यह उत्तराखंड का एकमात्र मंदिर है जो पूरे वर्ष में एक बार खुलता है। -It is the only temple in Uttarakhand which opens once in the whole year.
यह उत्तराखंड का एकमात्र मंदिर है जो पूरे वर्ष में एक बार खुलता है।
देश का एक ऐसा मंदिर जो साल के पूरे 364 दिन रहता है बंद, केवल रक्षा बंधन के दिन खुलते हैं कपाट
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Bansi Narayan Mandir Uttarakhand | |
भारत को धार्मिक दृष्टिकोण का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है और इसे माना भी क्यों न जाए, यह देश लाखों-करोड़ों मंदिरों से घिरा हुआ है। यहां कई ऐसे अनोखे मंदिर आपको देखने को मिल जाएंगे, जिनका अपना एक अलग रहस्य और अपनी एक अलग कहानी है। भारत के प्राचीन इतिहास में कई ऐसे रोचक तथ्य छिपे हुए हैं, जिनके बारे में शायद आपको जानकारी नहीं होगी।
एक ऐसे ही रोचक तथ्यों से घिरा हुआ है उत्तराखंड का एक मंदिर, जिसे लेकर कहा जाता है कि यहां के कपाट केवल और केवल रक्षाबंधन के दिन ही खुलते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
कहां है ये अनोखा मंदिर
यह मंदिर बंशीनारायण/वंशीनारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो उत्तराखंड के चमोली जिले की उर्गम घाटी पर स्थित है। मंदिर तक जाने का अनुभव बेहद ही अद्वितीय है, क्योंकि यहां तक पहुँचने के लिए कई लोग ट्रैकिंग करते हुए जाते हैं। यह मंदिर भी अपनी विशिष्टता के कारण खास माना जाता है, और यहां पर्यटक भी मंदिर की इस विशेषता के कारण घूमने के लिए आते हैं।
उर्गम घाटी को यहां बुग्याल भी कहा जाता है, जो घनी वादियों से घिरा हुआ है। इस घाटी का वातावरण अत्यंत शांति और सुकून से भरा हुआ है।
रक्षाबंधन पर ही खोले जाते हैं कपाट
कहते हैं कि इस मंदिर के कपाट पूरे साल बंद रहते हैं, लेकिन केवल एक दिन, यानी रक्षाबंधन के दिन ही खोले जाते हैं। यहां की महिलाएं और लड़कियां भाईयों को राखी बांधने से पहले भगवान की पूजा करती हैं। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और शिव जी की प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
इस मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कहानी है, जिसके अनुसार भगवान विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्त होने के बाद सबसे पहले यहीं प्रकट हुए थे। तभी से यहां देव ऋषि नारद भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इसी कारण यहाँ पर पूजा का अधिकार केवल एक दिन यानी रक्षाबंधन के दिन ही मिलता है।
मंदिर से जुड़ी दूसरी रोचक बातें
मंदिर में श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित है और इस मंदिर की ऊंचाई महज 10 फीट है। यहां के पुजारी राजपूत हैं, जो हर साल रक्षाबंधन पर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। मंदिर के पास एक भालू गुफा भी है, जहां भक्त प्रसाद तैयार करते हैं। कहते हैं कि इस दिन यहां हर घर से मक्खन आता है और इसे प्रसाद में मिलाकर भगवान को चढ़ाया जाता है।
बंसी नारायण मंदिर को क्या खास बनाता है?
बंसी नारायण मंदिर में भगवान नारायण और भगवान शिव दोनों की मूर्तियाँ मौजूद हैं। साथ ही भगवान गणेश और वन देवी की मूर्तियाँ भी इस मंदिर की शोभा बढ़ाती हैं। यह मंदिर उत्तराखंड का एकमात्र मंदिर है जो साल में सिर्फ एक बार रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। यही बात इसे अपने आप में विशेष बनाती है।
बंसी नारायण मंदिर कैसे पहुंचे?
बंसी नारायण मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको उत्तराखंड के चमोली जिले के उर्गम घाटी में जाना होगा। यह मंदिर पैदल ही पहुँचा जा सकता है।
- सबसे पहले आपको जोशीमठ तक जाना होगा, जो देहरादून से लगभग 293 किमी दूर है।
- जोशीमठ से, हेलंग की ओर, जो 22 किमी दूर है, और फिर देवग्राम तक जाना होगा, जो हेलंग से 15 किमी दूर है।
- बंसी नारायण मंदिर का ट्रेक देवग्राम से शुरू होता है और इसकी लंबाई लगभग 12 से 15 किमी होती है।
यहां FQCs (Frequently Asked Questions) के रूप में जानकारी दी गई है, जो आपके ब्लॉग "Rakshabandhan के दिन खुलता है Bhagwan Vishnu का ये मंदिर | Bansi Narayan Mandir Uttarakhand" से संबंधित है:
1. बंसी नारायण मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर: बंसी नारायण मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले की उर्गम घाटी में स्थित है। यह मंदिर बेहद ऊंचाई पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है।
2. बंसी नारायण मंदिर के कपाट कब खोले जाते हैं?
उत्तर: बंसी नारायण मंदिर के कपाट पूरे साल बंद रहते हैं और केवल रक्षाबंधन के दिन ही खोले जाते हैं। यह मंदिर अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे एक अद्भुत धार्मिक स्थल बनाता है।
3. रक्षाबंधन पर मंदिर में क्या विशेष पूजा होती है?
उत्तर: रक्षाबंधन के दिन, महिलाएं और लड़कियां पहले भगवान श्री कृष्ण और शिव जी की पूजा करती हैं, और फिर भाईयों को राखी बांधने का रिवाज होता है। इस दिन हर घर से मक्खन आता है और इसे भगवान को चढ़ाया जाता है।
4. बंसी नारायण मंदिर में कौन सी मूर्तियाँ स्थापित हैं?
उत्तर: बंसी नारायण मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, भगवान शिव, भगवान गणेश और वन देवी की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह मंदिर विशेष रूप से भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
5. बंसी नारायण मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
उत्तर: बंसी नारायण मंदिर तक पहुँचने के लिए, आपको पहले जोशीमठ पहुंचना होगा। उसके बाद हेलंग और देवग्राम होते हुए लगभग 12 से 15 किलोमीटर लंबी ट्रैकिंग करनी होती है। यह ट्रैकिंग कठिन है, लेकिन सुंदर प्रकृति के बीच इसका अनुभव अद्वितीय होता है।
6. बंसी नारायण मंदिर की विशिष्टता क्या है?
उत्तर: बंसी नारायण मंदिर की विशिष्टता यह है कि यह उत्तराखंड का एकमात्र मंदिर है, जो पूरे साल में केवल एक दिन रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। इसके अलावा, यहां पूजा का अधिकार केवल रक्षाबंधन के दिन ही होता है।
7. क्या बंसी नारायण मंदिर में विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है?
उत्तर: हां, रक्षाबंधन के दिन, हर घर से मक्खन मंदिर में लाया जाता है और इसे प्रसाद में मिलाकर भगवान को चढ़ाया जाता है। यह परंपरा मंदिर की विशेषता का हिस्सा है।
8. बंसी नारायण मंदिर का इतिहास क्या है?
उत्तर: बंसी नारायण मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के वामन अवतार से मुक्त होने के बाद सबसे पहले यहीं प्रकट हुए थे। इस कारण से, इस स्थान पर भगवान नारायण की पूजा की जाती है।
9. क्या बंसी नारायण मंदिर में ट्रैकिंग करते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर: ट्रैकिंग करते समय आपको अच्छी फिटनेस और पर्याप्त पानी की व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि रास्ता काफी कठिन है। साथ ही, मौसम के अनुसार सही कपड़े और जूते पहनना आवश्यक है, ताकि ट्रैकिंग का अनुभव सहज हो।
10. बंसी नारायण मंदिर की यात्रा कब करनी चाहिए?
उत्तर: बंसी नारायण मंदिर की यात्रा रक्षाबंधन के दिन की जानी चाहिए, क्योंकि यह दिन मंदिर के कपाट खुलने का एकमात्र दिन है। इसके अलावा, ट्रैकिंग के लिए अच्छे मौसम का चयन करना भी महत्वपूर्ण है।
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