सीताराम मंदिर चम्बा (Lord Rama Sita Ram Temple Chamba, Himachal Pradesh)

चम्बा में सीता राम मंदिर(Lord Rama Sita Ram Temple Chamba)

  • अधिकतर आवासीय क्षेत्र में स्थित, 17वीं शताब्दी का यह फोटोजेनिक छोटा शिखर मंदिर राम को समर्पित है।
  • नागर शैली की वास्तुकला में पत्थरों से निर्मित सीता राम मंदिर, भगवान राम और उनकी पत्नी सीता को समर्पित है। इसका निर्माण पृथ्वी सिंह की नर्स बटलू दाई ने उनके शासनकाल (1641-1664) के दौरान करवाया था। 
  • यह मोहल्ला बंगोटू के चौराहे पर एक ऊंचे मंच पर खड़ा है 
  • और इसका मुख दक्षिण की ओर है। मुख्य मंदिर के किनारे एक और छोटा मंदिर है, जो हनुमान को समर्पित है।
चम्बा में सीता राम मंदिर(Lord Rama Sita Ram Temple Chamba)
 प्रदेश के जिला कांगड़ा में बैजनाथ स्थित प्राचीनतम शिव मंदिर के अंदर दो शिलालेखों से 12वीं और 13वीं शताब्दी के इतिहास का पता चलता है कि कांगड़ा के राजा जयचंद थे, जिन्होंने लंबागांव के निकट जयसिंहपुर नगर की स्थापना की थी। यहां से व्यास नदी का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। जयसिंहपुर के सुआ गांव से 3 किमी. दूर बाबा भौड़ी सिद्ध मंदिर और आशापुरी मंदिर में भी लोग अपनी मनोकामनाएं मांगने जाते हैं। 
चम्बा में सीता राम मंदिर(Lord Rama Sita Ram Temple Chamba)
जहां तक जयसिंहपुर के बीजापुर गांव में सीताराम जी मंदिर के इतिहास का सवाल है, तो बताया जाता है कि बीजापुर गांव राजा विजय चंद द्वारा लगभग 1660 ई. में बसाया गया था। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक सीताराम जी मंदिर का निर्माण राजा विजय चंद द्वारा सन् 1690 में करवाया गया। मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका तो राजा विजय चंद ने मूर्ति स्थापना के बारे में विचार किया कि मूर्तियां कहां से लाकर स्थापित की जाएं। तब उन्हें स्वप्न हुआ कि हारसी पत्तन के गांव काथला (वेई) के नजदीक व्यास नदी की गहराई में सीता, राम और लक्ष्मण की मूर्तियां एक काले रंग की शिला पर अंकित हैं, जिन्हें तराशकर मंदिर में लाकर स्थापित किया जाए। जब मूर्तियां तैयार हो गईं तो राजा ने उन्हें लाने के लिए अपने आदमी भेजे पर वे लोग मूर्तियों को उठा नहीं सके। राजा को पुनः स्वप्न हुआ कि मूर्तियां लाने राजा खुद जाएं, दूसरे दिन राजा अपने दरबारियों के साथ स्वयं वहां गए और मूर्तियों को वहां से बाजे के साथ लाकर मंदिर में स्थापना करवाई। स्थापना करवाने के बाद मंत्रोच्चारण द्वारा मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा की गई तब भी राजा को विश्वास नहीं हुआ कि मूर्तियों में जीवदान पड़ गया है। 

इस पर राजा विजय चंद मंदिर में मूर्तियों के सामने हठपूर्वक बैठ गए और भगवान से प्रार्थना करने लगे कि मुझे विश्वास दिलाया जाए कि इन मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। रात को राजा विजय चंद को स्वप्न हुआ कि आप भगवान की छाती पर हाथ रख कर उनमें प्राणों का एहसास कर सकते हो। सुबह उठकर राजा स्नान, पूजा-पाठ करने के बाद सीता राम मंदिर में भगवान राम के सामने पहुंचे और स्वपन के अनुसार भगवान श्री राम जी की छाती पर हाथ रखा, तो राजा को एहसास हुआ कि भगवान श्री राम जी की मूर्ति ने दो बार श्वास लिया है। मंदिर के प्रांगण में भगवान हनुमानजी की एक अद्भुत मूर्ति स्थापित है। ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार जब भारत वर्ष के प्राचीन मंदिरों पर मुगलों के आक्रमण हो रहे थे, उस समय सीताराम मंदिर में भी मुगलों द्वारा आक्रमण किया गया, जिसमें मुगल सैनिकों ने हनुमान जी की मूर्ति के हाथ काट दिए।
चम्बा में सीता राम मंदिर(Lord Rama Sita Ram Temple Chamba)
 जैसे ही प्रभु प्रतिमा के हाथ काटे गए, तो हनुमान जी की मूर्ति के नाक और कान से रंगड़ निकलने लगे और मुगल आक्रमणकारियों को काटने लगे जिससे मुगल आक्रमणकारियों का सफाया हो गया। यह रंगड़ आज भी मंदिर में पाए जाते हैं। किंवदंतियों के अनुसार अगर किसी के बच्चे बीमार रहते हों, तो बच्चे को मां दुर्गा के चरणों में रखा जाता है और फिर माता जी को कुछ द्रव्य अर्पणकर बच्चों को माता जी से लिया जाता है ऐसा करने से बच्चों की दुख तकलीफ  दूर हो जाती है और माता की कृपा बनी रहती है। मंदिर में चार समय भोग और आरती का विधान है। सीता राम मंदिर में चैत्र नवरात्र पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है, जिसमें श्री राम जन्मोत्सव के साथ-साथ दशमी के दिन विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। इसमें बहुत दूर-दूर से लोग भंडारे में भाग लेकर भगवान की कृपा के पात्र बनते हैं। 

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