सिर्फ Rakshabandhan के दिन खुलता है Bhagwan Vishnu का ये मंदिर | Bansi NarayanMandir Uttarakhand |

 सिर्फ Rakshabandhan के दिन खुलता है Bhagwan Vishnu का ये मंदिर | Bansi NarayanMandir Uttarakhand |

"अद्भुत एक ऐसा मंदिर जो पूरे साल बस एक ही दिन खुलता है".... रक्षाबंधन के मौके पर खुलेगा मंदिर।।

तो आइए आज हम आपको पहाड़ी ट्रैवलर की इस पोस्ट के माध्यम से आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जो पूरे साल में बस एक ही दिन खुलता है।।

बंशीनारायण मंदिर उत्तराखंड

10 हजार फीट की ऊंचाई पर बंशीनारायण मंदिर उत्तराखंड का अकेला ऐसा मंदिर है जो मात्र एक दिन के लिए रक्षाबंधन के दिन खुलता है और कुंवारी और विवाहिताएं वंशीनारायण जी को राखी बांधने के बाद ही भाइयों की कलाई में रखी बंधती है सूर्यास्त होते ही मंदिर के कपाट एक साल के लिए फिर से बंद कर दिए जाते है।चमोली जिले के हिमालयी क्षेत्र में स्थित वंशीनारायण मंदिर तक पहुंचना बहुत मुश्किल है पीपलकोटी से उर्गम घाटी तक पहुंचने के बाद आगे 12 किलोमीटर का सफर पैदल ही नापना पड़ता है। पांच किलोमीटर दूर तक फैले मखमली घास के मैदानों को पार कर सामने नजर आता है प्रसिद्ध पहाड़ी शैली कत्यूरी में बना वंशीनारायण मंदिर।
बंशीनारायण मंदिर उत्तराखंड

वंशीनारायण पहुँचने का रास्ता

उर्गम घाटी के अंतिम गाव बांसा के प्रसिद्ध श्री वंशीनारायण मंदिर 10 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है! 12,000 फीट की ऊँचाई पर इस स्थान पर पहुचाने के लिए बांसा से मुल्ला /  तप्पड (2किलोमीटर) कुड्मुला (1 किलोमीटर) बडजिखाल (2 किलोमीटर), नक्चुना (2 किलोमीटर) होते हुए वंशी नारायण मंदिर (3 किलोमीटर) पंहुचा जा सकता है! 

बांसा के वंशी नारायण, जंगल वाला मार्ग है जो विभिन्न जड़ी बूटियों, भोज पत्र के वक्षो, सिमरु  के अनेक प्रजाति के झाडी नुमा वृक्षों जिनमे सफ़ेद, हल्का बैगनी रंग के फूल दिखाई पड़ते है! जो देखने में बुराश के फूल की तरह दिखाई देता है! 

बांसा गाव के श्री वंशीनारायण (10 किलोमीटर) की यह यात्रा खड़ी चडाई युक्त है! मंदिर तक पहुचने के लिए बांसा से दो पहाड़ की चोटियों पार कर तीसरे पहाड़ ऊँचाई तक पहुचना होता है! इस मार्ग में स्थान स्थान पर कुछ विशिष्ट प्रकार पक्षियों का कलरव इस शांत वातावरण में सुमधुर संगीत प्रतुत करता है! बांसा के बाद 10 किलोमीटर के भीतर न ही कोई गाव और न कोई आबादी, सिर्फ प्रकृति के सान्ध्य में चलते हुए पक्षियों का कलरव मात्र सुनायी पड़ता है! 

यहां FQCs (Frequently Asked Questions) के रूप में जानकारी दी गई है, जो आपके ब्लॉग "Rakshabandhan के दिन खुलता है Bhagwan Vishnu का ये मंदिर | Bansi Narayan Mandir Uttarakhand" से संबंधित है:


1. वंशी नारायण मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है, जो 10 हजार फीट की ऊंचाई पर है। यह मंदिर उर्गम घाटी के अंतिम गाँव बांसा में स्थित है।

2. वंशी नारायण मंदिर क्यों सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। इस दिन, महिलाएं वंशी नारायण जी को राखी बांधने के बाद ही अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। सूर्यास्त होते ही मंदिर के कपाट फिर से एक साल के लिए बंद हो जाते हैं।

3. वंशी नारायण मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?

उत्तर: इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पीपलकोटी से उर्गम घाटी तक जाना होता है, और फिर 12 किलोमीटर का पैदल मार्ग तय करना पड़ता है। रास्ता खड़ी चढ़ाई और जंगली मार्ग से होकर जाता है, जहाँ मखमली घास के मैदान और अद्भुत प्रजातियों के पेड़-पौधे देखने को मिलते हैं।

4. वंशी नारायण मंदिर के आसपास का क्षेत्र कैसा है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर के आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां से 10 किलोमीटर के भीतर कोई गांव या आबादी नहीं है, और यहां का वातावरण शांति और प्रकृति की आवाज़ों से गूंजता है।

5. वंशी नारायण मंदिर की मूर्ति कैसी है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों के दर्शन होते हैं।

6. वंशी नारायण मंदिर तक पहुंचने में कितनी कठिनाई होती है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। रास्ता खड़ी चढ़ाई वाला है और पैदल यात्रा करनी पड़ती है। इस यात्रा के दौरान कुछ स्थानों पर विशेष प्रकार के पक्षियों का कलरव सुनने को मिलता है, जो इस जगह को और भी आकर्षक बना देता है।

7. वंशी नारायण मंदिर के आस-पास कौन से अन्य आकर्षण हैं?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर के आस-पास कई दुर्लभ प्रजातियों के फूल और पौधे हैं। इसके अलावा, यहां पक्षियों की अद्भुत आवाजें सुनाई देती हैं, जो इस क्षेत्र को विशेष बनाती हैं।

8. रक्षाबंधन पर वंशी नारायण मंदिर में किस प्रकार की पूजा होती है?

उत्तर: रक्षाबंधन के दिन वंशी नारायण मंदिर में विशेष पूजा होती है, जिसमें महिलाएं भगवान वंशी नारायण को राखी बांधती हैं। इसके बाद, वंशी नारायण जी को प्रसाद चढ़ाया जाता है और आसपास के गांव के लोग इस अद्भुत अवसर के गवाह बनते हैं।

9. वंशी नारायण मंदिर के पुजारी कौन होते हैं?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर के पुजारी राजपूत समुदाय के होते हैं, और वर्तमान में मंदिर के पुजारी कलगोठ गांव के बलवंत सिंह रावत जी हैं।

10. वंशी नारायण मंदिर की यात्रा कब करना चाहिए?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर की यात्रा रक्षाबंधन के दौरान करना चाहिए, क्योंकि इस दिन मंदिर के कपाट खुलते हैं और यह एक अद्भुत धार्मिक अनुभव प्रदान करता है।

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