उत्तराखंड की पारंपरिक मिठास का राज - The secret of Uttarakhand's traditional sweetness

उत्तराखंड का चलते-फिरते भूख शांत करने वाला भोजन: बुखणा/चूड़ा

उत्तराखंड की पारंपरिक मिठास का राज

उत्तराखंड की पारंपरिक भोजन संस्कृति में बुखणा या चूड़ा एक खास स्थान रखता है। यह पहाड़ी जीवन की एक अनिवार्य आदत है, जो न केवल भूख शांत करती है, बल्कि आत्मीयता और पारंपरिकता का प्रतीक भी है।

Kumaoni food recipe Kumaoni food in Nainital Kumaoni food in Delhi History of kumaoni food


बुखणा: एक पारंपरिक भोजन

बुखणा या चूड़ा, पहाड़ी जीवन में विशेष महत्व रखता है। जब कोई व्यक्ति अपने दूर ब्याही बेटियों को मायके की खुशियों का संदेश भेजता था, तो वह बुखणा जरूर भेजता था। यही नहीं, घसियारियां जब जंगल से घास-लकड़ी लाती थीं, तो उनके सिर पर बुखणा की पोटली होती थी। यह एक ऐसा भोजन है जिसे चलते-फिरते, काम करते हुए या विश्राम के समय आसानी से खाया जा सकता है।

चावल के बुखणा

चावल के बुखणा बनाने की प्रक्रिया में धान की फसल से अधपकी बालियों को अलग किया जाता है। इन्हें हल्की आंच पर भूनने के बाद, ठंडा करके ओखली में कूटते हैं। भंगजीर के पत्ते मिलाकर इसे अच्छी तरह फटककर भूसा अलग कर लिया जाता है। इस प्रकार तैयार होता है चावल का बुखणा।

चावल के मीठे बुखणा

मीठे बुखणा बनाने के लिए, चावल को भूनकर गुड़ के पानी में डालते हैं। इसे अच्छी तरह मिलाकर, थोड़ी देर ढककर रख देते हैं। फिर इसे हल्का सूखने के बाद सेवन किया जाता है। यह मीठा बुखणा खासतौर पर मिठास का आनंद देता है।

चीणा के बुखणा

चीणा के बुखणा (चिन्याल) भी उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों में प्रचलित हैं। चीणा की बालियों को भूनकर बनाए जाते हैं, जो धान के बुखणा की तुलना में अधिक महकदार और स्वादिष्ट होते हैं। भंगजीर के पत्ते मिलाकर इनका स्वाद लाजवाब हो जाता है।

कौणी-झंगोरा के बुखणा

कौणी और झंगोरा के बुखणा बनाने की परंपरा भी पहाड़ में रही है। कौणी के बुखणा को कौन्याल कहा जाता है। इन्हें चावल और चीणा की तरह ही तैयार किया जाता है, लेकिन स्वाद में थोड़े भिन्नता के साथ।

बुखणा का स्वास्थ्य लाभ

बुखणा न केवल सुपाच्य होता है, बल्कि पौष्टिकता और ऊर्जा का भी स्रोत है। इसमें अखरोट, सिरोला, तिल, भंगजीर आदि मिलाकर इसका स्वाद और पौष्टिकता बढ़ जाती है। अखरोट हृदय रोग और डायबिटीज को नियंत्रित करता है, जबकि तिल और सिरोला बुखणा के स्वाद और स्वास्थ्य लाभ को और बढ़ाते हैं।

सुपाच्य, पौष्टिक एवं ऊर्जा का स्रोत

बुखणा के साथ यदि अखरोट, भंगजीर, सिरोला, तिल आदि भी मिला लिए जाएं तो इनका स्वाद और पौष्टिकता, दोनों ही बढ़ जाते हैं। यह सुपाच्य एवं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाला भोजन है।

निष्कर्ष

बुखणा पहाड़ का चलता-फिरता फास्ट फूड है, जो आधुनिक फास्ट फूड की तरह केवल पेट भरने वाला नहीं होता, बल्कि यह मिठास और स्फूर्ति प्रदान करता है। यह एक पारंपरिक भोजन है जो हर एक घूंट के साथ एक कहानी सुनाता है और उत्तराखंड की संस्कृति को जीवित रखता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Most Popular

केदारनाथ स्टेटस हिंदी में 2 लाइन(kedarnath status in hindi 2 line) something
जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें  (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )
हिमाचल प्रदेश पर शायरी स्टेटस कोट्स इन हिंदी(Shayari Status Quotes on Himachal Pradesh in Hindi)
 हिमाचल प्रदेश की वादियां शायरी 2 Line( Himachal Pradesh Ki Vadiyan Shayari )
महाकाल महादेव शिव शायरी दो लाइन स्टेटस इन हिंदी (Mahadev Status | Mahakal Status)
हिमाचल प्रदेश पर शायरी (Shayari on Himachal Pradesh )
गढ़वाली लोक साहित्य का इतिहास एवं स्वरूप (History and nature of Garhwali folk literature)
श्री बद्रीनाथ स्तुति (Shri Badrinath Stuti) Badrinath Quotes in Sanskrit
150+ उत्तराखंड सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर हिंदी में | Gk in Hindi - 150 +  Uttarakhand GK Question Answers in Hindi | Gk in hindi
Pahadi A Cappella 2 || Gothar Da Bakam Bham || गोठरदा बकम भम || MGV DIGITAL