उत्तराखंड के पारंपरिक बुखणा/चूड़ा: एक अद्भुत चलते-फिरते भोजन की कहानी
उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन में बुखणा (या चूड़ा) एक अनूठा स्थान रखता है। यह न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि एक समय में पहाड़ी जीवन की अनिवार्य कड़ी भी रहा है। एक दौर में, जब मां अपनी दूर ब्याही बेटियों को मायके की खुशियों का संदेश भेजती थीं, तो उनके साथ बुखणा भेजना परंपरा थी। आज, भले ही यह परंपरा लगभग लुप्त हो चुकी है, लेकिन बुखणा का महत्व और स्वाद आज भी जीवंत है। आइए, जानते हैं बुखणा के विभिन्न प्रकार और उनके बनाने की विधि।
चावल के बुखणा
सामग्री:
- धान की अधपकी बालियाँ
- भंगजीर के पत्ते (वैकल्पिक)
विधि:
- धान की फसल काटते समय अधपकी बालियों को अलग कर लें।
- इन बालियों को कढ़ाई में हल्की आंच पर भूनें। यदि बाली पूरी तरह सूखी हो, तो भूनने से पहले पानी में भिगो लें।
- भूनने के बाद बालियों को ठंडा कर लें और ओखली में कूटें।
- कूटते समय धान के साथ भंगजीर के पत्ते डालें।
- सूप से अच्छी तरह फटककर भूसा अलग कर लें। बुखणा तैयार है।
चावल के मीठे बुखणा
सामग्री:
- चावल
- गुड़
विधि:
- चावल के वजन का आधा गुड़ कम पानी में उबालकर एक तरफ रख लें।
- चावल को कढ़ाई में भूनें और गुड़ के पानी में डालें।
- अच्छी तरह मिलाने के बाद बर्तन को ढककर थोड़ी देर के लिए रख दें।
- ढक्कन हटाकर चावल को हल्का सूखने दें। मीठा बुखणा तैयार है।
चीणा के बुखणा
सामग्री:
- चीणा (पेनिकम मैलेशियम)
विधि:
- चीणा को धान की तरह भूनें।
- भंगजीर के हरे पत्ते मिलाकर इसका स्वाद बढ़ाएं।
- चीणा की महक धान के बुखणा की तुलना में अधिक होती है।
कौणी-झंगोरा के बुखणा
सामग्री:
- चावल
- झंगोरा
- कौणी
विधि:
- चावल और झंगोरा के बुखणा बनाने की प्रक्रिया चावल और चीणा के बुखणा जैसी ही है।
- कौणी के बुखणा को कौन्याल कहा जाता है और इसका स्वाद थोड़ा अलग होता है।
बुखणा की खासियत
1. चलने-फिरने के दौरान आसान भोजन: बुखणा एक ऐसा भोजन है जिसे चलते-फिरते, काम करते हुए या क्षणिक विश्राम के दौरान आराम से खाया जा सकता है।
2. पौष्टिकता और स्वाद: बुखणा में अखरोट, सिरोला, तिल, और भंगजीर मिलाकर इसे और भी पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाया जाता है। ये तत्व न केवल स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। अखरोट ग्लूकोज को नियंत्रित करता है और हृदय रोगों से बचाव करता है।
3. सुपाच्य और ऊर्जा दायक: बुखणा सुपाच्य और ऊर्जा प्रदान करने वाला भोजन है। यह शरीर को ताजगी और स्फूर्ति प्रदान करता है।
निष्कर्ष
बुखणा पहाड़ का चलता-फिरता फास्ट फूड है, जो कि केवल पेट भरने वाला भोजन नहीं बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक भी है। यह एक सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे हमें संरक्षित और प्रोत्साहित करना चाहिए। आज भी, बुखणा का स्वाद और महत्व उतना ही जीवंत है, जितना कि पहले था।
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