पहाड़ी गाँव: प्रकृति की गोद में
प्रकृति का आवरण ओढ़े
पहाड़ी गाँव, प्रकृति का एक अनुपम आवरण ओढ़े हुए है। यहाँ सर्वत्र हरियाली ही हरियाली फैली हुई है। यह गाँव प्रदूषण से कोसों दूर है, और इसके कृषक इसे अपने माली की तरह संजोते हैं। यहाँ की हरियाली हमारे मन को शांति और सुकून देती है।
पक्षियों की चहचहाहट
गाँव में पक्षियों के विचरते झुण्ड हमें एक नया जीवन देते हैं। धारे का पवित्र पानी और वृक्षों पर बैठकर निकलती उनकी सुरीली वाणी, मन को भाने लगती है। ये छोटी-छोटी खुशियाँ हमें प्राकृतिक जीवन के करीब लाती हैं।
घुगती की गूंज
घुगती, जो घने वृक्ष के बीच बैठकर दिनभर घुर घुराती है, गाँव की पहचान बन चुकी है। नई नवविवाहिता जब काम करती है, तो उसे अपने मायके की याद आती है। यह उसकी जीवन की यात्रा का हिस्सा है, जो उसे अपने अतीत की याद दिलाती है।
खेतों की संरचना
गाँव के सीढ़ीनुमा घुमावदार खेत अद्वितीय होते हैं। भीमळ और खड़ीक की डाळी, सरसों के पीले फूल, और गेहूं व जौ की हरियाली इन खेतों को खास बनाते हैं। ये खेत न केवल खाद्य पदार्थों का स्रोत हैं, बल्कि हमारे जीवन के लिए प्रेरणा भी देते हैं।
पहाड़ की पठाल और संस्कृति
पहाड़ की पठाल से ढके घर, पुरानी तिबारी और डिण्डाळि गाँव की संस्कृति का हिस्सा हैं। चौक में गोरु बाछरु की हल चलना और कहीं सुरक का भागना, गाँव की दिनचर्या का हिस्सा है। ये दृश्य हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और हमें इस जीवन की सच्चाई का एहसास कराते हैं।
आधुनिकता और प्रवास
आज, हम पहाड़ी गाँवों को देखने नहीं जा पाते, लेकिन हमारे मन में उनकी कल्पना जीवित रहती है। प्रवास में, अपने प्यारे पहाड़ी गाँव की याद हमें प्रेरित करती है। यह यादें हमें अपने संस्कारों और परंपराओं से जोड़ती हैं।
निष्कर्ष
पहाड़ी गाँव केवल एक स्थान नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ की संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक सौंदर्य हमें अपने जीवन के मूल्य समझाते हैं। हमें इन गाँवों की सुरक्षा और संरक्षण का प्रयास करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इसका अनुभव हो सके।
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