अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा: गढ़वाल के महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक (Anusuyaprasad Bahuguna: Great freedom fighter and social reformer of Garhwal)

अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा: गढ़वाल के महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक

अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा का जन्म ननन्‍दप्रयाग के सेठ गोकुलानन्द बहुगुणा के घर हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ननन्‍दप्रयाग में ही हुई, और इसके बाद वे मिशन सकल चोपड़ा (पौड़ी) में अध्ययन हेतु गए। विद्यार्थी जीवन से ही वे समाजसेवा और नेतृत्व के गुणों में ढलने लगे थे। जब वे पौड़ी मिशन सकल के छात्र थे, तब उन्होंने वहाँ एक 'युवक संघ' स्थापित किया और इसके मंत्री के रूप में छात्रों में समाज सेवा की भावना पैदा की।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

सन्‌ 1910 में अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा ने हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और रामजें कॉलेज, अल्मोड़ा में प्रवेश लिया। 1912 में उन्होंने वहाँ से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर उच्च शिक्षा के लिए म्योर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद में दाखिला लिया। 1914 में बी.एससी. और 1916 में कानून की परीक्षा पास की। इसके बाद वे वकालत की शिक्षा प्राप्त कर अपने घर लौटे।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

बहुगुणा जी के पिता चाहते थे कि वे नौकरी करें, और उन्हें नायब तहसीलदार का पद मिल रहा था, लेकिन उन्होंने देश सेवा के लिए नौकरी न करने का दृढ़ संकल्प लिया और चमोली में वकालत शुरू कर दी। वे फौजदारी मामलों में इतने सफल हुए कि कुमाऊं का कमिश्नर भी उनके तर्कों से प्रभावित था।

वह ब्रिटिश गढ़वाल में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ जन जागृति फैलाना चाहते थे। इसी समय मक़न्दीलाल बैरिस्टर इंग्लैंड से शिक्षा प्राप्त कर गढ़वाल आए, और उनकी देशभक्ति की भावना से बहुगुणा जी प्रेरित हुए। सन्‌ 1916 में उन्होंने कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में भाग लिया और लौटने के बाद गढ़वाल में कांग्रेस कमेटी की स्थापना की।

कुप्रथाओं के खिलाफ आंदोलन

1921 में, बहुगुणा जी ने कुली उतार, कुली-बेगार और बर्दायश जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ जन-आंदोलन शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप, इन कुप्रथाओं का अंत हुआ और जंगलात कानून में कुछ सुधार किए गए। बहुगुणा जी ने श्रीनगर में गढ़वाल नवयुवक सम्मेलन की स्थापना की और इसके अध्यक्ष चुने गए।

सत्याग्रह और गिरफ्तारियां

1930 में गढ़वाल में तमक सत्याग्रह ने जोर पकड़ा और बहुगुणा जी ने इसके नेतृत्व में जनता को साथ लिया। चमोली में एक जनसभा के दौरान उनकी डिप्टी कमिश्नर इबटसन से झड़प हुई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बहुगुणा जी को जेल में चार माह की सजा दी गई, जहां उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

राजनैतिक जीवन

1931 में, जिला बोर्ड चुनाव में बहुगुणा जी को चेयरमैन चुना गया और उन्होंने सार्वजनिक निर्माण के कार्य करवाए। 1934 में लेडी विलिंगडन, वायसराय की पत्नी, गढ़वाल आईं और उन्होंने बहुगुणा जी के व्यक्तित्व की सराहना की। 1937 में, प्रांतीय विधानसभा के चुनाव में बहुगुणा जी को पौड़ी-चमोली तहसील से कांग्रेस के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया।

धर्म और समाज सेवा

बहुगुणा जी एक धार्मिक व्यक्ति भी थे और उन्होंने बद्रीनाथ मंदिर की कुव्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई। 1936 में उन्होंने प्रांतीय विधान सभा में श्री बद्रीनाथ मंदिर प्रबंधन कानून पास करवाया।

अंतिम संघर्ष और निधन

1940 में, बहुगुणा जी को व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें एक वर्ष की सजा हुई। 1941 में उनकी पत्नी का निधन हो गया और सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया। इसके बावजूद, उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई, और वे 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं ले सके। अंततः, 11 मार्च 1943 को उनका निधन हो गया।

निष्कर्ष

अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा एक निस्स्वार्थ, निर्भीक और प्रभावशाली नेता थे, जिन्होंने गढ़वाल जैसे पिछड़े क्षेत्र में जन जागृति पैदा की और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वे केवल एक राजनैतिक नेता ही नहीं, बल्कि एक समाजसेवी और धार्मिक व्यक्ति भी थे। उनका योगदान आज भी गढ़वाल और उत्तराखंड के इतिहास में अमिट है।

अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा: गढ़वाल के महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक

नीचे अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं:


प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर: उनका जन्म ननंदप्रयाग के सेठ गोकुलानंद बहुगुणा के घर हुआ था।

प्रश्न 2: अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कहां प्राप्त की?
उत्तर: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ननंदप्रयाग और मिशन सकल चोपड़ा (पौड़ी) में प्राप्त की।

प्रश्न 3: अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा ने उच्च शिक्षा कहां से प्राप्त की?
उत्तर: उन्होंने रामजे कॉलेज, अल्मोड़ा से इंटरमीडिएट किया और म्योर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद से बी.एससी. और कानून की पढ़ाई पूरी की।

प्रश्न 4: स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उन्होंने नौकरी क्यों नहीं की?
उत्तर: वे देश सेवा के लिए समर्पित थे और उन्होंने नायब तहसीलदार का पद ठुकराकर वकालत और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया।

प्रश्न 5: अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा ने कुली-बेगार प्रथा के खिलाफ कब आंदोलन शुरू किया?
उत्तर: 1921 में उन्होंने कुली उतार, कुली-बेगार और बर्दायश जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ जन-आंदोलन शुरू किया।

प्रश्न 6: गढ़वाल में कांग्रेस कमेटी की स्थापना कब हुई, और किसने इसे स्थापित किया?
उत्तर: गढ़वाल में कांग्रेस कमेटी की स्थापना 1916 में अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा ने की।

प्रश्न 7: तमक सत्याग्रह के दौरान बहुगुणा जी को कब गिरफ्तार किया गया?
उत्तर: 1930 में चमोली में एक जनसभा के दौरान डिप्टी कमिश्नर इबटसन से झड़प के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।

प्रश्न 8: बहुगुणा जी ने बद्रीनाथ मंदिर की कुव्यवस्था के खिलाफ क्या कदम उठाए?
उत्तर: उन्होंने 1936 में प्रांतीय विधान सभा में श्री बद्रीनाथ मंदिर प्रबंधन कानून पास करवाया।

प्रश्न 9: अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा का निधन कब हुआ?
उत्तर: उनका निधन 11 मार्च 1943 को हुआ।

प्रश्न 10: अनुसुयाप्रसाद बहुगुणा के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: उनका जीवन त्याग, साहस, और निस्वार्थ समाज सेवा का प्रतीक है। उन्होंने गढ़वाल के पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया।


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Poem:
जो समाज का दीप जलाए, जो सत्य के पथ पर चले।
अनुसुया के कदमों ने, हर अन्याय को कुचला।
गढ़वाल का वह सपूत, हर दिल का आदर्श।
स्वतंत्रता की राह का, अटल और सच्चा पर्व।

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