मंडी के प्रसिद्ध टारना मंदिर का इतिहास History Tarna devi mandir mandi | Tarna mata temple mandi | mata shyama kali mandir tarna | Himachal

मंडी के प्रसिद्ध टारना मंदिर का इतिहास History Tarna devi mandir mandi | Tarna mata temple mandi | mata shyama kali mandir tarna | Himachal

श्यामा काली मंदिर 

माता श्यामा काली मंदिर के बारे में

माता श्यामा काली मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में स्थित है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। भक्तों का मानना ​​है कि मंदिर में मनोकामना पूरी होती है।

प्रसिद्ध टारना मंदिर मंडी 

श्यामा काली मंदिर 

तरना देवी मंदिर एक दिव्य मंदिर है जो देवी श्यामा काली (देवी पार्वती के अवतार) को समर्पित है। यह मंदिर घने जंगल के बीच समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढके पहाड़ों का शानदार दृश्य वहां जाने का एक कारण है।

इस मंदिर को श्यामा काली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था। कहा जाता है कि मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। इस मंदिर में देवी-देवताओं और गुरुओं की कई खूबसूरत पेंटिंग भी हैं।

मंदिर के अंदर, देवी काली और महिषासुरमर्दिनी की तीन मुखी प्रतिमा है। दुनिया भर से लोग दूर-दूर से श्यामा काली का आशीर्वाद लेने के लिए इस स्थान पर आते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को 300 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी होंगी। एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर एक शानदार प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है।

मंडी के प्रसिद्ध टारना मंदिर का इतिहास

मंडी के प्रसिद्ध टारना मंदिर का इतिहास

मंडी। रियासतकालीन मंडी के राजा श्याम सेन (1664-1679 ए.डी.) ने अपनी राजधानी मंडी में समुद्रतल से करीब 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाडी की चोटी पर प्रसिद्ध श्यामाकाली मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर में कुछ वर्षों पहले तक हर साल सौज महिने (सितंबर-अक्तुबर) में 9 दिनों तक मेला आयोजित होता था। लेकिन विगत कई सालों से यह मेला अपना अस्तित्व खो चुका है। टारना मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है। मंदिर के निर्माण के संबंध में मंडी के इतिहास में रोचक जानकारियां उपलब्ध हैं। गजेटियर आफ द मंडी स्टेट 1920 और हिस्ट्री आफ मंडी स्टेट में मंदिर निर्माण के संबंध में उल्लेख मौजूद हैं। दरअसल, रियासत काल में मंडी और सुंदरनगर की राजधानियों के बीच स्थित करीब 10 मील लंबे और दो मील चौडे बल्ह के उपजाऊ मैदान पर कब्जा करने की प्रतिद्वंदिता इन दोनों रियासतों के बीच अनेकों युद्धों का कारण रहती थी। श्यामाकाली मंदिर के निर्माण से जुडी ऐसी ही एक कहानी मंडी रियासत के कसीदों में सुनायी जाती है। उस समय सुकेत का राजा जीत सेन था और वह मंडी के राजा के प्रति दुर्भावना रखता था। जीत सेन ने श्याम सेन का रंग काला होने के कारण उसे ठिकर (काले रंग का लोहे का बर्तन) नाथ उपनाम दे दिया था। मंडी रियासत का एक एजेंट पत्र लेकर सुकेत गया हुआ था। एक दिन उससे मजाक में पूछा गया कि ठिकर नाथ क्या कर रहा है। जिस पर उसने सुकेत राजा को तुरंत जवाब दिया कि ठिकर नाथ लाल और तपा हुआ है और अनाज को भूनने के लिए तैयार है। इस बेइज्जती के बारे में सुनकर श्याम सेन क्रोध से उतेजित हो गया और उसने सुकेत पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। अपने राजकुमार गुर सिंह व भारी फौज के साथ वह बल्ह के मैदान की ओर बढ़ा और लोहारा के युद्ध में सुकेत प्रमुख को पूरी तरह से उखाड दिया। जीतसेन अपनी राजधानी की ओर भागा लेकिन कांगडा के एक कटोच जो मंडी में नौकरी करता था ने उसे पकड लिया। राजा के जीवन की भीख मांगने पर कटोच ने उसके शाही निशान छीन लिए और इन्हें श्याम सेन के समक्ष प्रस्तुत किया। राजा ने खुश होकर कटोच को द्रंग की खान से नमक की मात्रा पीढी दर पीढी देने का ऐलान किया। राजा श्याम सेन ने युद्ध पर जाने से पहले काली माता से प्रण किया था कि अगर विजयी हुआ तो वह माता का एक भव्य मंदिर बनाएगा। मंडी लौटकर उन्होने सबसे पहले श्यामाकाली का मंदिर बनाने का आदेश जारी किया था।

तीर्थयात्रा और उत्सव

पूरे वर्ष, श्यामाकाली मंदिर प्रार्थनाओं और भजनों की लयबद्ध मंत्रोच्चार से गूंजता रहता है, जिससे तीर्थयात्रियों और भक्तों की भक्ति गूंजती रहती है। नवरात्रि और दिवाली जैसे त्योहारों में भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसमें विस्तृत अनुष्ठान, रंगारंग जुलूस और मंदिर परिसर में सांस्कृतिक प्रदर्शन होते हैं। ये जीवंत उत्सव न केवल ईश्वर का सम्मान करते हैं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी जश्न मनाते हैं, जो लोगों को आनंदमय सौहार्द और आध्यात्मिक मेलजोल में एकजुट करते हैं।

टार्ना हिल और उससे आगे की खोज

अपने आध्यात्मिक महत्व से परे, टार्ना हिल प्रकृति प्रेमियों और साहसिक चाहने वालों के लिए एक स्वर्ग प्रदान करता है। ट्रैकिंग के रास्ते घने जंगलों और अल्पाइन घास के मैदानों से होकर गुजरते हैं, जहां से हिमालय की चोटियों और नीचे हरी-भरी घाटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। पर्यटक पराशर झील, बरोट घाटी और रिवालसर झील जैसे आसपास के आकर्षणों का भी पता लगा सकते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा आकर्षण और आकर्षण है।

मंडी के मनमोहक क्षेत्र के मध्य में, टारना हिल के शांत आलिंगन के बीच, श्यामकाली मंदिर आस्था, आशा और दैवीय कृपा के प्रतीक के रूप में खड़ा है। चाहे आप आध्यात्मिक सांत्वना, सांस्कृतिक विसर्जन, या रोजमर्रा की जिंदगी की अराजकता से राहत चाहते हों, इस पवित्र अभयारण्य की यात्रा एक समृद्ध अनुभव का वादा करती है जो सांसारिकता से परे है और आपको ब्रह्मांड की शाश्वत लय से जोड़ती है। आइए, श्यामकाली मंदिर की दिव्य यात्रा पर निकलें, जहां हर पल एक प्रार्थना है, और हर कदम आत्मा की तीर्थयात्रा है।

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