चम्बा, हिमाचल प्रदेश: गौरी शंकर मंदिर ( Chamba, Himachal Pradesh: Gauri Shankar Temple )

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चम्बा, हिमाचल प्रदेश: गौरी शंकर मंदिर (chamba, himachal pradesh: gauri shankar mandir)

गौरी शंकर मंदिर 
गौरी शंकर मंदिर चम्बा का निर्माण राजा युगांकर वर्मन ने करवाया था।


  1. गौरी शंकर मंदिर-शिखर शैली का यह मंदिर नागर की शोभा है। गौरी शंकर की प्रतिमा मंदिर में भगवान की स्थापना की गई है। मंदिर में सुंदर चित्रकारी की गई है और इसे लगभग 12वीं सदी का माना जाता है। यह शैव धर्म का इस क्षेत्र में एक मात्र मंदिर हैं।
  2. गौरी शंकर मंदिर: गौरी शंकर का मंदिर नग्गर में नग्गर कैसल के ठीक नीचे स्थित है। बारहवीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का यह अभयारण्य भगवान शिव को समर्पित है। अभयारण्य को गुर्जर-प्रतिहार रीति-रिवाजों का अंतिम मील का पत्थर माना जाता है। यह शिव मंदिर एक ऐतिहासिक स्थल है।
  3. यह अभयारण्य अपनी अद्भुत शिखर शैली इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध है। अभयारण्य में एक मेहराबदार शीर्ष शामिल है जबकि आधार एक बेला के रूप में फिट उपलब्ध है। इसमें नौ मंजिलों वाला सीधा शिखर है और यह अर्धरत्न विषयों और अलंकरणों से सजीव है।
  4. गौरी शंकर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पत्थर की नक्काशी के लिए जाना जाता है। नंदी के ऊपर स्थित मंच पर गौरी और शंकर के प्रतीक स्थापित हैं। गर्भगृह को भगवान गणेश की तस्वीरों की अद्भुत नक्काशी से सजाया गया है, अलग-अलग व्यक्ति विशिष्ट संगीत वाद्ययंत्र बजा रहे हैं और चलती युवतियों की नक्काशी के साथ।
  5. अभयारण्य ब्यास नदी के किनारे भव्य और अटूट हरियाली से घिरा हुआ है। गौरी शंकर अभयारण्य घाटी के सामने है जहाँ कोई कुल्लू घाटी की बर्फ से सुरक्षित चोटियाँ देख सकता है।
  6. चकरोजवाड़ी भूडला में भगवान गौरी शंकर का मंदिर है. यह मंदिर 500 वर्ष पुराना है. मंदिर का निर्माण महंतकिशन पुरी महाराज ने करवाया था. कहा जाता है कि वो महंत यहां तपस्या किया करते थे. एक दिन उनके सपने में भगवान शिव-पार्वती के साथ आए, उसके बाद उन्होंने भगवान शिवका मंदिर बनाने का विचार किया और बाद में उन्होंने शिवजी का मंदिर बना दिया.
गौरी शंकर मंदिर 
बताया जाता है कि जब महंत किशन पुरी महाराज के सपनों में भगवान शिव आए थे तब साथ में मां पार्वती बाएं तरफ थी. उसी को देखते हुए यहां पर महंत किशन पुरी महाराज ने गौरी शंकर का मंदिर बनवा दिया. यह मंदिर इस तरह से बनाया गया कि यहां पर लोग शंकर भगवान के साथ पार्वती की भी पूजा कर सके. इस मंदिर में विराजमान मूर्ति की सबसे बड़ी बात यह है कि यहां भगवान शिव के बाएं अंग में पार्वती विराजमान है. इसलिए यहां इस मंदिर को गौरी शंकर का मंदिर कहा जाता है.
गौरी शंकर मंदिर 

 बावड़ी का निर्माण 

यहां मंदिर के मुख्य द्वार के सामने एक बावड़ी बनी हुई है. उस बावड़ी का निर्माण भी महंत किशन पुरी महाराज ने ही करवाया था. मान्यता है कि यहां पर आसपास में दूर तक पानी नहीं था, उसी को देखते हुए महंत किशन पुरी महाराज ने मंदिर के सामने ही बावड़ी का निर्माण करवा दिया, यह सभी कार्य करने के बाद महंत किशन पुरी महाराज ने यहां पर ही जीवित समाधि ले ली थी. उसके बाद यहां पर उनके समाधि स्थल पर छतरी का निर्माण करवा दिया गया. आज यहां पर 3 साधुओं की छतरी बनी हुई है. उन्होंने यहां पर तपस्या करते हुए जीवित समाधि यहीं पर ली थी.
गौरी शंकर मंदिर 

चमत्कारी मंदिर

यहां के पुजारी शिवदयालपुरी गोस्वामी ने बताया कि यह मंदिर 500 वर्ष पुराना है. यह एक चमत्कारी मंदिर है यहां पर आज भी मंदिर में कुछ दिनों के लिए कई साधु आते हैं और यहां पर तपस्या और भगवान शिव की पूजा करते हैं. सबसे ज्यादा यहां पर इस मंदिर की पूजा साधुओं द्वारा ही की जातीहैं. यहां पर आसपास में पानी की समस्या होने के कारण महंत किशनपुरीमहाराज ने भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए और लोगों को पानी पीने के लिए बावड़ी का ही निर्माण करवा दिया था. यहां पर पहले जंगल हुआ करता था.

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