पहाड़ की बेटियाँ: संघर्ष, साहस और प्रेरणा की प्रतीक (Daughters of the Mountain: Symbols of Struggle, Courage and Inspiration)
पहाड़ की बेटियाँ: संघर्ष, साहस और प्रेरणा की प्रतीक
पहाड़ की बेटियाँ
मेहनती, साहसी, जुझारू,
हर चुनौती से टकराने वाली,
पहाड़ की बेटियाँ,
अपने हौसले से लिखती हैं,
इतिहास के अमिट पन्ने।
वीरता की मिसालें
तीलू रौतेली और मालू रौतेली,
जिनके शौर्य की कहानियां,
पहाड़ की वादियों में गूंजती हैं।
रानी कर्णावती, जिसने औरंगजेब की सेना को,
गढ़वाल से खदेड़कर,
अपनी वीरता का परचम लहराया।
समर्पण और बलिदान
गोरखा आक्रमण में,
"कोलिण जगदेई" ने,
अपने प्राणों की आहुति देकर,
सैकड़ों जीवन बचाए।
आज भी लोकदेवी बनकर,
पूजी जाती हैं उनकी वीरता।
आज़ादी की लड़ाई में योगदान
बिशनी देवी शाह,
उत्तराखंड की पहली महिला,
जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में,
जेल जाने का साहसिक गौरव पाया।
शराब विरोध आंदोलन की मशाल,
टिंचरी माई ने जलाई,
और पहाड़ के घर-घर में,
नशा मुक्ति का संदेश फैलाया।
पर्यावरण की प्रहरी
"चिपको आंदोलन" की सूत्रधार,
रैणी गांव की गौरा देवी,
जिन्होंने पहाड़ों के जंगल बचाए,
और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनीं।
ऊंचाई पर विजय
बछेंद्री पाल,
एवरेस्ट की चोटी पर कदम रखकर,
दिखाया कि पहाड़ की बेटियाँ,
हर ऊंचाई को छू सकती हैं।
आंदोलन और बलिदान
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में,
बेलमती चौहान और हंसा धनाई,
शहीद होकर अमर हो गईं।
इनकी बहादुरी और बलिदान,
हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
पहाड़ की बेटियाँ: प्रेरणा का स्रोत
इन्हें "पहाड़ की बेटियाँ" कहो,
या "पर्वतीय नारी",
हर रूप में ये पूजनीय हैं।
माँ, बहन, बेटी के रूप में,
ये हमारे समाज की रीढ़ हैं।
कविता का संदेश
यह कविता केवल शब्दों का संग्रह नहीं,
यह उन वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि है,
जिन्होंने अपने साहस और योगदान से,
उत्तराखंड को गौरवान्वित किया।
आज भी, हर बेटी में वही जज्बा,
और वही ताकत दिखती है।
आइए, हम सब मिलकर,
पहाड़ की बेटियों के योगदान को सलाम करें।
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