"चेली: पहाड़ की बेटी और उसकी अनकही कहानियाँ"
परिचय:
भारत के पहाड़ी क्षेत्रों की संस्कृति और परंपराएँ गहरे भावनात्मक जुड़ाव और रिश्तों की गर्माहट से भरी होती हैं। विशेषकर बेटियों का अपने मायके से संबंध बहुत ही अनमोल होता है। एक पहाड़ी बेटी के लिए उसका मायका सिर्फ एक घर नहीं होता, बल्कि एक पूरी दुनिया होती है, जहाँ उसने अपने बचपन की सारी खुशियाँ और सपने संजोए होते हैं। जब एक बेटी अपने मायके से ससुराल के लिए विदा होती है, तो उसके दिल में कई भावनाएँ उमड़ती हैं। इसी संदर्भ में, "चेली" एक ऐसी कविता है जो पहाड़ की बेटियों की अनकही कहानियों को बहुत ही खूबसूरती से बयां करती है।
1-
चेली जब मायके से विदा होती है, तो घर का आँगन सूना हो जाता है।
उसकी विदाई से हर कोने में बस यादें बसी रह जाती हैं।
2-
बेटी का प्यार दो घरों को रोशन करता है,
मायके और ससुराल में खुशियाँ भरता है।
3-
चेली की हंसी से घर महकता है,
उसकी विदाई से आँगन सूना लगता है।
4 -
बेटियाँ दो कुलों की रौनक होती हैं,
उनकी मुस्कान से ही घर की दुनिया होती है।
5 -
चेली का दिल हमेशा मायके में रहता है,
ससुराल में भी उसकी खुशियाँ बसती हैं।
कविता:
घुघूती जा हुनी चेली
बाबू घर बटी फूर्र के उड़ जानी
चमेली बेल जा बढ़नी चेली
देखन देखन, ठुल है जानी
जे घर में चेली नहातिन
ऊ घरे भितेर सुनसान है जां
चेलीयां घर भीतर उजाव फैलुनी
ऊ घरो आँगन छाजी जां
जे घर चेली आपुण हाथल एपण दिनी
च्याल जायदाद ल्हिबेर खुश हुनी
चेलिन कें मैते नराई लागजां
भिटोली ल्हिबेर संतुष्ट है जानी
च्याल कुले दीपक हुनी
चेली द्वी घरा का उजाव हुनी
च्योल एक कुलो तारन करूं
चेली द्विकुलनो उद्धार कर दीनी
ऊ बाब मस्तारी किस्मत वाल छन
जो आपुन हाथल, कन्यादान करनी
कविता का विश्लेषण:
इस कविता में "चेली" शब्द का अर्थ बेटी से है, जो अपने मायके और ससुराल दोनों जगहों की रोशनी होती है। कविता की शुरुआत में "घुघूती" (एक पहाड़ी पक्षी) का उल्लेख है, जो पहाड़ों में नए मौसम के आगमन का संकेत देती है, ठीक उसी तरह जैसे एक बेटी अपने नए जीवन की शुरुआत के लिए विदा होती है। "चमेली बेल" का बढ़ना बेटी के बढ़ते कदमों का प्रतीक है, जो समय के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार होती है।
कविता में कहा गया है कि जिस घर में बेटी नहाती है, वह घर रोशनी से भर जाता है, लेकिन उसकी विदाई के बाद वही घर सूना हो जाता है। बेटी का मायका और ससुराल दोनों ही उसके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। वह अपने माता-पिता के घर को छोड़कर ससुराल जाती है, लेकिन उसकी यादें और प्रेम हमेशा उसके दिल में बसा रहता है।
मूल भाव:
"चेली" कविता न केवल पहाड़ी बेटियों की भावनाओं को व्यक्त करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बेटियाँ अपने दोनों घरों को कैसे उज्जवल करती हैं। वे एक घर की संपत्ति होती हैं, और दूसरे घर की भी शोभा बढ़ाती हैं। जब वे अपने मायके से विदा होती हैं, तो एक माँ और पिता के दिल का एक हिस्सा भी उनके साथ जाता है। उनकी विदाई के साथ ही घर में एक खालीपन आ जाता है, लेकिन उनकी खुशियाँ और प्यार हमेशा दोनों घरों को रोशन करते हैं।
संदेश:
इस कविता के माध्यम से, हम सभी को यह संदेश मिलता है कि बेटियाँ न केवल एक परिवार की शान होती हैं, बल्कि दो कुलों को जोड़ने वाली कड़ी भी होती हैं। वे अपनी मेहनत, प्यार, और समर्पण से दोनों घरों को खुशियों से भर देती हैं। हमें अपनी बेटियों को सम्मान और प्यार देना चाहिए, और उन्हें हर संभव खुशी प्रदान करनी चाहिए।
कविता से प्रेरित एक छोटी कविता:
बेटी का दिल, माँ का प्यार,
दोनों घरों का वो उजाला अपार,
मायका हो या ससुराल की छांव,
हर जगह वो फैलाती है अपने प्रेम की छांव।
निष्कर्ष:
"चेली" कविता हमें यह समझाती है कि बेटियाँ केवल एक परिवार की नहीं होतीं; वे दो परिवारों के लिए वरदान होती हैं। उनके बिना, घर का आँगन सूना हो जाता है, लेकिन उनकी उपस्थिति हर जगह खुशियाँ और रोशनी लाती है। आइए हम अपनी बेटियों का आदर करें और उन्हें वही प्यार और सम्मान दें जो वे सच में हकदार हैं।
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