शहीद श्रीदेव सुमन: उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी - Shaheed Sridev Suman: The Great Freedom Fighter of Uttarakhand
शहीद श्रीदेव सुमन: उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी
शहीद श्रीदेव सुमन का जीवन एक अद्वितीय साहस और बलिदान की कहानी है। उन्होंने अपने जीवन को देश की आजादी के लिए समर्पित किया और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से यह साबित किया कि सत्य और न्याय के लिए खड़ा होना ही सच्ची वीरता है। उनके योगदान को याद करते हुए हम उन्हें नमन करते हैं और उनके बलिदान को हमेशा याद रखेंगे।
शहीद श्रीदेव सुमन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर
श्रीदेव सुमन का जन्म कब और कहां हुआ था?
- श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के जौल गांव में हुआ था।
श्रीदेव सुमन के माता-पिता के नाम क्या थे?
- उनके पिता का नाम हरीराम बड़ोनी था, जो एक वैद्य थे, और उनकी माता का नाम तारा देवी था।
श्रीदेव सुमन के बचपन का नाम क्या था?
- श्रीदेव सुमन के बचपन का नाम श्रीदत्त था।
श्रीदेव सुमन ने स्वतंत्रता संग्राम में कब भाग लिया और क्या योगदान दिया?
- श्रीदेव सुमन ने 1930 में 14 वर्ष की आयु में नमक सत्याग्रह में भाग लिया। उन्होंने 1938 में दिल्ली में 'गढ़ देश सेवा संघ' की स्थापना की और 1939 में 'टिहरी राज्य प्रजामंडल' की स्थापना के माध्यम से टिहरी रियासत के लोगों को संगठित किया।
श्रीदेव सुमन ने अपनी कविताओं का संकलन किस नाम से प्रकाशित किया था?
- श्रीदेव सुमन ने 1937 में 'सुमन सौरभ' नाम से कविताओं का संकलन प्रकाशित कराया।
श्रीदेव सुमन पर कब और क्यों मुकदमा चला?
- 21 फरवरी 1944 को श्रीदेव सुमन पर राजद्रोह का मुकदमा चला।
श्रीदेव सुमन ने आमरण अनशन कब शुरू किया और इसका परिणाम क्या हुआ?
- श्रीदेव सुमन ने 3 मई 1944 को आमरण अनशन शुरू किया, जो 25 जुलाई 1944 तक चला। 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद उनकी मृत्यु हो गई।
श्रीदेव सुमन के बारे में पंडित नेहरू का क्या कथन था?
- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने टिहरी रियासत के कैदखानों की आलोचना करते हुए कहा था कि "टिहरी राज्य के कैदखाने दुनिया भर में मशहूर होंगे, परन्तु इससे दुनिया में रियासत की कोई इज्जत नहीं बढ़ सकती।"
श्रीदेव सुमन की स्मृति में कब और कैसे सम्मानित किया गया?
- पहला श्रीदेव सुमन स्मृति दिवस 25 जुलाई 1946 को मनाया गया। इसके अलावा, उनके सम्मान में 2021 में डाक विभाग ने एक विशेष लिफाफा भी जारी किया।
श्रीदेव सुमन का एक प्रसिद्ध कथन क्या था?
- श्रीदेव सुमन का प्रसिद्ध कथन था, "तुम मुझे तोड़ सकते हो, मोड़ नहीं सकते।"
श्रीदेव सुमन की शिक्षा कहां हुई थी?
- उनकी प्रारंभिक शिक्षा जौल गांव और चम्बाखाल में हुई। इसके बाद उन्होंने देहरादून, लाहौर, और दिल्ली में भी शिक्षा प्राप्त की और विभिन्न परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं।
श्रीदेव सुमन के जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- श्रीदेव सुमन का मुख्य उद्देश्य टिहरी रियासत के अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष करना और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेना था।
इन प्रश्नों और उत्तरों के माध्यम से श्रीदेव सुमन के जीवन और उनके योगदान के विभिन्न पहलुओं को समझा जा सकता है।
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