माँ धारी देवी पुराने मंदिर की फोटो /Photo of Maa Dhari Devi old temple

 माँ धारी देवी पुराने मंदिर की फोटो /Photo of Maa Dhari Devi old temple

 माँ धारी देवी पुराने मंदिर की फोटो /Photo of Maa Dhari Devi old temple

मां धारी देवी मंदिर की दंत कथा

मां धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित है और यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी एक रहस्यमयी और दिलचस्प दंत कथा भी जुड़ी हुई है। यह कथा मां धारी के जीवन और उनकी दिव्य शक्ति को दर्शाती है।

कहा जाता है कि मां धारी देवी सात भाइयों की इकलौती बहन थीं। उनके माता-पिता के देहांत के बाद, उनके सातों भाई उनका पालन-पोषण करते थे और वे अपने भाईयों की खूब सेवा करती थीं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, उनके भाइयों को यह ज्ञात हुआ कि उनकी बहन के ग्रह उनके लिए खराब हैं, जिसके कारण वे अपनी बहन से नफ़रत करने लगे।

जब मां धारी देवी की आयु तेरह वर्ष की हुई, तो उनके पांच भाइयों की अचानक मृत्यु हो गई। बचने वाले दो भाइयों को यह विश्वास हो गया कि उनकी बहन के खराब ग्रहों के कारण ही उनके भाइयों की मौत हुई है। यह सोचकर, उन्होंने रात के समय में अपनी बहन की हत्या कर दी और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में सिर और धड़ को गंगा में बहा दिया गया।

मां धारी देवी का सिर बहते हुए धारी गांव के पास अलकनंदा नदी में पहुंचा। एक दिन प्रातःकाल, नदी किनारे कपड़े धो रहे एक व्यक्ति ने देखा कि एक कन्या डूब रही है। वह उसे बचाने के प्रयास में नदी की ओर बढ़ा, लेकिन पानी की गहराई के कारण वह पीछे हट गया। तभी उस सिर में से एक दिव्य आवाज आई, "डर मत, मुझे बचा, तू जहां-जहां पैर रखेगा, वहां सीढ़ियां बनती जाएंगी।"

व्यक्ति ने वैसा ही किया और आश्चर्यजनक रूप से सीढ़ियां बनती गईं। जैसे ही उसने सिर को उठाया, उसे देख कर घबराया क्योंकि वह सिर बिना धड़ के था। लेकिन फिर से उसी सिर से आवाज आई, "मैं देवी रूप में हूं, मुझे किसी पवित्र स्थान पर पत्थर के ऊपर स्थापित कर दो।" उस व्यक्ति ने वही किया और देवी ने उसे अपनी पूरी कहानी सुनाई और फिर पत्थर में बदल गई।

कहा जाता है कि मां धारी देवी के शरीर का बाकी हिस्सा मठियाणाखाल में है, जहां वे मथाणा मां के रूप में सुप्रसिद्ध हैं। इस प्रकार, मां धारी का स्थान पवित्र और रहस्यमयी माना जाता है।

मां धारी देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त धारी देवी मंदिर की ओर रुख करते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर भी है।

धारी देवी मंदिर का स्थान
मां धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है। यह अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

मां की कृपा
मां धारी देवी की कृपा संपूर्ण जगत पर सदैव बनी रहे। भक्तों की श्रद्धा और भक्ति के कारण, यह मंदिर हमेशा एक प्रमुख श्रद्धास्थल बना रहेगा।

खूबसूरत दर्शन
मां धारी देवी मंदिर के दर्शन करने से भक्तों को एक अलौकिक अनुभव होता है, जो उनके जीवन में शांति और आशीर्वाद लेकर आता है।

🙏🙏🌹जय माँ धारी देवी🌹🙏🙏


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Frequently Asked Questions (FQCs) – माँ धारी देवी मंदिर श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल

  1. माँ धारी देवी मंदिर कहाँ स्थित है?

    • माँ धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल में स्थित है। यह मंदिर दिल्ली-राष्ट्रीय राजमार्ग 55 पर श्रीनगर से 15 किलोमीटर दूर है और अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। मंदिर तक 1 किलोमीटर लंबा सीमेंट मार्ग है।
  2. माँ धारी देवी की मूर्ति दिन में कितनी बार रूप बदलती है?

    • माँ धारी देवी की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है। पहले यह एक लड़की के रूप में, फिर महिला के रूप में और अंत में एक बुजुर्ग महिला के रूप में दिखाई देती है। यह विशेषता इस मंदिर को और भी अद्भुत बनाती है।
  3. माँ धारी देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

    • माँ धारी देवी मंदिर बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से क्षेत्र की रक्षा करने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध है। इसे देवी काली की मूर्ति के रूप में पूजा जाता है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे शक्तिशाली देवताओं में से एक मानी जाती हैं।
  4. धारी देवी की मूर्ति का इतिहास क्या है?

    • एक पौराणिक कथा के अनुसार, माँ धारी देवी की मूर्ति एक बार एक भीषण बाढ़ में बह गई थी और धारो गांव के पास एक चट्टान पर रुक गई। गांववालों ने मूर्ति से विलाप की आवाज़ सुनी और फिर देवी के निर्देश पर मूर्ति को स्थापित किया।
  5. क्या मंदिर में विशेष पूजा की जाती है?

    • हाँ, हर साल नवरात्रि के अवसर पर देवी काली के विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है। इस समय भक्तों की संख्या में वृद्धि होती है और लोग देवी के आशीर्वाद के लिए यहाँ आते हैं।
  6. माँ धारी देवी के दर्शन के लाभ क्या हैं?

    • भक्तों का मानना है कि माँ धारी देवी के दर्शन से उनकी इच्छाएँ पूरी होती हैं। खासकर नवरात्रि में यहाँ आने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है।
  7. क्या मंदिर के पास अन्य आकर्षण हैं?

    • हाँ, मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी स्थित है, जो भक्तों के लिए एक और आकर्षण का केंद्र है।
  8. धारी देवी मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

    • श्रीनगर से 15 किमी दूर स्थित इस मंदिर तक पहुँचने के लिए एक किमी लंबा सीमेंट मार्ग है जो अलकनंदा नदी के किनारे से जाता है। सड़क से मंदिर तक पहुँचने के लिए कार या टैक्सी का उपयोग किया जा सकता है।
  9. माँ धारी देवी की पूजा का विशेष समय क्या है?

    • विशेष रूप से नवरात्रि के समय माँ धारी देवी की पूजा अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। भक्त इस समय देवी की विशेष पूजा अर्चना करने के लिए मंदिर आते हैं।
  10. क्या माँ धारी देवी का रूप बदलता है?

    • हाँ, मंदिर में माँ धारी देवी की मूर्ति तीन बार रूप बदलती है – एक बार वह लड़की के रूप में, फिर महिला और अंत में बूढ़ी महिला के रूप में होती है।

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