सुरकंडा देवी मंदिर: इतिहास, यात्रा मार्ग, और विशेष जानकारी - Surkanda Devi Temple: History, Travel Routes, and Special Information
सुरकंडा देवी मंदिर: इतिहास, यात्रा मार्ग, और विशेष जानकारी
सुरकंडा देवी मंदिर कहां स्थित है?
सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के जौनपुर प्रखंड में सुरकुट पर्वत पर स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर चंबा-मसूरी सड़क पर कद्दूखाल कस्बे से लगभग 2.5 किमी की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान देहरादून से 66 किमी., मसूरी से 40 किमी. और धनोल्टी से करीब 8 किमी. की दूरी पर है। सुरकंडा देवी मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है।
सुरकंडा देवी मंदिर का इतिहास
सुरकंडा देवी मंदिर की पौराणिक कथा बहुत ही प्रसिद्ध और प्रेरणादायक है। माना जाता है कि यह मंदिर देवी सती के शक्तिपीठों में से एक है। कथा के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव और देवी सती को आमंत्रित नहीं किया। देवी सती अपने पिता के इस अपमान को सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। भगवान शिव को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो वे अत्यंत क्रोधित हुए और देवी सती के शरीर को लेकर तांडव करने लगे। इस स्थिति से संसार को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के 51 भागों में विभाजित कर दिया। जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। सुरकंडा देवी मंदिर वह स्थान है, जहां देवी सती का सिर गिरा था। इसलिए इस मंदिर का नाम "सुरकंडा देवी" रखा गया।
सुरकंडा देवी मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय
सुरकंडा देवी मंदिर वर्षभर भक्तों के लिए खुला रहता है। आप किसी भी समय इस मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, मई और जून का समय यात्रा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इस दौरान मंदिर में गंगा दशहरा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव में शामिल होकर आप धार्मिक अनुभव के साथ ही सांस्कृतिक महत्त्व को भी महसूस कर सकते हैं।
सुरकंडा देवी मंदिर कैसे जाएं?
सुरकंडा देवी मंदिर जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन, बस, टैक्सी, कार, या बाइक से यात्रा कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि यदि आप फ्लाइट, ट्रेन, या बस से यात्रा करते हैं, तो आपको किन-किन मार्गों से होकर जाना होगा।
हवाई जहाज से सुरकंडा देवी मंदिर कैसे जाएं?
सुरकंडा देवी मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून में स्थित है, जो मंदिर से लगभग 85 किमी. की दूरी पर है। जौलीग्रांट हवाई अड्डे से आप बस, टैक्सी, या अन्य स्थानीय साधनों से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। देहरादून से आपको मसूरी और धनोल्टी होते हुए कद्दूखाल पहुंचना होगा, जहां से मंदिर की चढ़ाई शुरू होती है।
ट्रेन से सुरकंडा देवी मंदिर कैसे जाएं?
देहरादून रेलवे स्टेशन मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो करीब 60-65 किमी. की दूरी पर स्थित है। देहरादून रेलवे स्टेशन से सुरकंडा देवी मंदिर तक बस या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है। आप आसानी से देहरादून से कद्दूखाल पहुंच सकते हैं और वहां से मंदिर की यात्रा कर सकते हैं।
बस से सुरकंडा देवी मंदिर कैसे जाएं?
यदि आप बस से यात्रा करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको देहरादून पहुंचना होगा। देहरादून से मसूरी, धनोल्टी होते हुए कद्दूखाल तक बस या टैक्सी ले सकते हैं। वहां से आपको पैदल मंदिर की चढ़ाई करनी होगी।
सुरकंडा देवी मंदिर की चढ़ाई कितनी है और उसे कैसे पूरा करें?
कद्दूखाल से सुरकंडा देवी मंदिर की चढ़ाई लगभग 2.5 किमी. है। यह चढ़ाई लगभग 90% खड़ी है, इसलिए इसे पैदल पूरा करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग सकता है। यह समय आपकी शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप चाहें, तो खच्चर की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे चढ़ाई को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
क्या सुरकंडा देवी मंदिर की चढ़ाई के लिए रोपवे की सुविधा है?
फिलहाल सुरकंडा देवी मंदिर की चढ़ाई के लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसका निर्माण कार्य चल रहा है और जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। अभी के लिए, आप खच्चर की मदद से या पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
निष्कर्ष
सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां की यात्रा आपको एक अद्भुत धार्मिक और प्राकृतिक अनुभव देगी। मंदिर की पौराणिक कथा, इतिहास, और सांस्कृतिक महत्त्व आपको इस स्थान से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं। यदि आप उत्तराखंड की आध्यात्मिक धरोहर से जुड़ना चाहते हैं, तो सुरकंडा देवी मंदिर की यात्रा अवश्य करें।
धन्यवाद!
यदि आपके कोई प्रश्न हों या आप उत्तराखंड के किसी अन्य पर्यटन स्थल के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1: सुरकंडा देवी मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल जनपद में जौनपुर प्रखंड के सुरकुट पर्वत पर स्थित है। यह कद्दूखाल कस्बे से 2.5 किमी की ऊंचाई पर है।
प्रश्न 2: सुरकंडा देवी मंदिर का इतिहास क्या है?
उत्तर: यह मंदिर देवी सती के शरीर के एक अंग गिरने के स्थान पर स्थापित है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती के पिता राजा दक्ष ने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था, जिसके कारण देवी सती ने यज्ञ अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। भगवान शिव के क्रोध में उनके शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया गया, जिनमें से एक टुकड़ा यहाँ गिरा, इसलिए इसे सुरकंडा देवी मंदिर कहा जाता है।
प्रश्न 3: सुरकंडा देवी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
उत्तर: सुरकंडा देवी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मई-जून का होता है, जब गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जाता है।
प्रश्न 4: सुरकंडा देवी मंदिर कैसे पहुंचें?
उत्तर: सुरकंडा देवी मंदिर पहुँचने के लिए आप हवाई जहाज, ट्रेन, बस, या अपनी गाड़ी से जा सकते हैं। नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट है, और निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून है।
प्रश्न 5: सुरकंडा देवी मंदिर की चढ़ाई कितनी कठिन है?
उत्तर: कद्दूखाल से सुरकंडा देवी मंदिर की चढ़ाई करीब 2.5 किमी है, जिसमें 90% खड़ी चढ़ाई है। इसे पूरा करने में 1 से 1.5 घंटे लग सकते हैं। खच्चर की सुविधा भी उपलब्ध है।
प्रश्न 6: क्या सुरकंडा देवी मंदिर की चढ़ाई के लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध है?
उत्तर: वर्तमान में रोपवे की सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसका निर्माण किया जा रहा है जो जल्द ही पूरा हो जाएगा।
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