दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल (Diba Devi Temple Pauri Garhwal )

दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल (Diba Devi Temple Pauri Garhwal )

दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल, यहां हैं हैरान कर देनी वाली अनोखी शक्तियां
दीबा देवी मंदिर

यह वह जगह है जहाँ पहुच कर भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यहाँ का इतिहास बहुत ही आश्चर्यजनक है। समुद्र तल से ऊंचाई 2520 मीटर है। दीबा ने इस स्थान पर तब अवतार लिया जब गोरखाओ ने पट्टी खाटली पर आक्रमण किया था। दीबा ने यहाँ के सबसे पहले पुजारी के सपने में दर्शन दिए और अपना यह स्थान बताया। और इसी स्थान पर उन्होंने इनकी स्थापना कर दी।
दीबा देवी मंदिर
लेकिन यहाँ तक पहुचना इतना आसन भी नही था क्योंकि यह मार्ग सीधा नहीं बल्कि काफी टेढ़ी-मेढ़ी गुफा से होकर उन्हें तय करना था। आज भी जिस स्थान पर मत की मूर्ती स्थापित है। उस स्थान के नीचे गुफा है किन्तु अब वह पूर्ण रूप से ढक चुकी है।

उस वक़्त यहाँ पर माता साक्षात् थी और उनके साथ एक सेवक और वह इसी स्थान से ही सभी लोगो को गोरखाओ के आने की सूचना दिया करती थी। इस स्थान पर किसी की नज़र नहीं जाती थी किन्तु वो सभी को यहाँ से देख सकती थी। और आज भी यहाँ पहुच कर यदि आप देखो तो ऐसा ही है, यहाँ से चारो तरफ नजर जाती है लेकिन दूर-दूर तक कही से भी यहाँ नजर नहीं पहुचती।
दीबा देवी मंदिर

यहाँ पर उस वक़्त गोरखा लोग यहाँ की जनता को जिन्दा ही काट दिया करते या कूट दिया करते थे। परन्तु माता ही उनसे उनकी रक्षा किया करती थी। और अंत में माता ने गोरखाओ का संहार किया। और पट्टी खाटली तथा गुजरू को उनसे आज़ाद करवाया।

उसके पश्चात इस स्थान पर जिस स्थान से माता लोगो को गोरखाओ के आने की सूचना दिया करती थी, उस स्थान पर एक ऐसा पत्थर था की उसे जिस दिशा की और घुमा दिया जाता था उसी दिशा में बारिश होने लगती थी। और इस स्थान का यहाँ की भाषा में नाम धवड़या( आवाज लगाना) है।

दीबा मंदिर की मान्यता के अनुसार दीबा माँ के दर्शन करने के लिए रात को ही चढाई चढ़कर सूर्य उदय से पहले मंदिर पहुंचना होता है। वह से सूर्य उदय के दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। यहाँ की खाशियत ये है कि अगर कोई यात्री अछूता ( परिवार में मृत्यु या नए बच्चे के जन्म) है और अभी शुद्धि नही हुई है तो वह कितना भी प्रयास क्यों न कर ले यहाँ नहीं पहुँच सकता है। और कोई कितना भी बूढ़ा होया बच्चा हो चढ़ाई में कोई भी समस्या नही होती है।
कहा जाता है कि यहाँ पर दीबा माँ भक्तो को सफ़ेद बालो वाली एक बूढी औरत के रूप में दर्शन दे चुकी है। यहाँ पर ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के आस-पास के पेड़ मात्र भंडारी जाती के लोग ही काट सकते है, यदि कोई और कटे तो पेड़ो से खून निकलता है।

दीबा देवी मंदिर फोटो /Diba Devi Temple Photo

दीबा देवी मंदिर फोटो /Diba Devi Temple Photo

दीबा देवी मंदिर फोटो /Diba Devi Temple Photo

दीबा देवी मंदिर फोटो /Diba Devi Temple Photo

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 माता  काली / कालिका / महाकाली मंत्र आरती पूजा चालीसा इत्यधि 

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Frequently Asked Questions (FQCs)  दीबा देवी मंदिर, पौड़ी गढ़वाल 

1. दीबा देवी मंदिर कहां स्थित है?

  • दीबा देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के पट्टी खाटली में स्थित है। यह समुद्र तल से 2520 मीटर की ऊंचाई पर है।

2. दीबा देवी मंदिर की पौराणिक कथा क्या है?

  • दीबा देवी ने गोरखा आक्रमण के दौरान इस क्षेत्र के लोगों की रक्षा करने के लिए अवतार लिया। यह मंदिर उसी स्थान पर स्थित है, जहां माँ ने गोरखाओं से क्षेत्र को बचाने के लिए अपनी उपस्थिति दिखाई थी।

3. दीबा देवी मंदिर तक कैसे पहुंचें?

  • दीबा देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए एक कठिन चढ़ाई करनी होती है। रास्ता सीधा नहीं है और आपको गुफाओं से होते हुए यहाँ तक पहुँचना होता है।

4. दीबा देवी मंदिर के आसपास के पेड़ों से खून जैसा तरल क्यों निकलता है?

  • स्थानीय मान्यता के अनुसार, दीबा देवी मंदिर के आसपास के पेड़ पहले मनुष्य थे, जो एक श्राप के कारण पेड़ बन गए। इन पेड़ों को केवल भंडारी जाति के लोग ही काट सकते हैं, अन्यथा इनसे खून जैसा तरल पदार्थ निकलता है।

5. दीबा देवी की पूजा की खासियत क्या है?

  • दीबा देवी की पूजा के लिए भक्तों को सूर्य उदय से पहले मंदिर पहुंचना होता है। इसके बाद सूर्य के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। इस मंदिर में किसी भी अछूते व्यक्ति का दर्शन करना संभव नहीं होता है, यदि परिवार में मृत्यु या नए बच्चे का जन्म हुआ हो और शुद्धि न हुई हो।

6. क्या दीबा देवी भक्तों को सफेद बालों वाली महिला के रूप में दर्शन देती हैं?

  • ऐसी मान्यता है कि दीबा देवी कभी-कभी सफेद बालों वाली एक बूढ़ी महिला के रूप में भक्तों को दर्शन देती हैं। हालांकि, इसकी सच्चाई को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

7. दीबा देवी मंदिर में कौन से चमत्कारी पत्थर पाए जाते हैं?

  • दीबा देवी मंदिर के पास एक विशेष पत्थर है, जिसे जिस दिशा में घुमा दिया जाता है, उस दिशा में बारिश होने लगती है। यह पत्थर उस स्थान पर स्थित है, जहां से दीबा देवी गोरखा सेनाओं के आने की सूचना देती थीं।

8. दीबा देवी मंदिर का इतिहास क्या है?

  • दीबा देवी मंदिर का इतिहास बहुत ही रोमांचक और चमत्कारी है। यहां पर देवी ने गोरखाओं से क्षेत्र की रक्षा की और इस स्थान को धन्य किया। मंदिर के नीचे एक गुफा है, जिसे देवी के समय में उपयोग किया जाता था।

9. दीबा देवी मंदिर में क्यों नहीं हो सकते ढोल-दमू के साथ दर्शन?

  • मंदिर की मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति ढोल-दमू के साथ मंदिर पहुंचता है, तो उसे दर्शन नहीं मिलते हैं। इसे मंदिर की शांति में हस्तक्षेप माना जाता है।

10. दीबा देवी मंदिर के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता कैसी है?

  • दीबा देवी मंदिर के चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता बहुत अद्भुत है। यहाँ से दूर-दूर तक साफ-साफ दृश्य दिखाई देते हैं, लेकिन मंदिर के आसपास से ही दृश्य कहीं भी नहीं दिखता।

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