Sui Mata Temple - Chamba सुई माता मंदिर

Sui Mata Temple - Chamba सुई माता मंदिर

सुई माता मंदिर राजा साहिल वर्मन की पत्नी रानी सुई के बलिदान के सम्मान के रूप में खड़ा है। यह मंदिर चंबा जिले के साहो गांव में स्थित है और बलिदान का एक आदर्श है। इसे खूबसूरत पेंटिंग से सजाया गया है जो सुई के जीवन को दर्शाती है। इस स्थान पर हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है जो 15 मार्च से शुरू होकर पहली अप्रैल तक चलता है। विवाहित महिलाएँ और लड़कियाँ महान रानी को सम्मान देने के लिए प्रसाद लेकर इस स्थान पर आती हैं। इसलिए, इस पवित्र स्थान की यात्रा से आपको चंबा की कई परंपराओं और संस्कृति के बारे में बहुत अच्छी जानकारी मिलेगी।

सुई माता मंदिर का इतिहास

इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी एक पौराणिक मान्यता प्रचलित है इसके अनुसार चंबा में सूखा पड़ गया था. बारिश ना होने के कारण सभी तालाब सूख गए और राजा की प्रजा पीने के पानी को तरस रही थी. ऐसे में राजा वर्मन ने सभी देवताओं को खुश करने की कोशिश की लेकिन बारिश नहीं हुई. ऐसे में ब्राह्मणों की सलाह के अनुसार उन्हें बताया कि राज्य में पानी लाने के लिए अपने पत्नी या बेटे की बलि देने की जरूरत होगी. अपनी आंखों के सामने कोई भी मां अपने बेटे की बलि नहीं देख सकती है. इसी वजह से रानी सुई ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया. इसके बाद राज्य में खूब बारिश हुई और सभी नदी तालाब भर गए. फिर राजा ने अपनी रानी सुई की की याद में एक मंदिर का निर्माण कराया. आज यह मंदिर पूरे हिमाचल प्रमुख मंदिरों में शुमार है.

Sui Mata Temple - Chamba सुई माता मंदिर

यह मंदिर शाह मदार पहाड़ी पर बना है और इसके तीन हिस्से हैं। पहला मुख्य मंदिर की सीढ़ियाँ हैं जो राजा राजा जीत सिंह की पत्नी रानी सारदा द्वारा बनाई गई थीं जो सरोटा धारा की ओर जाती हैं। दूसरा एक मार्ग है और तीसरा रानी सुई का स्मारक है। हालाँकि, यह मंदिर एक मंदिर के रूप में बनाया गया है और लोग इस मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं।

Sui Mata Temple - Chamba सुई माता मंदिर

  • इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी एक पौराणिक मान्यता प्रचलित है इसके अनुसार चंबा में सूखा पड़ गया था.
  •  बारिश ना होने के कारण सभी तालाब सूख गए और राजा की प्रजा पीने के पानी को तरस रही थी. 
  • ऐसे में राजा वर्मन ने सभी देवताओं को खुश करने की कोशिश की लेकिन बारिश नहीं हुई.
  •  ऐसे में ब्राह्मणों की सलाह के अनुसार उन्हें बताया कि राज्य में पानी लाने के लिए अपने पत्नी या बेटे की बलि देने की जरूरत होगी.
  •  अपनी आंखों के सामने कोई भी मां अपने बेटे की बलि नहीं देख सकती है. 
  • इसी वजह से रानी सुई ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया.
  •  इसके बाद राज्य में खूब बारिश हुई और सभी नदी तालाब भर गए. 
  • फिर राजा ने अपनी रानी सुई की की याद में एक मंदिर का निर्माण कराया. आज यह मंदिर पूरे हिमाचल प्रमुख मंदिरों में शुमार है.

हर साल लगता है मेला

रिपोर्ट के अनुसार सुई माता मंदिर में हर साल मेला लगता है और मेले से जुड़ी भी एक दिलचस्प कहानी प्रसिध्द है। मेले के अंतिम दिन शोभायात्रा के निकाली जाती है जिसमें सभी श्रद्धालु गीत गाते हैं "गुड़क चमक भाऊआ मेघा हो, बरैं रानी चंबयाली रे देसा हो। किहां गुड़कां-किहां चमकां हो, अंबर भरोरा घणे तारे हो। कुथुए दी आई काली बादली हो, कुथुए दा बरसेया मेघा हो।" ऐसा भी कहा जाता है कि मेले के अंतिम दिन भजन गाते वक्त हर साल बारिश जरूर होती है।

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