"चेली: पहाड़ी बेटियों की भावनाएं"
परिचय:
पहाड़ की बेटियाँ अपने मायके से ससुराल जाते समय कई भावनाओं से गुजरती हैं। एक ओर जहां वे अपने नए जीवन की शुरुआत के लिए उत्सुक होती हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपने बचपन की यादें, अपने माता-पिता का प्यार, और अपने घर के आँगन को छोड़ने के दर्द से भी भरी होती हैं। यह कविता "चेली" इन्हीं भावनाओं को शब्दों में पिरोती है।
कविता:
घुघूती जा हुनी चेली
बाबू घर बटी फूर्र के उड़ जानी
चमेली बेल जा बढ़नी चेली
देखन देखन, ठुल है जानी
जे घर में चेली नहातिन
ऊ घरे भितेर सुनसान है जां
चेलीयां घर भीतर उजाव फैलुनी
ऊ घरो आँगन छाजी जां
जे घर चेली आपुण हाथल एपण दिनी
च्याल जायदाद ल्हिबेर खुश हुनी
चेलिन कें मैते नराई लागजां
भिटोली ल्हिबेर संतुष्ट है जानी
च्याल कुले दीपक हुनी
चेली द्वी घरा का उजाव हुनी
च्योल एक कुलो तारन करूं
चेली द्विकुलनो उद्धार कर दीनी
ऊ बाब मस्तारी किस्मत वाल छन
जो आपुन हाथल, कन्यादान करनी
मूल भाव:
यह कविता केवल पहाड़ी बेटियों के जीवन का वर्णन नहीं करती, बल्कि उनकी आत्मा की गहराई को भी छूती है। जब एक बेटी अपने घर से विदा होती है, तो वह न केवल एक घर बल्कि एक पूरे संसार को छोड़ रही होती है। इस कविता में "घुघूती" पक्षी और "चमेली बेल" जैसे प्रतीकात्मक तत्वों का उपयोग कर भावनाओं को गहराई से व्यक्त किया गया है। "चेली" घर की रोशनी है, जो घर के आँगन को अपनी मौजूदगी से रोशन करती है। उसकी विदाई से घर सुनसान हो जाता है, लेकिन ससुराल में वह नई रोशनी लेकर जाती है।
कविता का महत्व:
कविता यह बताती है कि बेटियाँ केवल एक परिवार की नहीं होतीं, वे दो कुलों का उद्धार करती हैं। वे अपने माता-पिता के घर की चमक हैं और अपने ससुराल के लिए एक दीपक की तरह होती हैं, जो दोनों जगहों को रोशन करती हैं। जब बेटियाँ ससुराल जाती हैं, तो वे अपनी जड़ों से जुड़ी रहती हैं और भिटोली के माध्यम से अपने मायके की यादें ताज़ा करती हैं।
स्टेटस:
"चेली वो दीपक है जो अपने मायके और ससुराल दोनों जगह रोशनी फैलाती है।"
"बेटी का प्यार मायके की यादें और ससुराल का सम्मान दोनों में ही झलकता है।"
"पहाड़ की बेटी, तुम दो कुलों की शोभा और घर की रौनक हो।"
"चेली का विदा होना घर की रौनक का कम होना है, लेकिन उसके सपने हमेशा सबका उजाला बनते हैं।"
"मायका छूटता है पर दिल में हमेशा बसा रहता है; बेटी का प्रेम दोनों घरों की आत्मा में रहता है।"
"चेली का आँगन छोड़ना और ससुराल जाना, दोनों घरों को खुशियों से भर देता है।"
"बेटियाँ नहीं, दो कुलों का प्रकाश होती हैं; अपनी मेहनत से हर जगह खुशियाँ बिखेरती हैं।"
"चेली का विदा होना एक आँगन का सूना होना और दूसरे आँगन का रोशन होना है।"
"पहाड़ी बेटियाँ, अपने दिल में मायके और ससुराल दोनों की खुशियाँ संजोए रखती हैं।"
"चेली, तुम अपने घर की रोशनी हो और ससुराल की शोभा। तुम्हारे बिना घर सूना है।"
निष्कर्ष:
"चेली" कविता हमें यह सिखाती है कि बेटियाँ केवल घर की शोभा ही नहीं होतीं, बल्कि वे दो परिवारों को जोड़ने वाली कड़ी होती हैं। उनके बिना घर सूना हो जाता है, लेकिन उनकी मौजूदगी हर जगह उजाला फैलाती है। यह कविता हमें अपनी बेटियों को सम्मान देने और उनकी भावनाओं को समझने के लिए प्रेरित करती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें