श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ पौड़ी गढ़वाल (देवलगढ़ का उत्तराखण्ड) Shri Rajrajeshwari Siddhapeeth Pauri Garhwal (Dewalgarh of Uttarakhand)
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ पौड़ी गढ़वाल (देवलगढ़ का उत्तराखण्ड) Shri Rajrajeshwari Siddhapeeth Pauri Garhwal (Dewalgarh of Uttarakhand)
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ पौड़ी गढ़वाल (देवलगढ़ का उत्तराखण्ड) |
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ स्थानीय महत्व
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ |
किवदंती है कि कांगड़ा (हि.प्र.) से आये किसी देवल नामक राजा ने देवलगढ़ को बसाया था, उसने यहाँ पर कई भव्य मन्दिर बनवाये। कालान्तर में गढ़वाल के राजा अजयपाल ने कालनाथ भैरव के आशीर्वाद से चाँदपुरी गढ़ी से अपनी राजधानी स्थानान्तरित कर देवलगढ़ में अपनी राजधानी बनवाई थी।
बाद में श्रद्वालुओं द्वारा यहाँ पर अनेक मन्दिरों का निर्माण कराया गया। ये मन्दिर एवम् इनमें स्थापित मूर्तियाँ हमारी धार्मिक एवम् सांस्कृतिक परम्परा की अनुपम धरोहर हैं।
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ स्थानीय परम्परा
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ |
देवलगढ़ मन्दिर समूह की यात्रा करने वाले श्रद्दालुओं को अवगत कराता है कि-'माँश्री गौरा माता,' क्षेत्रपाल देवता, काल भैरव एवं माँ श्री राजराजेश्वरी तीनों सिद्धपीठों के दर्शन पूजन से देवलगढ़ मन्दिर समूह की यात्रा पूर्ण मानी जाती है।
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ |
- श्री गौरा देवी विजयतेतराम्
- सर्वरूपमयी देवी सर्वदेवीमयं जगत
- अहोतं विश्वरूपां तां नमामि परमेश्वरीम
- माँ श्री गौरादेवी- प्राचीन सिंट्पीठ
- श्री कालनाथ भैरव एवम श्री सत्यनाय सिद्धपीठ
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ, देवलगढ़ (उत्तराखंड) के लिए FQCs और कीवर्ड्स
नीचे श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ से जुड़े सामान्य रूप से पूछे जाने वाले प्रश्न (FQCs) और कीवर्ड दिए गए हैं:
FQCs (Frequently Queried Content):
1. मंदिर का परिचय और महत्व
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ कहाँ स्थित है?
श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में देवलगढ़ नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर धन, वैभव, योग, और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी राजराजेश्वरी को समर्पित है।देवलगढ़ का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
देवलगढ़ को गढ़वाल नरेश अजयपाल ने अपनी राजधानी बनाया था। यहाँ के मंदिरों का निर्माण 16वीं सदी में हुआ, जिनमें राजराजेश्वरी मंदिर प्रमुख है।
2. धार्मिक महत्व और परंपराएँ
मंदिर की विशेषताएँ क्या हैं?
- यहाँ माँ राजराजेश्वरी की मूर्ति और यंत्र भवन में रखे गए हैं।
- उत्तराखंड का जागृत श्रीयंत्र भी इसी सिद्धपीठ में स्थापित है।
- 1981 से यहाँ अखंड ज्योति और बीते 16 वर्षों से नित्य हवन की परंपरा चल रही है।
नवरात्रि में यहाँ क्या विशेष होता है?
नवरात्रि के दौरान यहाँ नौ दिनों तक पूजा-अर्चना होती है और हरियाली प्रसाद वितरित किया जाता है।क्या यहाँ विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं?
हाँ, मंदिर की भभूत (पवित्र राख) अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, लंदन, और सऊदी अरब जैसे देशों में पोस्ट ऑफिस के माध्यम से भेजी जाती है।
3. मंदिर तक पहुँचने के मार्ग
- श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ कैसे पहुँचा जा सकता है?
- सड़क मार्ग: देवलगढ़ श्रीनगर गढ़वाल से 18 किलोमीटर की दूरी पर है।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून है।
4. स्थानीय परंपराएँ और विशेषता
देवलगढ़ मंदिर समूह में कौन-कौन से स्थल हैं?
- माँ गौरा देवी
- काल भैरव मंदिर
- सत्यनारायण सिद्धपीठ
श्रद्धालु कौन-कौन सी परंपराएँ निभाते हैं?
माना जाता है कि माँ गौरा देवी, क्षेत्रपाल देवता, और श्री राजराजेश्वरी के दर्शन के बाद देवलगढ़ यात्रा पूरी मानी जाती है।
5. किवदंतियाँ और इतिहास
देवलगढ़ नाम कैसे पड़ा?
देवल नामक राजा ने इस क्षेत्र को बसाया और यहाँ भव्य मंदिरों का निर्माण कराया।गढ़वाल नरेश अजयपाल का योगदान क्या है?
अजयपाल ने चाँदपुर गढ़ी से राजधानी बदलकर देवलगढ़ में स्थापित की और यहाँ पठाल वाले भवन के रूप में मंदिर बनवाया।
6. अनुभव और सेवाएँ
मंदिर में कौन-कौन सी सेवाएँ उपलब्ध हैं?
मंदिर की सफाई, देखभाल, और पूजा व्यवस्था पुजारी और स्थानीय प्रधान द्वारा की जाती है।यहाँ के पुजारी कौन हैं?
मंदिर के पुजारी पंडित कुंजिका प्रसाद उनियाल हैं।
टिप्पणियाँ