उत्तराखंड में स्थानीय स्वशासन - पंचायती राज व्यवस्था (Local Self Government in Uttarakhand – Panchayati Raj System)

उत्तराखंड में स्थानीय स्वशासन: पंचायती राज व्यवस्था और नगरीय शासन का गहन विश्लेषण

पंचायती राज व्यवस्था प्रश्नोत्तरी

पंचायती राज प्रणाली भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है। यह प्रणाली जनता को अपनी समस्याओं का समाधान करने का अवसर देती है और विकास कार्यों में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करती है। नीचे दिए गए प्रश्नों और उनके उत्तरों के माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था के बारे में आपके ज्ञान को परखा जा सकता है।




1. भारत में पंचायती राज प्रणाली का शुभारम्भ कब और कहाँ हुआ?

(a) 5 जुलाई, 1957, फैजाबाद (उत्तर प्रदेश)
(b) 2 अक्टूबर, 1959, नागौर (राजस्थान)
(c) 14 नवम्बर, 1959, अहमदाबाद (गुजरात)
(d) 13 दिसम्बर, 1960, भोपाल (मध्य प्रदेश)

उत्तर: (b) 2 अक्टूबर, 1959, नागौर (राजस्थान)

स्पष्टीकरण: भारत में पंचायती राज प्रणाली का औपचारिक शुभारंभ 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में किया गया था। यह एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन के नए युग की शुरुआत की।


2. 'पंचायती राज व्यवस्था' का निम्न में से किसमें उल्लेख है?

(a) संघ सूची
(b) राज्य सूची
(c) समवर्ती सूची
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (b) राज्य सूची

स्पष्टीकरण: पंचायती राज व्यवस्था का उल्लेख भारतीय संविधान की राज्य सूची में किया गया है। राज्य सरकारें इस प्रणाली के तहत अपने स्थानीय प्रशासन को नियंत्रित और संचालित करती हैं।


3. उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ था

(a) 2 अप्रैल, 2016 को
(b) 5 अप्रैल, 2016 को
(c) 4 अप्रैल, 2016 को
(d) 6 अप्रैल, 2016 को

उत्तर: (c) 4 अप्रैल, 2016 को

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड में पंचायती राज अधिनियम 4 अप्रैल, 2016 को लागू हुआ था, जो राज्य में स्थानीय स्वशासन को अधिक प्रभावी और सक्षम बनाने का प्रयास करता है।


4. निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन-सा अनुच्छेद पंचायतों में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण प्रदान करता है?

(a) 243 (D)
(b) 243 (C) 
(c) 243 (B)
(d) 243 (A)

उत्तर: (a) 243 (D)

स्पष्टीकरण: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243 (D) पंचायतों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है, जिससे इन समुदायों की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।


5. एक व्यक्ति पंचायत का चुनाव लड़ सकता है, यदि उसने पूर्ण कर ली है

(a) 25 वर्ष की आयु
(b) 30 वर्ष की आयु
(c) 21 वर्ष की आयु
(d) 18 वर्ष की आयु

उत्तर: (c) 21 वर्ष की आयु

स्पष्टीकरण: भारत में पंचायती राज प्रणाली के तहत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष है। इससे युवाओं को राजनीति में भाग लेने का अवसर मिलता है।


6. उत्तराखण्ड पंचायती राज में महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों का प्रतिशत है

(a) 33
(b) 50
(c) 40
(d) 52

उत्तर: (b) 50

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड में पंचायती राज में महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित की गई हैं, जिससे महिलाओं की राजनीति में भागीदारी को प्रोत्साहन मिलता है और उन्हें नेतृत्व की भूमिका निभाने का अवसर मिलता है।


7. उत्तराखण्ड के गठन के पश्चात् किस वर्ष राज्य सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था में कुछ परिवर्तन कर इसे त्रिस्तरीय बनाए रखने का निर्णय लिया था?

(a) वर्ष 2001-02
(b) वर्ष 2002-03
(c) वर्ष 2003-04
(d) वर्ष 2004-05

उत्तर: (b) वर्ष 2002-03

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड के गठन के बाद, राज्य सरकार ने वर्ष 2002-03 में पंचायती राज व्यवस्था में कुछ परिवर्तन कर इसे त्रिस्तरीय बनाए रखने का निर्णय लिया। यह बदलाव स्थानीय प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए किया गया।


8. उत्तराखण्ड में पंचायतों की कितनी स्तरीय व्यवस्था लागू है?

(a) एक स्तरीय
(b) द्विस्तरीय
(c) त्रिस्तरीय
(d) चार स्तरीय

उत्तर: (c) त्रिस्तरीय

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था लागू है, जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), और जिला परिषद शामिल हैं। यह प्रणाली स्थानीय शासन को संगठित रूप में संचालित करती है।


9. उत्तराखण्ड सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के प्रभावी सुदृढ़ीकरण हेतु किस प्रकोष्ठ का गठन किया है?

(a) पंचायती राज निदेशालय
(b) जिला पंचायत अनुश्रवण प्रकोष्ठ
(c) नियोजन व विकास प्रकोष्ठ
(d) 'a' और 'b' दोनो

उत्तर: (d) 'a' और 'b' दोनो

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के प्रभावी सुदृढ़ीकरण हेतु पंचायती राज निदेशालय और जिला पंचायत अनुश्रवण प्रकोष्ठ दोनों का गठन किया है, जो पंचायतों के कामकाज की निगरानी और विकास में मदद करते हैं।


10. निम्नलिखित में कौन-सी समिति भारत में पंचायत राज व्यवस्था से सम्बन्धित नहीं है?

(a) दिनेश गोस्वामी समिति
(b) एल. एम. सिंघवी समिति
(c) सादिक अली समिति
(d) अशोक मेहता समिति

उत्तर: (a) दिनेश गोस्वामी समिति

स्पष्टीकरण: दिनेश गोस्वामी समिति का संबंध पंचायती राज से नहीं है। यह समिति चुनाव सुधारों से संबंधित थी, जबकि एल. एम. सिंघवी, सादिक अली, और अशोक मेहता समितियाँ पंचायती राज व्यवस्था के अध्ययन और सुधार से संबंधित थीं।


11. निम्नलिखित में से किस समिति आयोग ने न्याय पंचायतों के गठन की सिफारिश की है?

(a) बलवन्तराय मेहता समिति
(b) अशोक मेहता समिति
(c) जी. वी. के. राव समिति
(d) सरकारिया आयोग

उत्तर: (b) अशोक मेहता समिति

स्पष्टीकरण: अशोक मेहता समिति ने न्याय पंचायतों के गठन की सिफारिश की थी। यह समिति 1977 में गठित की गई थी, जिसका उद्देश्य पंचायती राज व्यवस्था को अधिक प्रभावी और न्यायपूर्ण बनाना था।


12. निम्नलिखित कार्यों में से कौन-सा कार्य स्थानीय स्वशासन से सम्बन्धित नहीं है?

(a) जन-स्वास्थ्य
(b) स्वच्छता का प्रबन्ध
(c) जन-उपयोगी सेवाएँ
(d) लोक-व्यवस्था का अनुरक्षण

उत्तर: (d) लोक-व्यवस्था का अनुरक्षण

स्पष्टीकरण: लोक-व्यवस्था का अनुरक्षण स्थानीय स्वशासन का कार्य नहीं है; यह कार्य पुलिस और न्यायालयों द्वारा किया जाता है। पंचायती राज के तहत जन-स्वास्थ्य, स्वच्छता, और जन-उपयोगी सेवाओं का प्रबंधन किया जाता है।


13. किस संवैधानिक संशोधन द्वारा ग्रामीण स्थानीय शासन को संवैधानिक दर्जा दिया गया?

(a) 72वाँ
(b) 73वाँ
(c) 74वाँ
(d) 71वाँ

उत्तर: (b) 73वाँ

स्पष्टीकरण: 73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया। यह संशोधन 1992 में पारित हुआ, जिससे स्थानीय स्वशासन को अधिक स्वायत्तता और कानूनी मान्यता मिली।

ग्रामीण स्थानीय स्वशासन: जिला पंचायत

ग्रामीण स्थानीय स्वशासन प्रणाली के अंतर्गत जिला पंचायत एक महत्वपूर्ण संस्था है जो जिलास्तरीय प्रशासन और विकास के लिए जिम्मेदार होती है। जिला पंचायत का मुख्य उद्देश्य जिला स्तर पर विकास योजनाओं का क्रियान्वयन और निगरानी करना होता है। नीचे दिए गए प्रश्न और उत्तर जिला पंचायत से संबंधित विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करेंगे।


15. ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का सबसे शीर्ष निकाय है

(a) जिला पंचायत
(b) क्षेत्र पंचायत
(c) ग्राम पंचायत
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (a) जिला पंचायत

स्पष्टीकरण: जिला पंचायत ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का सबसे शीर्ष निकाय होता है। यह जिला स्तर पर विकास कार्यों के समन्वयन और क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है।


16. जिला पंचायत का सचिव कौन होता है?

(a) मुख्य विकास अधिकारी
(b) सिटी मजिस्ट्रेट
(c) जिलाधिकारी
(d) मण्डल आयुक्त

उत्तर: (a) मुख्य विकास अधिकारी

स्पष्टीकरण: जिला पंचायत का सचिव मुख्य विकास अधिकारी होता है। वह जिला पंचायत के सभी कार्यों का संचालन और प्रबंधन करता है।


17. उत्तराखण्ड में जिला पंचायतों की कुल संख्या कितनी है?

(a) 12
(b) 13
(c) 14
(d) 15

उत्तर: (b) 13

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड में कुल 13 जिला पंचायतें हैं, जो राज्य के विभिन्न जिलों में प्रशासनिक कार्यों का संचालन करती हैं।


18. जिला पंचायत में कौन पदेन सदस्य के रूप में शामिल नहीं रहता है?

(a) लोकसभा सदस्य
(b) राज्यसभा सदस्य
(c) विधानसभा सदस्य
(d) राज्य वित्त आयोग के सदस्य

उत्तर: (d) राज्य वित्त आयोग के सदस्य

स्पष्टीकरण: जिला पंचायत में लोकसभा, राज्यसभा, और विधानसभा के सदस्य पदेन सदस्य के रूप में शामिल होते हैं। राज्य वित्त आयोग के सदस्य इसमें शामिल नहीं होते।


19. उत्तराखण्ड में जिला पंचायत सदस्यों द्वारा कितनी समितियों का गठन किया जाता है?

(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6

उत्तर: (d) 6

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड में जिला पंचायत सदस्यों द्वारा कुल 6 समितियों का गठन किया जाता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्यों का संचालन करती हैं।


20. जिला पंचायत के सदस्य निम्नलिखित में से किस समिति का गठन नहीं करते हैं?

(a) शिक्षा समिति
(b) जल प्रबन्धन समिति
(c) वित्तीय समन्वय समिति
(d) नियोजन एवं विकास समिति

उत्तर: (c) वित्तीय समन्वय समिति

स्पष्टीकरण: जिला पंचायत के सदस्य शिक्षा समिति, जल प्रबंधन समिति, और नियोजन एवं विकास समिति का गठन करते हैं, लेकिन वित्तीय समन्वय समिति का गठन नहीं करते हैं।


21. उत्तराखण्ड की किस जिला पंचायत को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है?

(a) जिला पंचायत, देहरादून
(b) जिला पंचायत, हरिद्वार
(c) जिला पंचायत, नैनीताल
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (a) जिला पंचायत, देहरादून

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड की देहरादून जिला पंचायत को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो उनके उत्कृष्ट कार्यों और योगदान को मान्यता प्रदान करता है।


22. जिला पंचायत से सम्बन्धित कौन-सा कथन सत्य है?

(a) यह पंचायती राज व्यवस्था का सबसे शीर्ष निकाय है।
(b) यह एक निगमित निकाय है।
(c) जिला पंचायतों के सदस्यों का चुनाव 18 वर्ष की आयु वाली जनता द्वारा किया जाता है।
(d) उपरोक्त सभी

उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

स्पष्टीकरण: जिला पंचायत पंचायती राज व्यवस्था का सबसे शीर्ष निकाय है और यह एक निगमित निकाय होती है। इसके सदस्यों का चुनाव 18 वर्ष की आयु वाली जनता द्वारा किया जाता है, जो उन्हें जनप्रतिनिधित्व प्रदान करता है।

क्षेत्र पंचायत: ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का मध्यस्तरीय निकाय

ग्रामीण स्थानीय स्वशासन प्रणाली में क्षेत्र पंचायत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पंचायत जिला पंचायत और ग्राम पंचायत के बीच मध्यस्थता का कार्य करती है और ब्लॉक स्तर पर विकास कार्यों के समन्वय की जिम्मेदारी निभाती है। यहां पर क्षेत्र पंचायत से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं, जो इसकी संरचना और कार्यप्रणाली को समझने में सहायक होंगे।


23. क्षेत्रीय पंचायत के निर्वाचित सदस्यों की संख्या कितने से अधिक नहीं हो सकती है?

(a) 20 से अधिक नहीं
(b) 25 से अधिक नहीं
(c) 35 से अधिक नहीं
(d) 40 से अधिक नहीं

उत्तर: (d) 40 से अधिक नहीं

स्पष्टीकरण: क्षेत्रीय पंचायत के निर्वाचित सदस्यों की संख्या 40 से अधिक नहीं हो सकती है। यह संख्या ब्लॉक के आकार और जनसंख्या के आधार पर भिन्न हो सकती है, लेकिन यह 40 से अधिक नहीं हो सकती।


24. 'क्षेत्र पंचायत' के प्रमुख का चुनाव किसके द्वारा किया जाता है?

(a) पंजीकृत वोटरों के द्वारा
(b) जिला पंचायतों के सदस्यों द्वारा
(c) क्षेत्र पंचायतों के सदस्यों द्वारा
(d) क्षेत्र पंचायतों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा

उत्तर: (d) क्षेत्र पंचायतों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा

स्पष्टीकरण: क्षेत्र पंचायत के प्रमुख का चुनाव उसके निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है। ये सदस्य ब्लॉक के विभिन्न पंचायत क्षेत्रों से चुनकर आते हैं और मिलकर प्रमुख का चयन करते हैं।


25. निम्न में से कौन क्षेत्रीय पंचायत के पदेन सदस्य होते हैं?

(a) ग्राम प्रधान
(b) लोकसभा सदस्य
(c) राज्य विधानसभा सदस्य
(d) ये सभी

उत्तर: (d) ये सभी

स्पष्टीकरण: क्षेत्रीय पंचायत में ग्राम प्रधान, लोकसभा सदस्य, और राज्य विधानसभा सदस्य सभी पदेन सदस्य के रूप में शामिल होते हैं। ये सदस्य क्षेत्रीय पंचायत के निर्णयों और नीतियों में योगदान देते हैं।


26. क्षेत्रीय पंचायत निम्न में से किसके मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करती है?

(a) जिला पंचायत
(b) ग्राम पंचायत
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (c) 'a' और 'b' दोनों

स्पष्टीकरण: क्षेत्रीय पंचायत जिला पंचायत और ग्राम पंचायत के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करती है। यह ब्लॉक स्तर पर विभिन्न विकास योजनाओं और नीतियों को लागू करने और समन्वित करने का कार्य करती है।


27. क्षेत्रीय पंचायत में सचिव के रूप में कौन कार्य करता है?

(a) अनुमण्डल अधिकारी
(b) पटवारी सायीक
(c) प्रखण्ड अधिकारी
(d) नायब तहसीलदार

उत्तर: (c) प्रखण्ड अधिकारी

स्पष्टीकरण: क्षेत्रीय पंचायत में सचिव के रूप में प्रखण्ड अधिकारी कार्य करते हैं। वे ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन और समन्वय करते हैं और पंचायत के विभिन्न कार्यों की देखरेख करते हैं।


क्षेत्र पंचायत की भूमिका और महत्व

क्षेत्र पंचायत ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह स्थानीय समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए योजनाएं बनाने में मदद करती है। यह पंचायत जिले के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक और विकासात्मक कार्यों का समन्वय करती है।

क्षेत्र पंचायत के प्रमुख कार्य

  1. विकास योजना: क्षेत्र पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की योजनाएं बनाती है और उन्हें लागू करती है।

  2. शिक्षा और स्वास्थ्य: यह शिक्षा, स्वास्थ्य, और सार्वजनिक सुविधाओं के विकास के लिए जिम्मेदार होती है।

  3. वित्तीय प्रबंधन: क्षेत्र पंचायत वित्तीय प्रबंधन का कार्य करती है और सरकारी अनुदानों का सही उपयोग सुनिश्चित करती है।

  4. समन्वय और प्रशासन: यह जिला और ग्राम पंचायत के बीच समन्वय स्थापित करती है और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक कार्यों का संचालन करती है।

ग्राम पंचायत: ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का सबसे निचला स्तर

ग्राम पंचायत भारतीय ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का सबसे निचला और महत्वपूर्ण स्तर है। यह पंचायत ग्राम स्तर पर नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करती है। इस लेख में हम ग्राम पंचायत से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों और उनके उत्तरों के माध्यम से इसकी संरचना और कार्यप्रणाली का गहराई से अध्ययन करेंगे।


28. ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का सबसे निम्न स्तरीय निकाय है?

(a) क्षेत्र पंचायत
(b) जिला पंचायत
(c) ग्राम पंचायत
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (c) ग्राम पंचायत

स्पष्टीकरण: ग्राम पंचायत भारतीय ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का सबसे निचला स्तर है। यह गांव के स्तर पर प्रशासनिक कार्यों और विकास परियोजनाओं का संचालन करती है।


29. ग्राम पंचायत के सचिव की नियुक्ति किसके द्वारा होती है?

(a) जिला पंचायत
(b) क्षेत्रीय पंचायत
(c) ग्राम पंचायत
(d) नगर पंचायत

उत्तर: (c) ग्राम पंचायत

स्पष्टीकरण: ग्राम पंचायत के सचिव की नियुक्ति ग्राम पंचायत के द्वारा की जाती है। सचिव ग्राम पंचायत की विभिन्न गतिविधियों का संचालन और प्रशासनिक कार्यों की देखरेख करता है।


30. ग्राम पंचायतों के गठन हेतु पर्वतीय क्षेत्रों में कम-से-कम कितनी आबादी (जनसंख्या) होनी आवश्यक है?

(a) 300
(b) 400
(c) 500
(d) 800

उत्तर: (c) 500

स्पष्टीकरण: पर्वतीय क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों के गठन के लिए कम से कम 500 की जनसंख्या आवश्यक होती है। यह संख्या मैदान क्षेत्रों में अधिक होती है।


31. ग्राम पंचायतों की एक ग्राम सभा में संख्या कितनी होती है?

(a) केवल एक
(b) एक से अधिक
(c) जनसंख्या वितरण पर निर्भर करता है।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (a) केवल एक

स्पष्टीकरण: प्रत्येक ग्राम पंचायत के अंतर्गत केवल एक ग्राम सभा होती है। ग्राम सभा में गांव के सभी वयस्क नागरिक शामिल होते हैं और यह ग्राम पंचायत के लिए एक महत्वपूर्ण निकाय होता है।


32. ग्राम पंचायतों में अविश्वास प्रस्ताव के लिए पंचायतों के कितने सदस्यों का सहमत होना आवश्यक है?

(a) 1/8 सदस्य
(b) 1/7 सदस्य
(c) 1/6 सदस्य
(d) 1/5 सदस्य

उत्तर: (d) 1/5 सदस्य

स्पष्टीकरण: ग्राम पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए कम से कम 1/5 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होता है। यह संख्या सुनिश्चित करती है कि प्रस्ताव केवल गंभीर मामलों में ही लाया जाए।


33. ग्राम पंचायतों में सदस्यों की संख्या से कम नहीं हो सकती है?

(a) 5
(b) 10
(c) 15
(d) 20

उत्तर: (a) 5

स्पष्टीकरण: ग्राम पंचायत में सदस्यों की संख्या 5 से कम नहीं हो सकती है। यह संख्या गांव की जनसंख्या और भौगोलिक विस्तार के आधार पर भिन्न हो सकती है।


34. ग्राम पंचायत स्तर पर किन समितियों की सभापति अनिवार्य रूप से महिला होती है?

(a) शिक्षा समिति
(b) स्वास्थ्य समिति
(c) जन-कल्याण समिति
(d) ये सभी

उत्तर: (d) ये सभी

स्पष्टीकरण: ग्राम पंचायत स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, और जन-कल्याण समितियों की सभापति अनिवार्य रूप से महिला होती है। यह प्रावधान महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।


35. उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2002-03 में प्रथम चरण में कितने विषय ग्राम पंचायतों को हस्तान्तरित करने का निर्णय लिया था?

(a) 10 विषय
(b) 12 विषय
(c) 14 विषय
(d) 16 विषय

उत्तर: (c) 14 विषय

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2002-03 में 14 विषयों को ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया था। इसका उद्देश्य ग्राम पंचायतों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना था।


36. उत्तराखण्ड के किस मुख्यमन्त्री ने ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% स्थान आरक्षित किए?

(a) रमेश पोखरियाल निशंक
(b) एन. डी. तिवारी
(c) विजय बहुगुणा
(d) बी. सी. खण्डूरी

उत्तर: (d) बी. सी. खण्डूरी

स्पष्टीकरण: बी. सी. खण्डूरी के कार्यकाल में उत्तराखण्ड की ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया गया था। यह कदम महिलाओं के राजनीतिक सहभागिता को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया था।


37. उत्तराखण्ड के किस जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या सर्वाधिक है?

(a) देहरादून
(b) चम्पावत
(c) नैनीताल
(d) पौड़ी गढ़वाल

उत्तर: (d) पौड़ी गढ़वाल

स्पष्टीकरण: पौड़ी गढ़वाल जिले में उत्तराखण्ड की सबसे अधिक ग्राम पंचायतें हैं। यह जिला भौगोलिक रूप से विस्तृत होने के कारण अधिक ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है।


38. भारत के संविधान के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों का गठन

(a) एक मूलभूत अधिकार है।
(b) एक मूल कर्त्तव्य है।
(c) निदेशक सिद्धान्त है।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c) निदेशक सिद्धान्त है।

स्पष्टीकरण: ग्राम पंचायतों का गठन भारतीय संविधान के निदेशक सिद्धांतों के तहत आता है। यह सिद्धांत राज्य को समाजवादी, न्यायसंगत और समानता-आधारित समाज की दिशा में प्रेरित करते हैं।


39. निम्न कथनों पर विचार कीजिए

  1. ग्राम पंचायत में सदस्यों की संख्या 5 से कम व 15 से अधिक नहीं हो सकती है।
  2. ग्राम पंचायत के सदस्यों व पंचायत अध्यक्ष का चुनाव ग्राम सभा के 18 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले नागरिकों के द्वारा किया जाता है।
  3. पंचायत सदस्य व ग्राम प्रधान व उपप्रधान चुने जाने हेतु आयु कम-से-कम 21 वर्ष होनी चाहिए।
  4. ग्राम सभा की प्रत्येक वर्ष दो आम बैठक होनी आवश्यक होती हैं, जिसकी अध्यक्षता ग्राम प्रधान करता है।

निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?

(a) केवल 1
(b) 2 और 3 दोनों
(c) या तो '3' या '4'
(d) सभी कथन सत्य हैं

उत्तर: (d) सभी कथन सत्य हैं

स्पष्टीकरण: सभी दिए गए कथन सत्य हैं। यह सभी कथन ग्राम पंचायत के संरचना और कार्यप्रणाली से संबंधित हैं और संविधान द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुरूप हैं।


ग्राम पंचायत की भूमिका और कार्यप्रणाली

ग्राम पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और प्रशासन का एक प्रमुख स्तंभ है। यह पंचायत विभिन्न विकास परियोजनाओं का संचालन करती है, ग्रामीण समस्याओं का समाधान करती है और ग्राम सभा के सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करती है। नीचे ग्राम पंचायत के कुछ प्रमुख कार्य दिए गए हैं:

ग्राम पंचायत के प्रमुख कार्य

  1. ग्रामीण विकास: शिक्षा, स्वास्थ्य, जल प्रबंधन, और सड़कों की देखरेख के लिए योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना।

  2. समाज कल्याण: महिलाओं, बच्चों, और वृद्धजनों के लिए विशेष कल्याणकारी योजनाओं का संचालन करना।

  3. शांति और व्यवस्था: गांव में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रयास करना और स्थानीय विवादों का समाधान करना।

  4. वित्तीय प्रबंधन: पंचायत के वित्तीय संसाधनों का सही उपयोग और प्रबंधन करना।

  5. समन्वय और प्रशासन: क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के साथ समन्वय स्थापित करना और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाना।

नगरीय स्थानीय शासन: उत्तराखण्ड और भारतीय संविधान में

नगरीय स्थानीय शासन, शहरों और कस्बों में स्थानीय प्रशासन और विकास कार्यों के संचालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्यवस्था शहरों के नागरिकों को स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता प्रदान करती है। यहाँ नगरीय स्थानीय शासन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं:


40. उत्तराखण्ड में नगरीय स्वायत्त शासन प्रणाली की शुरुआत हुई

(a) वर्ष 1915 में
(b) वर्ष 1916 में
(c) वर्ष 1917 में
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (b) वर्ष 1916 में

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड में नगरीय स्वायत्त शासन प्रणाली की शुरुआत वर्ष 1916 में हुई थी। इस समय के दौरान स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए गए थे।


41. संविधान के किस संशोधन के अन्तर्गत नगरीय स्थानीय शासन को संवैधानिक दर्जा दिया गया?

(a) 72वें संशोधन
(b) 73वें संशोधन
(c) 74वें संशोधन
(d) 75वें संशोधन

उत्तर: (c) 74वें संशोधन

स्पष्टीकरण: भारतीय संविधान के 74वें संशोधन द्वारा नगरीय स्थानीय शासन को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इस संशोधन के माध्यम से शहरों और कस्बों के स्थानीय स्वशासन को संविधान में मान्यता दी गई।


42. भारतीय नगरीय स्थानीय शासन को किस वर्ष संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?

(a) वर्ष 1991
(b) वर्ष 1992
(c) वर्ष 1993
(d) वर्ष 1994

उत्तर: (c) वर्ष 1993

स्पष्टीकरण: भारतीय नगरीय स्थानीय शासन को संवैधानिक दर्जा वर्ष 1993 में प्रदान किया गया। इस साल के दौरान संविधान में 74वें संशोधन के माध्यम से नगरीय स्थानीय शासन को एक संवैधानिक दर्जा दिया गया।


43. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में नगरीय स्थानीय शासन व्यवस्था का उल्लेख किया गया है?

(a) अनुच्छेद-243 (त)
(b) अनुच्छेद-243 (य)
(c) अनुच्छेद-243 (छ)
(d) अनुच्छेद-243 (घ)

उत्तर: (d) अनुच्छेद-243 (घ)

स्पष्टीकरण: भारतीय संविधान के अनुच्छेद-243 (घ) में नगरीय स्थानीय शासन व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की संरचना और कार्यप्रणाली को परिभाषित किया गया है।


नगरीय स्थानीय शासन की संरचना

नगरीय स्थानीय शासन की संरचना और कार्यप्रणाली भारतीय संविधान और राज्य के कानूनों के अनुसार निर्धारित की जाती है। यहाँ नगरीय स्थानीय शासन की कुछ प्रमुख इकाइयाँ और उनकी भूमिकाएँ दी गई हैं:

  1. नगर पालिका: यह नगरपालिकाओं के प्रशासनिक और विकास कार्यों की जिम्मेदारी निभाती है। नगर पालिका का प्रमुख आमतौर पर महापौर होता है, जिसे सीधे चुनाव द्वारा चुना जाता है।

  2. नगर निगम: यह बड़े शहरों में कार्यरत होती है और नगर पालिका की तुलना में अधिक विस्तृत जिम्मेदारियाँ और अधिकार रखती है। नगर निगम का प्रमुख भी महापौर होता है।

  3. नगर पंचायत: यह छोटे कस्बों और नगरों में स्थापित होती है और नगर पालिका की तरह ही स्थानीय प्रशासनिक और विकास कार्यों का संचालन करती है।

उत्तराखण्ड नगर निगम: महत्वपूर्ण जानकारी

नगरीय स्थानीय शासन की एक महत्वपूर्ण इकाई नगर निगम है, जो शहरों और नगरों के विकास और प्रशासन की जिम्मेदारी निभाती है। उत्तराखण्ड में नगर निगम से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर निम्नलिखित हैं:


44. पहाड़ी भागों में नगर निगम की स्थापना के लिए कितनी जनसंख्या होना अनिवार्य है?

(a) 60 हजार या अधिक
(b) 70 हजार या अधिक
(c) 80 हजार या अधिक
(d) 90 हजार या अधिक

उत्तर: (d) 90 हजार या अधिक

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड के पहाड़ी भागों में नगर निगम की स्थापना के लिए कम से कम 90 हजार की जनसंख्या होना अनिवार्य है। यह जनसंख्या मानदंड पहाड़ी क्षेत्रों की विशेष भौगोलिक और जनसंख्या संरचना को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया है।


45. उत्तराखण्ड में नगर निगम का गठन कितनी जनसंख्या के आधार पर किया जाता है?

(a) 1 लाख
(b) 1.5 लाख
(c) 2.5 लाख
(d) 4 लाख

उत्तर: (a) 1 लाख

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड में नगर निगम का गठन उन नगरों के आधार पर किया जाता है जिनकी जनसंख्या 1 लाख या इससे अधिक होती है। यह जनसंख्या मानदंड नगर निगम के प्रशासनिक और विकासात्मक कार्यों की व्यापकता को सुनिश्चित करने के लिए है।


46. निम्न में से कौन नगर निगम के सदस्य होते हैं?

(a) नगर प्रमुख
(b) डिप्टी मेयर
(c) पार्षद्
(d) ये सभी

उत्तर: (d) ये सभी

स्पष्टीकरण: नगर निगम में नगर प्रमुख (महापौर), डिप्टी मेयर (उप महापौर) और पार्षद् (नगर निगम के सदस्य) सभी शामिल होते हैं। ये सदस्य नगर निगम के विभिन्न प्रशासनिक और विकासात्मक कार्यों को संचालित करते हैं।


47. उत्तराखण्ड के किस नगर में नगर निगम नहीं है?

(a) नैनीताल
(b) देहरादून
(c) रुड़की
(d) काशीपुर

उत्तर: (a) नैनीताल

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड के नैनीताल नगर में नगर निगम नहीं है। नैनीताल एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, लेकिन नगर निगम की स्थापना अन्य नगरों की तरह यहाँ नहीं की गई है।


48. उत्तराखण्ड में नगर निगम के मेयर का चुनाव कौन करता है?

(a) लोकसभा
(b) राज्य विधानसभा
(c) जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव
(d) सभासदों द्वारा

उत्तर: (c) जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड में नगर निगम के मेयर का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से किया जाता है। यह स्थानीय प्रशासन के प्रमुख को सीधे जनमत से चुने जाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है।


49. उत्तराखण्ड के कितने नगरों में नगर निगम हैं?

(a) 4
(b) 6
(c) 8
(d) 9

उत्तर: (d) 9

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड में कुल 9 नगरों में नगर निगम की स्थापना की गई है। ये नगर निगम स्थानीय स्वशासन को बेहतर बनाने और नगरों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उत्तराखण्ड नगरपालिका परिषद्: महत्वपूर्ण जानकारी

नगरपालिका परिषदें स्थानीय निकायों का एक महत्वपूर्ण भाग हैं, जो नगरों और छोटे शहरों के प्रशासन और विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। उत्तराखण्ड में नगरपालिका परिषदों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर निम्नलिखित हैं:


50. प्रथम नगरपालिका का गठन किस वर्ष मद्रास में किया गया था?

(a) 1667 ई.
(b) 1677 ई.
(c) 1687 ई.
(d) 1697 ई.

उत्तर: (c) 1687 ई.

स्पष्टीकरण: मद्रास में पहली नगरपालिका का गठन 1687 ई. में किया गया था। यह नगरपालिकाओं की स्थापना का एक महत्वपूर्ण कदम था और इससे नगरों के प्रशासन में सुधार हुआ।


51. नगरपालिका परिषद् के अध्यक्ष का चुनाव किस प्रकार किया जाता है?

(a) प्रत्यक्ष
(b) अप्रत्यक्ष
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (a) प्रत्यक्ष

स्पष्टीकरण: नगरपालिका परिषद् के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि नगर परिषद् का प्रमुख सीधे जनता द्वारा चुना जाए।


52. नगरपालिका को भारतीय संविधान की 12 अनुसूची के अन्तर्गत कितने विषयों पर कार्य करने का अधिकार प्राप्त है?

(a) 27 विषय
(b) 25 विषय
(c) 18 विषय
(d) 12 विषय

उत्तर: (c) 18 विषय

स्पष्टीकरण: भारतीय संविधान की 12 अनुसूची के अंतर्गत नगरपालिका को 18 विषयों पर कार्य करने का अधिकार प्राप्त है। ये विषय स्थानीय प्रशासन और विकास से संबंधित होते हैं।


53. नगरपालिका परिषद् के गठन हेतु पहाड़ी भागों में अनिवार्य जनसंख्या निर्धारित है

(a) 50 हजार
(b) 65 हजार
(c) 75 हजार
(d) 90 हजार

उत्तर: (d) 90 हजार

स्पष्टीकरण: पहाड़ी भागों में नगरपालिका परिषद् के गठन के लिए अनिवार्य जनसंख्या 90 हजार निर्धारित की गई है। यह मानदंड पहाड़ी क्षेत्रों की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया गया है।


54. उत्तराखण्ड में नगरपालिका परिषदों की कुल संख्या कितनी है?

(a) 32
(b) 39
(c) 41
(d) 47

उत्तर: (c) 41

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड में कुल 41 नगरपालिका परिषदें हैं। ये परिषदें नगरों और छोटे शहरों के प्रशासन और विकास के लिए जिम्मेदार होती हैं।


55. निम्नलिखित में से कौन-से कार्य नगरपालिका द्वारा किए जाते हैं?

(a) वह आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए योजनाएँ बनाती हैं।
(b) वह समाज के पिछड़े वर्ग के विकास के लिए कार्य करती है।
(c) वह सड़क, प्रकाश, पेयजल सीवरेज, इत्यादि की व्यवस्था करती है।
(d) उपरोक्त सभी

उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

स्पष्टीकरण: नगरपालिका परिषदें आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योजनाएँ बनाती हैं, समाज के पिछड़े वर्ग के विकास के लिए कार्य करती हैं, और सड़क, प्रकाश, पेयजल, सीवरेज जैसी आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था करती हैं।

उत्तराखण्ड नगर पंचायत: महत्वपूर्ण जानकारी

56. नगर पंचायत के गठन के लिए नगरों या कस्बों की न्यूनतम जनसंख्या कितनी होनी चाहिए?

(a) 1000
(b) 2000
(c) 4000
(d) 5000

उत्तर: (d) 5000

स्पष्टीकरण: नगर पंचायत के गठन के लिए नगरों या कस्बों की न्यूनतम जनसंख्या 5000 होनी चाहिए। यह मानदंड नगर पंचायतों की जनसंख्या की आवश्यकता को दर्शाता है।


57. उत्तराखण्ड में कुल कितनी नगर पंचायतें हैं?

(a) 38
(b) 43
(c) 47
(d) 52

उत्तर: (d) 52

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड में कुल 52 नगर पंचायतें हैं। ये नगर पंचायतें छोटे नगरों और कस्बों के स्थानीय प्रशासन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।


58. उत्तराखण्ड में निम्नलिखित में से किस नगर पंचायत में सदस्य केवल मनोनीत किए जाते हैं?

(a) बद्रीनाथ
(b) केदारनाथ
(c) गंगोत्री
(d) ये सभी

उत्तर: (d) ये सभी

स्पष्टीकरण: बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री नगर पंचायतों में सभी सदस्य केवल मनोनीत किए जाते हैं। इन क्षेत्रों की विशेष परिस्थितियों के कारण चुनाव नहीं होते हैं।


59. निम्न में से कौन सामान्य व राजस्व प्रशासन की तरह विकास प्रशासन के स्तर हैं?

(a) राज्य स्तर
(b) जिला स्तर
(c) ब्लॉक स्तर
(d) ये सभी

उत्तर: (d) ये सभी

स्पष्टीकरण: राज्य स्तर, जिला स्तर और ब्लॉक स्तर सभी विकास प्रशासन के महत्वपूर्ण स्तर हैं। ये स्तर सामान्य और राजस्व प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करते हैं।


60. उत्तराखण्ड के गठन से लेकर अभी तक राज्य में कुल कितने उपचुनाव हो चुके हैं?

(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4

उत्तर: (c) 3

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड के गठन से लेकर अब तक राज्य में कुल 3 उपचुनाव हो चुके हैं। ये उपचुनाव विभिन्न विधानसभा सीटों पर आयोजित किए गए हैं।


61. उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों में उत्तराखण्ड कानूनी सहायता एवं परामर्श बोर्ड को क्या कहा जाता है?

(a) जिला सहायता समिति
(b) जिला न्यायिक समिति
(c) त्वरित निपटान समिति
(d) जिला कानूनी सहायता व परामर्श समिति

उत्तर: (d) जिला कानूनी सहायता व परामर्श समिति

स्पष्टीकरण: उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों में उत्तराखण्ड कानूनी सहायता एवं परामर्श बोर्ड को 'जिला कानूनी सहायता व परामर्श समिति' कहा जाता है। यह समिति कानूनी सहायता और परामर्श प्रदान करती है।

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