बीरा बैण (बहन) : उत्तराखंड की लोक-कथा Bira Bain (Bahin) : Lok-Katha (Uttarakhand)

बीरा बैण (बहन) : उत्तराखंड की लोक-कथा

बहुत पुरानी बात है। उत्तराखंड के जंगल में एक विधवा बुढ़िया रहती थी। उसके सात बेटे थे और एक प्यारी-सी बेटी थी । बेटी का नाम था बीरा। कुछ दिनों बाद जब बुढ़िया की मृत्यु हो गई, तो उसके ये बच्चे अनाथ हो गए। सातों भाई शिकार खेलने के शौकीन थे।

एक दिन वे सातों भाई मिलकर एक साथ शिकार खेलने निकले। उन्होंने चलते-चलते अपनी बहन बीरा से कहा-तुम हमारे लिए भोजन बनाकर रखना, हम जल्दी लौट कर आ जाएंगे।

भाइयों के जाने के बाद झोंपड़ी में बीरा अकेली रह गई। बीरा ने आग जलाकर खीर बनाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद खीर उबल कर चूल्हे में गिर गई। इससे आग बुझ गई।

बीरा बहुत परेशान हुई। उसके पास माचिस भी नहीं थी, वह आग कैसे जलाती? उसके आस-पास कोई घर भी नहीं था। अब वह आग कहां से मांग कर लाए? वह अपनी झोंपड़ी से निकल कर जंगल में दूर तक निकल गई। देखने लगी कि कोई घर मिले, तो वहां से आग मांग ले।

चलते-चलते उसे एक बड़ा-सा मकान दिखाई दिया। उसने मकान के सामने जाकर उसका दरवाजा खटखटाया। दरवाजा एक औरत ने खोला। औरत ने बीरा को देखकर कहा-‘तुम यहां से चली जाओ। यह राक्षस का घर है। वह अभी आने वाला है। तुम्हें देखेगा, तो तुम्हें खा जाएगा।’

बीरा ने कहा-‘बहन! मुझे थोड़ी-सी आग चाहिए। खाना बनाना है। बड़ी जोर की भूख लगी है।’

वह औरत राक्षस की पत्नी थी, लेकिन जब बीरा ने उसे बहन कहा, तो उसे बीरा पर दया आ गई। उसने बीरा को जल्दी से थोड़ी-सी आग दे दी। उसने उसे चौलाई भी दी और कहा-‘तुम यहां से जल्दी निकल जाओ। ऐसा करना कि रास्ते में इस चौलाई के दानों को गिराती जाना। जहां भी दो रास्ते मिलें, वहां के बाद चौलाई मत गिराना। इससे राक्षस रास्ता भटक जाएगा और तुम्हारे घर तक नहीं पहुंच सकेगा। याद रखना इस चौलाई को अपने घर तक मत ले जाना, नहीं तो राक्षस वहीं पहुंच जाएगा।’

बीरा अपने साथ चौलाई ले गई और उसके दाने रास्ते में गिराती गई। वह जल्दी-जल्दी जा रही थी। वह राक्षस की पत्नी की बात भूल गई। उसने पूरे रास्ते पर चौलाई के दारे गिरा दिए। कुछ दाने अपने घर तक भी ले गई।

जब राक्षस अपने घर लौट कर आया, तो उसे मनुष्य की गंध आने लगी। वह समझ गया कि आज जरूर कोई मनुष्य मेरे घर आया है। उसने अपनी पत्नी से पूछा- ‘आदमी की गंध आ रही है, क्या कोई आदमी हमारे घर आया था?’

उसकी पत्नी ने कहा-‘नहीं तो। यहां तो कोई नहीं आया।’

राक्षस ने अपनी पत्नी को पहले तो खूब डांटा। फिर मारना-पीटना शुरू कर दिया। डर के मारे उसकी पत्नी ने राक्षस को बीरा के आने की बात बता दी। सुनते ही वह राक्षस बीरा की तलाश में निकल पड़ा। वह चौलाई के बीज देखता हुआ बीरा की झोंपड़ी तक पहुंच गया। झोंपड़ी में बीरा अकेली थी। तब तक उसके भाई नहीं लौटे थे। उसने अपने भाइयों के लिए खाना बनाकर सात थालियों में परोस कर रखा हुआ था। राक्षस को देखकर वह डर गई और पानी के पीपे में छिपकर बैठ गई। राक्षस ने सारा खाना खा लिया। खाने के बाद वह पानी के पीपे की ओर गया। सारा पानी पीने के बाद उसने खाली पीपे में बैठी बीरा को पकड़ लिया। वह बीरा को जीवित निगल गया।

खा-पीकर राक्षस झोंपड़ी के दरवाजे पर सो गया, क्योंकि उसे बहुत जोर की नींद आ रही थी। जब बीरा के भाई लौटकर आए, तो उन्होंने राक्षस को दरवाजे पर सोते हुए पाया। उन्होंने देखा बीरा घर में नहीं है। वे समझ गए कि जरूर इस राक्षस ने हमारी बीरा बहन को खा लिया है। उन्होंने तुरंत राक्षस के हाथ-पैर काट डाले। फिर उसका पेट फाड़ दिया। राक्षस मर गया और उसके पेट से बीरा भी निकल आई।

इसके बाद वे भाई-बहन सुख पूर्वक रहने लगे। जब भी वे कभी बाहर जाते, तो कोई न कोई भाई बीरा के पास जरूर रह जाता था।

1. परिवार और भाइयों का प्यार:

भाइयों का अपनी बहन के प्रति प्यार और देखभाल कहानी का मुख्य तत्व है। वे बहन को अकेला छोड़कर बाहर जाते समय उसे घर की जिम्मेदारी सौंपते हैं और अंत में उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। यह हमें सिखाता है कि परिवार के सदस्यों का एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सुरक्षा की भावना कितनी महत्वपूर्ण होती है।

2. सावधानी और सतर्कता:

बीरा को राक्षस की पत्नी ने आग दी और उसे रास्ते में चौलाई के बीज गिराने की योजना बताई, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि बीजों को घर तक मत ले जाना। हालांकि, बीरा इस चेतावनी को भूल जाती है, जिससे राक्षस उसके घर तक पहुंच जाता है। इससे यह सीख मिलती है कि हमें जीवन में दी गई सलाहों और चेतावनियों का पालन करना चाहिए, क्योंकि लापरवाही से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

3. दयालुता और मदद का महत्व:

राक्षस की पत्नी, जो खुद एक मुश्किल स्थिति में है, बीरा को आग और चौलाई देकर उसकी मदद करती है। यह सिखाता है कि हमें दूसरों की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए, भले ही हमारी अपनी स्थिति मुश्किल क्यों न हो। एक छोटा-सा दयालुता का काम किसी की बड़ी मुसीबत हल कर सकता है।

4. धैर्य और साहस:

बीरा का अकेले जंगल में आग ढूंढने जाना और फिर राक्षस के घर तक पहुंचना उसके साहस और धैर्य का प्रतीक है। कठिन समय में धैर्य और साहस बनाए रखना जरूरी है। हालांकि बाद में वह गलती करती है, लेकिन उसकी स्थिति से बाहर आने का संघर्ष भी सराहनीय है।

5. बुराई का अंत निश्चित है:

राक्षस, जो बुराई का प्रतीक है, अंततः मारा जाता है। यह सिखाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में अच्छाई की ही जीत होती है। बीरा के भाई राक्षस को मारकर अपनी बहन को बचा लेते हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि जब भी हम एकजुट होकर बुराई का सामना करते हैं, तो हम विजयी होते हैं।

6. निर्णय और जिम्मेदारी का महत्व:

कहानी में बीरा की गलती से यह सीख मिलती है कि हमें अपने हर निर्णय के बारे में सतर्क रहना चाहिए और उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सावधानी से लिए गए निर्णय हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

1. सवाल: बीरा और उसके भाइयों के माता-पिता का क्या हुआ था?

उत्तर: बीरा और उसके भाइयों की माँ की मृत्यु हो चुकी थी, जिसके बाद ये बच्चे अनाथ हो गए थे।

2. सवाल: बीरा को किस काम के लिए आग की जरूरत थी?

उत्तर: बीरा को अपने भाइयों के लिए भोजन बनाने के लिए आग की जरूरत थी।

3. सवाल: बीरा आग लेने कहाँ गई थी और उसे किसने आग दी?

उत्तर: बीरा आग लेने जंगल में गई थी, जहाँ उसे एक मकान मिला। मकान में रहने वाली राक्षस की पत्नी ने उसे आग दी थी।

4. सवाल: राक्षस की पत्नी ने बीरा को क्या चेतावनी दी थी?

उत्तर: राक्षस की पत्नी ने बीरा को चेतावनी दी थी कि वह चौलाई के बीज रास्ते में गिराती जाए, लेकिन घर तक न ले जाए, क्योंकि इससे राक्षस उसका पीछा नहीं कर पाएगा।

5. सवाल: बीरा की गलती क्या थी जिससे राक्षस उसके घर तक पहुंच गया?

उत्तर: बीरा चौलाई के बीज अपने घर तक ले आई थी, जबकि उसे राक्षस की पत्नी ने ऐसा न करने की चेतावनी दी थी। इसी वजह से राक्षस उसके घर तक पहुंच गया।

6. सवाल: राक्षस ने बीरा को कहाँ पाया और उसके साथ क्या किया?

उत्तर: राक्षस ने बीरा को पानी के पीपे में छिपा हुआ पाया और उसे जिंदा निगल लिया।

7. सवाल: बीरा के भाइयों ने राक्षस को कैसे हराया?

उत्तर: बीरा के भाइयों ने राक्षस के हाथ-पैर काट डाले और उसका पेट फाड़ दिया, जिससे बीरा राक्षस के पेट से बाहर आ गई।

8. सवाल: कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर: इस कहानी से हमें परिवार के प्रति प्रेम और सुरक्षा, सावधानी से सलाह मानना, धैर्य और साहस रखना, और बुराई का अंत निश्चित होने जैसी महत्वपूर्ण सीखें मिलती हैं।

9. सवाल: राक्षस की पत्नी ने बीरा की मदद क्यों की?

उत्तर: जब बीरा ने राक्षस की पत्नी को 'बहन' कहकर संबोधित किया, तो उसे बीरा पर दया आ गई और उसने उसकी मदद की।

10. सवाल: बीरा के भाइयों ने राक्षस से बदला लेने के बाद क्या किया?

उत्तर: राक्षस को मारने के बाद बीरा और उसके भाई फिर से सुखपूर्वक रहने लगे, और अब वे अपनी बहन को कभी अकेला नहीं छोड़ते थे।

टिप्पणियाँ