सिसुंण की सब्जी और मंडुवे की रोटी: जाड़ों में औषधि का काम - Sisun curry and Manduve roti: Medicine work in winter

सिसुंण की सब्जी और मंडुवे की रोटी: जाड़ों में औषधि का काम

Sisun curry and Manduve roti: Medicine work in winter

देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में परंपरागत रूप से कई प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का उपयोग औषधीय गुणों के कारण किया जाता रहा है। उनमें से एक है सिसुंण (जिसे बिच्छू घास के नाम से भी जाना जाता है) और मंडुवा (रागी)। पुराने समय में इनका सेवन केवल भोजन के रूप में ही नहीं, बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता था। विशेष रूप से सर्दियों में, सिसुंण की सब्जी और मंडुवे की रोटी को बेहद पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। आइए जानते हैं इनके फायदे और इन्हें खाने के पीछे का विज्ञान।

सिसुंण (बिच्छू घास): जाड़ों में औषधि की तरह

सिसुंण, जिसे कुछ जगहों पर बिच्छू घास के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक बेहद खास पौधा है। इसके औषधीय गुण प्राचीन समय से जाने जाते रहे हैं। सर्दियों में इसका सेवन विशेष रूप से किया जाता है, क्योंकि इसमें शरीर को गर्म रखने और बीमारियों से बचाने की अद्भुत क्षमता होती है।

सिसुंण के औषधीय गुण:

Sisun curry and Manduve roti: Medicine work in winter
  1. आयरन की प्रचुर मात्रा:
    सिसुंण में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जो खून की कमी को दूर करने में सहायक है। इसका सेवन एनीमिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए फायदेमंद है।

  2. फोरमिक एसिड और विटामिन ए:
    सिसुंण में फोरमिक एसिड, एसिटिल कोलाइट और विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और सर्दियों में होने वाले सामान्य रोगों जैसे खांसी-जुकाम से लड़ने में मदद करते हैं।

  3. पाचन और उदर रोगों में फायदेमंद:
    सिसुंण का सेवन पाचन को सुधारने में मदद करता है। इसके औषधीय गुण पीलिया, पांडू, और उदर रोगों से राहत दिलाने में सहायक होते हैं।

  4. किडनी और मोटापा:
    किडनी संबंधी समस्याओं के उपचार में भी सिसुंण का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह वजन घटाने और मोटापा कम करने में भी सहायक है। सर्दियों में इसका सेवन शरीर में जमी हुई चर्बी को कम करने में मदद करता है।

  5. लंबी उम्र का राज:
    पुराने समय में पहाड़ के लोग लंबे समय तक स्वस्थ रहते थे और इसका एक कारण सिसुंण जैसे प्राकृतिक और औषधीय खाद्य पदार्थों का सेवन था। यह उन्हें बीमारियों से बचाए रखता था और शरीर को अंदर से मजबूत बनाता था।

मंडुवे की रोटी: पोषक तत्वों का खजाना

मंडुवा, जिसे रागी या क्वादु के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड का एक प्रमुख पारंपरिक अनाज है। यह साधारण अनाज होने के बावजूद, अपनी पौष्टिकता के कारण अब विश्वभर में प्रसिद्ध हो चुका है। पहले इसे गरीबों का खाना माना जाता था, लेकिन आज यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों का चहेता बन गया है।

मंडुवे के स्वास्थ्य लाभ:

  1. पोषण से भरपूर:
    मंडुवा में कैल्शियम, फाइबर, आयरन और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। यह शरीर को मजबूती देने और हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

  2. वजन घटाने में सहायक:
    मंडुवा फाइबर से भरपूर होता है, जिससे यह लंबे समय तक पेट को भरा रखता है और भूख को नियंत्रित करता है। इसलिए, यह वजन घटाने में भी सहायक होता है।

  3. डायबिटीज के लिए फायदेमंद:
    मंडुवा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह डायबिटीज रोगियों के लिए भी उपयुक्त होता है। यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

  4. लाभकारी रेसिपीज:
    आजकल मंडुवे के आटे से रोटियाँ, बिस्कुट, और अन्य तरह के स्नैक्स बनाए जा रहे हैं। विदेशों में भी भारतीय स्टोरों में मंडुवे का आटा और साबुत दाने आसानी से मिल जाते हैं, जिससे इसकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सिसुंण की सब्जी और मंडुवे की रोटी: सर्दियों का संपूर्ण भोजन

सिसुंण की सब्जी और मंडुवे की रोटी सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्म रखने और आवश्यक पोषण प्रदान करने के लिए उत्तम भोजन है। सिसुंण में मौजूद औषधीय गुण और मंडुवे की पौष्टिकता इस भोजन को संपूर्ण आहार बनाते हैं, जो जाड़ों में न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है।

निष्कर्ष

देवभूमि उत्तराखंड की यह पारंपरिक खान-पान विधि आज भी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। सिसुंण की सब्जी और मंडुवे की रोटी जैसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर आप सर्दियों में रोगों से दूर रह सकते हैं और शरीर को ताकत प्रदान कर सकते हैं। यह समय है कि हम इन पारंपरिक खाद्य पदार्थों की महत्ता को समझें और इन्हें अपने दैनिक जीवन में शामिल करें।

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