माँ धारी देवी मंदिर श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल (Maa Dhari Devi Temple Srinagar Pauri Garhwal)
माँ धारी देवी फोटो /Maa Dhari Devi photo |
देवी काली को समर्पित मंदिर यह मंदिर इस क्षेत्र में बहुत पूजनीये है। लोगों का मानना है कि यहाँ धारी माता की मूर्ति एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं पहले एक लड़की फिर महिला और अंत में बूढ़ी महिला । एक पौराणिक कथन के अनुसार कि एक बार भीषण बाढ़ से एक मंदिर बह गया और धारी देवी की मूर्ति धारो गांव के पास एक चट्टान के रुक गई थी। गांव वालों ने मूर्ति से विलाप की आवाज सुनाई सुनी और पवित्र आवाज़ ने उन्हें मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया।
हर साल नवरात्रों के अवसर पर देवी कालीसौर को विशेष पूजा की जाती है। देवी काली के आशीर्वाद पाने के लिए दूर और नजदीक के लोग इस पवित्र दर्शन करने आते रहे हैं।मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी मौजूद है ।यह मंदिर दिल्ली-राष्ट्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग 55 पर श्रीनगर से 15 किमी दूर है ।अलकनंदा नदी के किनारे पर मंदिर के पास तक 1 किमी-सीमेंट मार्ग जाता है।
नवरात्र के दिनों में उत्तराखंड की धारी देवी मंदिर की भी काफी मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रों में इंसान जो भी इच्छा लेकर वहां जाता है, खाली हाथ वापस नहीं लौटता है. इस मंदिर की खास बात है कि यहां विराजमान देवी मां की प्रतिमा तीन बार रूप बदलती हैं.
धारी देवी क्यों प्रसिद्ध है?
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार. भक्त उन्हें बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से क्षेत्र का रक्षक मानते हैं । माना जाता है कि धारी देवी की मूर्ति देवी काली की मूर्ति है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे शक्तिशाली देवताओं में से एक है।
माँ धारी देवी फोटो /Maa Dhari Devi photo
माँ धारी देवी फोटो /Maa Dhari Devi photo |
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Frequently Asked Questions (FQCs) – माँ धारी देवी मंदिर श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल
माँ धारी देवी मंदिर कहाँ स्थित है?
- माँ धारी देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है। यह मंदिर दिल्ली-राष्ट्रीय राजमार्ग 55 पर श्रीनगर से 15 किलोमीटर दूर है और अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है।
धारी देवी की मूर्ति दिन में कितनी बार रूप बदलती है?
- धारी देवी की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है: पहले यह एक लड़की के रूप में, फिर महिला के रूप में और अंत में एक बुजुर्ग महिला के रूप में दिखती है। यह विशेषता मंदिर को और भी अद्भुत बनाती है।
धारी देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
- धारी देवी मंदिर स्थानीय मान्यताओं के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ और भूस्खलन से क्षेत्र की रक्षा करने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध है। देवी काली को समर्पित यह मंदिर भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
क्या धारी देवी के दर्शन के लिए विशेष दिन होते हैं?
- हाँ, नवरात्रि के दिनों में माँ धारी देवी की विशेष पूजा की जाती है। इस समय भक्तों की संख्या में वृद्धि होती है और कई श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को लेकर मंदिर आते हैं।
माँ धारी देवी के दर्शन के बाद क्या लाभ होते हैं?
- श्रद्धालुओं का मानना है कि माँ धारी देवी के दर्शन से उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा मिलती है। खासतौर पर नवरात्रों में यहां आने वाले भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
क्या मंदिर के पास कोई अन्य स्थल है जिसे देखा जा सकता है?
- हाँ, माँ धारी देवी मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी स्थित है, जिसे भक्त अक्सर दर्शन करने जाते हैं।
धारी देवी मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
- मंदिर तक पहुँचने के लिए एक किमी लंबा सीमेंट मार्ग है जो अलकनंदा नदी के किनारे से जाता है। श्रीनगर से मंदिर की दूरी 15 किमी है, और यह राष्ट्रीय राजमार्ग 55 से जुड़ा हुआ है।
माँ धारी देवी की मूर्ति का इतिहास क्या है?
- एक पौराणिक कथानुसार, धारी देवी की मूर्ति एक बाढ़ में बह गई थी और धारो गांव के पास एक चट्टान पर रुक गई थी। इस स्थान से एक दिव्य आवाज सुनाई दी, जिसके बाद गांव वालों ने मूर्ति को वापस स्थापित किया।
माँ धारी देवी की पूजा कब की जाती है?
- माँ धारी देवी की पूजा मुख्य रूप से नवरात्रि में की जाती है। इसके अतिरिक्त, भक्तों द्वारा प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है।
क्या धारी देवी का कोई विशेष रूप है?
- हाँ, धारी देवी की मूर्ति का रूप बदलता है और इसे देवी काली के रूप में पूजा जाता है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में एक शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं।
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