क्यूंकालेश्वर मन्दिर, पौड़ी गढ़वाल Kyunkaleshwar Temple, Pauri Garhwal
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क्यूंकालेश्वर मंदिर (Kyunkaleshwar Temple, Pauri Garhwal) |
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क्यूंकालेश्वर मंदिर (Kyunkaleshwar Temple, Pauri Garhwal) |
क्यूंकालेश्वर मंदिर का इतिहास व मान्यताऐं | History & Beliefs of Kyunkaleshwar Temple
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क्यूंकालेश्वर मंदिर (Kyunkaleshwar Temple, Pauri Garhwal) |
पौराणिक मान्यता
क्यूंकालेश्वर मंदिर से जुड़े कुछ अन्य तर्क | Some other arguments related to Kyunkaleshwar temple
- पहली मान्यता के अनुसार इस मंदिर आदि गुरु शंकराचार्य ने इसकी स्थापना अपनी केदारखंड की यात्रा के दौरान की थी। क्यूंकि इसकी वास्तुकला केदारनाथ मंदिर से मिलती है। हालाँकि केदारखंड की उनकी यात्रा वर्षो पुरानी है।
- वहीं अन्य तर्क है कि इस मंदिर की नींव नेपाल से इस स्थान पर तपस्या करने आये दो मुनि मित्र शर्मा व मुनि शर्मा ने रखी। उनकी कुटिया मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्तिथ थी तथा वे पानी लेन के दौरान इस स्थान पर विश्राम करते थे। कहते हैं कि एक दिन उन्होंने अपने स्वपन में देखा कि इस स्थान पर यम ने शिव की तपस्या की थी। तभी उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। उस समय यह क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत आता था अतः उन्होंने भी इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया यही कारण है इस मंदिर के प्रांगण में स्तिथ एक बैठने के चूबतरे पर लार्ड पंचम का नाम लिखा है।
- दूसरी और इस मंदिर का नाम भगवान शिव के नाम कंकालेश्वर के नाम पर रखा गया था जबकि शब्दों के अपभ्रंश होने के कारण यह क्यूंकालेश्वर से जाना जाने लगा। वहीं उत्तराखंड के पर्यटन विभाग ने भी इस मंदिर का नाम क्यूंकालेश्वर बताया है उसी नाम का हम भी प्रयोग कर रहे हैं।
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क्यूंकालेश्वर मंदिर (Kyunkaleshwar Temple, Pauri Garhwal) |
मन्दिर परिसर
संस्कृत विद्यालय की स्थापना
- श्री शिवजी की आरती (शिवजी की आरती) (Lord Shiva / Mahadev - Aarti of Shri Shiva (Aarti of Shiva))
- श्री महाकाल की आरती / श्री महाकाल स्तुति (Shri Mahakal Ki Aarti Shri Mahakal Stuti )
- भगवान् शिव या भोलेनाथ / महादेव - शिव आरती (Lord Shiva or Bholenath / Mahadev - Shiva Aarti)
- भगवान शिव के 108 नामों (Lord Shiva or Bholenath / Mahadev - 108 names of Lord Shiva)
- भगवान् शिव या भोलेनाथ / महादेव - भगवान शिव मंत्र (Lord Shiva or Bholenath / Mahadev - Lord Shiva Mantra)
- द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम (Lord Shiva / Mahadev Dwadash Jyotirlinga Stotram)
- काशी विश्वनाथष्टकम स्तोत्रम (Lord Shiva / Mahadev - Kashi Vishwanathshtakam Stotram)
- अर्ध नारीश्वर अष्टकम स्तोत्रम (Lord Shiva or Bholenath / Mahadev - Ardh Narishwar Ashtakam Stotram)
- शिवाष्टकम स्तोत्रम (Lord Shiva or Bholenath / Mahadev - Shivashtakam Stotram)
- रुद्राष्टकम (Lord Shiva / Mahadev - Rudrashtakam)
- श्री शिवशंकरजी की आरती "हर हर हर महादेव! " (Lord Shiva / Mahadev - Aarti of Shri Shiva (Aarti of Shiva))
- शिव चालीसा (Lord Shiva / Mahadev Shiva Chalisa)
- शिवरात्रि पूजा | (Lord Shiva or Bholenath / Mahadev - Shivaratri Puja |)
- भगवान् शिव या भोलेनाथ / महादेव - शिवरात्रि आरती (Lord Shiva or Bholenath / Mahadev - Shivaratri Aarti)
क्यूंकालेश्वर मंदिर (Kyunkaleshwar Temple, Pauri Garhwal) से संबंधित FQCs
1. क्यूंकालेश्वर मंदिर कहां स्थित है?
क्यूंकालेश्वर मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले के सिद्धपीठ क्षेत्र में स्थित है, जो समुद्रतल से लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर है। यह स्थान पौड़ी से लगभग 2.5 किमी की दूरी पर है।
2. क्यूंकालेश्वर मंदिर की धार्मिक महत्ता क्या है?
यह मंदिर धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां भक्त शिवलिंग में जल और दूध चढ़ाने के लिए श्रावण मास के सोमवार को विशेष रूप से आते हैं। मंदिर का धार्मिक इतिहास और पौराणिक मान्यताएं इसे एक प्रमुख शिव मंदिर बनाती हैं।
3. क्यूंकालेश्वर मंदिर का इतिहास क्या है?
क्यूंकालेश्वर मंदिर का इतिहास स्कन्दपुराण के केदारखंड में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि यमराज ने इस स्थान पर भगवान शिव की तपस्या की थी। शिव ने यमराज को वरदान देकर उन्हें मुक्ति का मार्ग दिखाया। क्यूंकालेश्वर नाम की उत्पत्ति इस घटना से जुड़ी हुई है।
4. क्यूंकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला कैसी है?
क्यूंकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला केदारनाथ मंदिर से मिलती-जुलती है, जो इसे ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाती है। इसका निर्माण समय के साथ हुआ, और इसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक तत्त्वों का समावेश है।
5. क्यूंकालेश्वर मंदिर से जुड़ी अन्य मान्यताएं क्या हैं?
कई मान्यताएं इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं। एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी, जबकि दूसरी मान्यता के अनुसार, नेपाल से आए दो मुनियों ने इस मंदिर की नींव रखी थी। मंदिर के निर्माण में ब्रिटिश सरकार का भी योगदान माना जाता है।
6. क्यूंकालेश्वर मंदिर के दर्शन कैसे करें?
क्यूंकालेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए पौड़ी बस स्टेशन से कार या टैक्सी द्वारा लगभग 2.5 किमी का सफर तय किया जा सकता है। मंदिर से हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं और अन्य धार्मिक स्थल जैसे त्रिशूल, चौखम्बा, नन्दा देवी आदि के दृश्य स्पष्ट रूप से दिखते हैं।
7. क्यूंकालेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा क्या है?
क्यूंकालेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार, यहां यमराज ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। शिव ने यमराज को वरदान दिया और कलियुग में गुप्त रूप में प्रकट होने का वचन लिया। यहीं पर शिव ने अपने भक्तों को मुक्ति देने का वचन भी दिया था।
8. क्या क्यूंकालेश्वर मंदिर में कोई शिक्षा संस्थान भी है?
जी हां, क्यूंकालेश्वर मंदिर परिसर में महन्त हरिशर्मा मुनि जी ने 1870 में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की थी। यह विद्यालय अब भी छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा, भोजन, और आवास की सुविधा प्रदान करता है।
9. क्यूंकालेश्वर मंदिर का योगदान किस प्रकार से हुआ?
क्यूंकालेश्वर मंदिर का विकास महन्त श्री चैतन्यानन्द जी द्वारा किया गया, जिन्होंने मठ को नया रूप दिया और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की सुविधाएं प्रदान की। इसके अलावा, इस मंदिर की वास्तुकला में कई ऐतिहासिक परिवर्तन हुए हैं जो इसके धार्मिक महत्व को बढ़ाते हैं।
10. क्यूंकालेश्वर मंदिर के आसपास के दृश्य किस प्रकार के हैं?
क्यूंकालेश्वर मंदिर से हिमालय की लम्बी पर्वत श्रृंखलाओं की खूबसूरत और हिमाच्छादित चोटियां जैसे चौखम्बा, त्रिशूल, नन्दा देवी आदि दिखाई देती हैं। यह दृश्य मंदिर की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ा देते हैं।
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