पहाड़ो से विलुप्त होता मडुवा (रागी) है पौष्टिक तत्वों का खजाना - Maduwa (ragi) disappearing from the mountains is a treasure trove of nutrients

खान पान: पहाड़ो से विलुप्त होता मडुवा (रागी) है पौष्टिक तत्वों का खजाना


खाने-पीने का शौकीन कौन नहीं होता है। हर इंसान नए-नए व्यंजनों के बारे में जानना और उनका स्वाद लेना पसंद करता है। प्राचीन समय से ही लोगों का व्यवहार ऐसा रहा है कि वे खाने के नए-नए व्यंजन के बारे में सोचते रहते हैं। लोग तरह-तरह के खाने में रुचि दिखाते हैं।

हमारे उत्तराखंड की खान-पान की अपनी एक विशेष परम्परा और स्थान रहा है। यह राज्य प्राकृतिक दृष्टि से फला-फूला हुआ है, जिसमें विभिन प्रकार के व्यंजन और अनाज उगाए जाते हैं। इन्हीं में से एक अनाज है मडुवा, जिसे पुराने समय से हमारे खान-पान का हिस्सा माना जाता रहा है। आज हम आपको मडुवा (रागी) के बारे में, उसके गुणों के बारे में, और मडुवे की रोटी के बारे में बताएंगे।

मडुवा का परिचय

मडुवा जिसे रागी के रूप में भी जाना जाता है, अंग्रेजी में इसे फिंगर मिलेट (Finger Millet) कहा जाता है। यह भारत और अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल है। इसका वैज्ञानिक नाम एलुसीन कोरकाना है। यह भारत में गेहूं, चावल, मक्का, ज्वार, और बाजरा के बाद उत्पादन में छठे स्थान पर है। भारत में रागी (फिंगर बाजरा) का मुख्य उत्पादन कर्नाटक में होता है, जबकि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, बिहार और गोवा में इसे सीमित मात्रा में उगाया जाता है।

स्थानीय नामों में मडुवा

मडुवा को स्थानीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • उत्तराखंड: मंडुआ / मंगल
  • हिमाचल प्रदेश: कोदा
  • उड़िया: मंडिया
  • तेलंगाना: तेदालु
  • तमिल: केझवारगु
  • कन्नड़, तेलुगु और हिंदी: रागी

मडुवा के फायदे

मडुवा को सेहत के लिए उत्तम माना जाता है और इसे हृदय व मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है। कम बारिश में भी इसकी खेती संभव होती है। समय के साथ लोग इसकी खेती से दूर होते गए हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि मडुवा में कई रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। यह फाइबर और कैल्शियम से भरपूर होता है और इसकी खेती जैविक विधि से होती है।

1. हड्डियों के विकास के लिए लाभदायक

(RAGI GOOD FOR STRONG BONES)
मडुवा में अन्य अनाजों के मुकाबले अधिक कैल्शियम होता है। ओस्टियोपोरोसिस को रोकने और हड्डियों के विकास के मामलों में कैल्शियम एक महत्वपूर्ण कारक है। कैल्शियम की गोली लेने की बजाय, बच्चों के आहार में मडुवा देना इसके लाभ उठाने का एक अच्छा तरीका है।

2. उच्च मात्रा में फाइबर

(HIGH IN FIBRE)
सफेद चावल की तुलना में रागी में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन में सहायता करता है, अधिक खाने से बचाता है, और आपको काफी समय तक पूर्ण महसूस कराता है। अमिनो एसिड लेसिथिन और मेथिओनीन लिवर में से अतिरिक्त फैट से छुटकारा दिलाकर आपके शरीर के कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।

3. डायबिटीज में लाभदायक

(GOOD FOR DIABETES)
आजकल अधिकांश लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। मडुवा में मौजूद पदार्थ हमारे शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रित रखते हैं और डायबिटीज के मरीज को ज्यादा परेशानी नहीं होने देते। इसका सेवन करने से आपका शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा और आप स्वस्थ रहेंगे। नियमित रूप से जिन आहार में मडुवा (रागी) शामिल होता है, वे कम ग्लाइसेमिक प्रतिक्रिया के लिए जाने जाते हैं। इसे सुबह के भोजन में शामिल करना या दोपहर के भोजन में लेना सबसे अच्छा होता है ताकि पूरे दिन आपके सिस्टम को ट्रैक पर रखा जा सके।

4. आयरन का स्रोत

मडुवा प्राकृतिक आयरन का एक स्त्रोत है। एनीमिया और हेमोग्लोबिन स्तर से पीड़ित रोगी अपने खाने में रागी को शामिल करना शुरू कर सकते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी को ठीक किया जा सके।

5. ग्लूटेन मुक्त

(GLUTEN FREE)
सिलिएक रोग वाले लोग या लस मुक्त आहार लेने वाले लोग मडुवा को अपनी दैनिक खपत में शामिल कर सकते हैं क्योंकि यह ग्लूटेन मुक्त होता है। ज्यादातर अनाजों में ग्लूटेन एक प्रमुख पोषक तत्व होता है, लेकिन मडुवा इसमें अपवाद है।

6. मडुवा की खिचड़ी शिशु के लिए उपयोगी

(RAGI PORRIDGE FOR BABIES)
दक्षिण भारत में, जहां मडुवा का व्यापक रूप से उपयोग होता है, 28 दिन के जन्मे बच्चे को उनके नामकरण के दिन मडुवा का दलिया खिलाया जाता है। वहां ऐसा माना जाता है कि रागी बेहतर पाचन को बढ़ावा देता है। इसमें मौजूद उच्च कैल्शियम और आयरन सामग्री हड्डियों के विकास और शिशु के संपूर्ण विकास के लिए उपयोगी है। शिशुओं को माँ का दूध छुड़ाकर कुछ खिलाने की प्रक्रिया के दौरान विशेष रूप से संसाधित रागी पाउडर व्यापक रूप से उपलब्ध कराए जाते हैं।

7. स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए मडुवा के फायदे

(RAGI FOR NURSING MOTHERS)
जो महिलाएं अपने बच्चे को अपना दूध पिलाती हैं, उन्हें अपने आहार में मडुवा (रागी) को शामिल करना चाहिए, विशेषकर जब यह हरा होता है। यह माँ का दूध बढ़ाता है और दूध को आवश्यक अमिनो एसिड, लोहा और कैल्शियम प्रदान करता है, जो माँ और बच्चे के पोषण के लिए आवश्यक होते हैं।

8. त्वचा को रखता है जवां

(GOOD FOR SKIN)
त्वचा को युवा बनाए रखने के लिए रागी अद्भुत है। इसमें मेथिओनीन और लाइसिन जैसे महत्वपूर्ण अमिनो एसिड होते हैं, जो त्वचा के ऊतकों में कम झुरियों की संभावना को कम करते हैं। रागी विटामिन डी के कुछ प्राकृतिक स्त्रोतों में से एक है।

9. मस्तिष्क के लिए रागी का उपयोग

(RAGI GOOD FOR BRAIN)
मडुवा में अमिनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट की पर्याप्त मात्रा में बॉडी को स्वाभाविक रूप से आराम देने में मदद करती है। सामान्य बीमारी जैसे चिंता, अनिद्रा, और सिरदर्द का हल रागी से किया जा सकता है।

10. उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण

(RAGI FOR HIGH BLOOD PRESSURE)
ब्लड प्रेशर की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है। मडुवा से बनी रोटी का सेवन करने से हमारा रक्तचाप नियंत्रित रहता है। इसका रोजाना सेवन करने से रक्तचाप सही रहता है। रागी में बहुत से तत्व होते हैं जो हमारे रक्तचाप को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं, जिससे यह हमारे लिए फायदेमंद है।

11. वजन कम करने में उपयोगी

(GOOD FOR WEIGHT LOSS)
आजकल सभी व्यक्ति अपने मोटापे और बीमारी से परेशान रहते हैं। कई प्रकार की एक्सरसाइजेज और दवाइयाँ भी लेते हैं, पर कुछ काम नहीं करता। रागी में एमिनो एसिड और ट्रिप्टोफान भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर के अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद करते हैं।

रागी में फाइबर के गुण होते हैं, जिससे भूख कम लगती है और खाना कम खाया जाता है। इसके गुणों का लाभ उठाने के लिए इसे सुबह नाश्ते में लेना सबसे अच्छा होता है ताकि पेट पूरा दिन भरा रहे।

मडुवे की रोटी

मडुवे की रोटी उत्तराखंड की एक खास रोटी है। इसे बनाना गेहूँ की रोटी की तरह आसान नहीं होता है। इसका आटा हाथों में चिपकता है और रोटी बनाते समय टूट जाता है। इसलिए मडुवे की गोली बनाते समय हाथ में पलथाण (सूखा आटा) भी काम नहीं आता। आटा गूथने समय ध्यान रहे कि आटा न ज्यादा गीला हो और न ज्यादा सख्त। ताजे आटे के साथ हाथ में थोड़ा-थोड़ा पानी मिलाकर रोटी बनाएं।

रोटी बनाते समय ध्यान रखें कि रोटी ज्यादा मोटी न बने वरना अंदर से कच्ची रह जाएगी। रोटी को थोड़ी देर तवे में पकाने के बाद चूल्हे के अंगारों में ठीक से सेक लें। जब रोटी थोड़ी करारी लगने लगे, समझें कि रोटी पक गई है। मडुवे की गरमा-गरम रोटी को घी के साथ खाने में मजा ही कुछ और है। मडुवे की रोटी को पालक के कापा, पालक का साग, और सरसो के साग के साथ खाने में स्वाद में चार चाँद लग जाते हैं। मडुवे के आटे को गेहूँ के आटे के अंदर भर कर भरवा रोटी (मिश्रित रोटी अथवा लेसु रोटी) भी बनाई जाती है।

मंडुवा को पहले गरीब का भोजन कहा जाता था, किंतु जब से इसके पौष्टिक घटकों का पता चला है, यह सभी के भोजन का अंग बनता जा रहा है। इसके व्यंजन बहुत रुचिकर और स्वादिष्ट होते हैं। आयुर्वेद में भी इसका उल्लेख मिलता है।



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