जी राया जागि राया || हरेला पर गीत( Ji Raya Jagi Raya || Lyrics on Harela)

 जी राया जागि राया || हरेला पर गीत

जी रया जागी रया – हरेला पर्व का आशीर्वचन गीत

हरेला उत्तराखंड का एक प्रमुख लोक पर्व है, जो प्रकृति, हरियाली, और कृषि की समृद्धि का प्रतीक है। कुमाऊं मंडल में विशेष रूप से इस पर्व पर बड़े बुजुर्ग छोटे-बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को आशीर्वचन देते हैं, जिनमें जीवन के हर पहलू में खुशहाली, दीर्घायु, और समृद्धि की कामना की जाती है। ये आशीर्वचन “जी रया जागी रया” के रूप में कहे जाते हैं और हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।

हरेला पर्व पर पवित्र हरेले के पत्तों को कुल देवताओं को अर्पित करते हुए यह पारंपरिक आशीर्वचन गाए जाते हैं। इन पंक्तियों में जीवन के उत्थान और परिवार के सुख-समृद्धि की सुंदर कामनाएँ की जाती हैं।



कुमाउनी आशीष वचन मुख्यतः चढ़ाने वाले त्यौहारों पर दिए जाते हैं। अर्थात जिन त्योहारों में किसी अंकुरित अनाज पर या सबूत अनाज की प्राण प्रतिष्ठा करके उसे अपने कुल देवताओं को चढ़ा कर, रिश्ते में अपने से छोटे लोगों को आशीष के रुप चढ़ाते हैं, उस समय ये कुमाउनी आशीर्वचन गाये जाते है। या आशीष वचन बोले जाते हैं।

ये पारम्परिक शुभकामनायें , हरेले के त्यौहार को हरेले के पत्ते चढ़ाते समय, दीपावली बग्वाल में चूड़े चढ़ाते समय और बसंत पंचमी उत्तराखंड , के त्योहार के दिन जौ चढ़ाते वक़्त गाये जाते हैं। jee raya jagi raya  मुख्यतः हरेला पर्व के गीत हैं।

जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें –

जी रया जागी रया – हरेला पर्व की शुभकामनाएं

लाग हरयाव, लाग दशे,
लाग बगवाव।
जी रया जागी रया,
यो दिन यो बार भेंटने रया।

"तुम्हारा जीवन हरियाली से भरा रहे, हर दशा में समृद्धि आए।"

दूब जस फैल जाए,
बेरी जस फली जाई।
हिमाल में ह्युं छन तक,
गंगा ज्यूँ में पाणी छन तक,
यो दिन और यो मास
भेंटने रया।

"तुम्हारा जीवन दूब की तरह फैलता रहे और बेर की तरह फले-फूले, जैसे हिमालय स्थिर है और गंगा निरंतर बहती है, वैसे ही तुम्हारी उम्र दीर्घ और पवित्र रहे।"

अगाश जस उच्च है ज,
धरती जस चकोव है ज।
स्याव जसि बुद्धि है ज,
स्यू जस तराण है ज।
जी रया जागी रया,
यो दिन यो बार भेंटने रया।

"आकाश की ऊँचाई की तरह ऊँचाई पाओ, धरती की तरह स्थिरता प्राप्त करो। सियार जैसी बुद्धिमानी और सिंह जैसी ताकत रखो।"


हरेला पर्व पर गाए जाने वाले ये आशीर्वचन हमारी परंपराओं में दीर्घायु, सुख, और समृद्धि की कामना का प्रतीक हैं। "जी रया जागी रया" में निहित ये शब्द मात्र एक गीत नहीं, बल्कि जीवन के उत्थान और स्नेह का एक आशीर्वाद हैं।

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