू रौतेली) ने 17 वर्ष की उम्र में 7 युद्ध लड़े इतनी कम उम्र में युद्ध लड़ने वाली विश्व की प्रथम महिला थी इन्होने कत्यूरी शासक से युद्ध लड़े अपने पिता,भाई व मंगेतर की मृत्यु का बदला लिया था ।
  • तीलू रौतेली ने बचपन में अपना अधिकांश समय बीरोंखाल के कंडामल्ल गाँव में बीताया था।
  • इनकी सगाई चौंदकोट के सूबेदार भुम्या सिंह नेगी के पुत्र भवानी सिंह के साथ हुई थी ।
  • चंद वंश के शासक ने कत्यूरी शासक को गढ़वाल खदेड़ दिया था क्योंकि युद्ध में कत्यूरी  द्वारा गढ़वाल शासक की मदद किये जाने पर जब कत्यूरी गढ़वाल सीमा पर गये तो उनका संघर्ष गढ़वाल के सीमावर्ती थोकदार भूपसिंह व उनके पुत्रों से हुआ था ।
  • युद्ध में तीलू के पिता भूपसिंह रावत दो भाई भक्तू, पर्थवा वीरगति को प्राप्त हो जाने पर तिलोत्तमा देवी उर्फ (तीलू रौतेली) है  ने तलवार उठाई अपने पिता, भाई व मंगेतर की हत्या का बदला कत्यूरी से लिया और युद्ध में छापामार (गौरीला) युद्ध पद्धति का प्रयोग किया था ।
  • कत्यूरी के विरुद्ध युद्ध में तीलू रौतेली का साथ दो सहेली बेल्लू, देवली व घोड़ी बिंदूली ने दिया था ।
  • सल्ट जीत कर जब तीलू रौतेली भिलंगभौड़ की तरफ गयी तो उसकी दोनों सहेली बेल्लू, देवली मारी गयी आज वर्तमान में देघाट,बेला घाट कुमांऊ में इन्ही के नाम पर है ।
  • सराई खेत के युद्ध में तीलू रौतेली की घोड़ी बिंदूली मारी गयी कत्यूरी को युद्ध में हराने के बाद नायर नदी पर तीलू स्नान कर रही थी तो राजूरजवार नामक कत्यूरी ने उनकी हत्या कर दी थी ।

तीलू रौतेली के सम्मान  

  • 8 अगस्त को तीलू रौतेली की जयंती मनाई जाती है ।
  • तीलू रौतेली के जीवन पर उपन्यास डॉ० राजेश्वर उनियाल ने लिखा है ।
  • तीलू रौतेली की भव्य प्रतिमा बीरौखाल में है । 
  •  तीलू रौतेली की स्मृति में प्रतिवर्ष बीरौखाल व कांडा ग्राम में कौथिक का आयोजन किया जाता है ।

तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना

1 अप्रैल 2014 को  उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा कृषि कार्य के दौरान दुर्घटना ग्रस्त महिला जो विकलांग हो जाती है उनके लिये तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना शुरुवात की गयी है जो 18 से 60 वर्ष की उम्र तक दी जाती है ।

तीलू रौतेली महिला शक्ति पुरस्कार

तीलू रौतेली के जन्मोत्सव पर  प्रतिवर्ष महिलाओं को राज्य सरकार के महिला सशक्तिकर्ण विभाग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिये राज्य की महिलाओं एवं युवतियों के उत्साह वर्धन के लिये तीलू रौतेली महिला शक्ति पुरस्कार दिये जाते है ।
(1)
फिलीरी दिखेद जैकि धोबी सी मुंदरी,
नाकुणी दिखेंद जैकि खडक सी धार,
औठणी दिखेंद जैकि दालिमा सी फूल,
दांतुणी दिखेंदी जैकि जाई जैसी कली।
बैठायो को, रंग तै को कोठासूं टूटद,
सोवन सिरवाणी जैकी रूपा की पैद्धाणी।
रांड की जोतरा द्रेंदा जलमू की बोली,
तु च्वेलू कुंवर सांचू सिहणी सपूत,
तू ऐल्यो कुंवर मेरा ताता लूहा गढ़।
स्िंहणी को ह्वेलो; ऐलो ये बांका भोटत,
स्यालर्णी को, घ्वेलो; रलयो; भीमली बजार।
(2)
 नौ दिन नौ राति बाला गिजनारै गये,
 नौ लाख कैतुरी कौल धाम झअलु एगे। 
धाम झअलु येगे. बेटा सभा सुन्न रेगे, 
चचड़ैकी उठी कौल बवरैकी बीज। 
जाग दो. ह्वे जांदी हैं नाग सुरीज। 
जाग दो, ह्वे गये बाला कांटो को सुरीज।
तेरि जिया नागीण बाला धावड़ी लगौंदा।
(3)
किलैकी सुरजू बेटा कछड़ी नी औनन्‍्दो,
 किलैकी सुरजू आज ठउ नी जिमदो। 
नौ दिन ह्वेगैना मिन सूरजू नि देख्यो,
 कागई सूरजू मेरा यकुला येकन्तू।
 त्वी बिना कुंवर तेरी भीमली सुन ह्वेगी।

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