पहाड़ों की मुस्कुराहट: बुरांश के रंग और काफल के स्वाद जैसी - The smile of the mountains: the color of rhododendron and the taste of kafal
पहाड़ों की मुस्कुराहट: बुरांश के रंग और काफल के स्वाद जैसी
उत्तराखंड के पहाड़ी जीवन की सरलता और सौम्यता उसके प्राकृतिक परिवेश में घुली-मिली है। यहाँ की वादियों में खिलती मुस्कुराहटें किसी फूल की महक, किसी फल का स्वाद, और किसी बुग्याल की हरियाली जैसी हैं। यह ब्लॉग एक विशेष कविता के माध्यम से पहाड़ों की मुस्कुराहटों का वर्णन करता है, जो बुरांश के फूलों की लालिमा और काफल के मीठेपन से भरी हैं। ये मुस्कुराहटें, जो कठिनाइयों के बावजूद कभी नहीं मिटतीं, पहाड़ी जीवन की अदम्य शक्ति और सौंदर्य को दर्शाती हैं।
कविता: बुरांश के रंग में रंगी ये मुस्कुराहटें
ना मिटी, ना मिटे कभी पहाड़ों सी ये मुस्कुराहटें।
मुस्कुराहटों में छिपा पहाड़ी जीवन का सार
इस कविता में बुरांश के फूलों की लालिमा, काफल के मीठेपन, और बुग्यालों की हरियाली के साथ-साथ हिसालू और बेडू जैसे पहाड़ी फलों का जिक्र किया गया है। ये सभी प्रतीक हैं पहाड़ों की उस जीवनशैली के, जो कठिनाईयों के बावजूद मुस्कुराने का साहस रखती है।
उत्तराखंड के पहाड़ी जीवन की इन मुस्कुराहटों को नौलों और पन्यारों से जोड़ा गया है, जहाँ पानी का ठंडा झरना जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक है। वहीं, गर्मियों की "जुन्याली" रात और सर्दियों की गुनगुनी धूप, जीवन में ठहराव और सुकून की तरह हैं। पहाड़ों की ऊंचाइयों और ठंडियों के बीच ये मुस्कुराहटें किसी मखमली पराली की तरह सहज और स्वाभाविक हैं, जिन्हें कोई कठिनाई या बाधा कभी मिटा नहीं सकती।
पहाड़ों की मुस्कान का संदेश
इस कविता में सिर्फ मुस्कुराहटों की बात नहीं हो रही, बल्कि यह पहाड़ी लोगों की जिजीविषा, उनकी अडिगता, और उनकी जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की झलक देती है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी यहाँ के लोग, ठीक बुरांश के फूलों की तरह, हर मौसम में खिलते रहते हैं।
जिन नौलों और पन्यारों से पानी की धारा बहती है, उसी तरह यहाँ के लोग भी अपनी मुस्कान से जीवन को सींचते हैं। ये मुस्कुराहटें पहाड़ों जितनी स्थिर और अडिग हैं, जो न तो समय के साथ मिटती हैं, न ही किसी परिस्थिति से दबती हैं।
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