गढ़वाली शायरी पहाड़ की शायरी भाग 4 (Garhwali Shayari Pahar Shayari Part -4)

गढ़वाली शायरी पहाड़ की शायरी  भाग 4 (Garhwali Shayari Pahar Shayari Part -4) 

पहाड़ी शायरी

हमारे पहाड़ो की सड़के भले ही टेड़ी - 
 मेड़ी हो पर जीवन बहुत सीधा और सरल है।
#अल्मोड़ा - #कौसानी मार्ग
#कोसी के पास, #अल्मोड़ा करें

गढ़वाली शायरी
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#रे_मनखी_जू_हेंसी_खुशी_ज्यूंदू_रेलू,
#घड़ी_द्वी_घड़ी_ज़िन्दगी_का_मौज_मा_रेलू।।
गढ़वाली शायरी
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#छल_कपट_की_माया_मा, #कखी_भूली_नी_जेई,
#द्वि_दिना_की_चांदनी, #फिर_मुखड़ी_नी_लुकेई।।
गढ़वाली शायरी
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तेरी दिनि रुमाल सुवा मेरी सिराणा धरीं च
तेरी दिनि समोण सची मेरी खिसा मा रखीं च ।
गढ़वाली शायरी


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कमाल का त्यारा नखरा छ्न,
अजब त्यारु स्टाइल च।।
भोली तेरी स्माइल च,
अर वे म, सुपर हेयर स्टाइल च्।।
नकप्वणू फुंजणा कु त सगोड़ नि च,
अर हथ मा
छपलू सी मोबाइल च॥
गढ़वाली शायरी
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याद औंदी तेरी मन मा ज्यू नि लगदु काम कन मा,
माया का सुपिनिया आंख्युं मा, बिंगदुं नि छौं सारी रात्यूं मा ।
गढ़वाली शायरी
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#मेहनत_का_रंग_मा, #आस_मा_रेलू_त,
#ज्यूंदा_जिवन_कभी, #काश_मा_नि_रेलु।।

गढ़वाली शायरी

ना मिल्न की खुसी होली, ना बिछुडन कु गम
हरपल उदास छा हम
कन के बतान की कन छीन हम बस इतगा समझा की
ब्याली भी यखुली छा … और आज भी यखुली छान हम
बिल्ली को बीराऊ कहते है,
चींटी को किरमाऊ कहते है,
पहाड़ी है भुला हम,
कड़ी – चावल को झोई – भात कहते है !
गढ़वाली शायरी
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मि क्या छौं वो बस मि ही जणदू।
लोग मेरा बारा मा सिर्फ अंदाज लगै सक दिन!
गढ़वाली शायरी
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