गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य: एक सम्पूर्ण गाइड (Govind Pashu Vihar National Park and Wildlife Sanctuary: A Complete Guide)
गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य: एक सम्पूर्ण गाइड
परिचय
गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सुपिन रेंज में स्थित एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान है। इस उद्यान को शुरुआत में 1955 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और बाद में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान में परिवर्तित कर दिया गया। इसका नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय गृह मंत्री रहे और जिन्होंने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्थापना और क्षेत्रफल
यह उद्यान 1 मार्च 1955 को स्थापित किया गया था और यह गढ़वाल हिमालय की ऊंची चोटियों पर स्थित है। उद्यान का कुल क्षेत्रफल 958 वर्ग किमी (370 वर्ग मील) है। गोविंद राष्ट्रीय उद्यान हिम तेंदुआ परियोजना का मुख्य केंद्र है, जो इस क्षेत्र में हिम तेंदुए की सुरक्षा के लिए कार्य करता है। इसके अलावा, यह क्षेत्र हिमालय में दाढ़ी वाले गिद्ध जैसे लुप्तप्राय प्रजातियों का भी घर है, जो एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक उत्प्रेरक है।
पार्क का प्रबंधन और संरचना
यह उद्यान समुद्र तल से 1,400 मीटर (4,593 फीट) से लेकर 6,323 मीटर (20,745 फीट) तक की ऊंचाई पर फैला हुआ है। उद्यान के भीतर हर की दून घाटी है, जो ट्रैकिंग के शौकियों के लिए एक प्रसिद्ध स्थल है। इसके अलावा, रुइनसियारा झील भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। हर-की-दून वन विश्राम गृह जंगली फूलों की घाटी के बीच स्थित है और यहां से पर्यटक अपनी यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
निकटतम शहर और यातायात
इस उद्यान से सबसे नजदीकी शहर धारकरी है, जो पार्क से 17 किमी (11 मील) दूर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन देहरादून में स्थित हैं, जो पार्क से लगभग 190 किमी (120 मील) की दूरी पर हैं।
फ्लोरा और फाuna
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में पश्चिमी हिमालय के चौड़े पत्ते वाले जंगल और शंकुधारी पेड़ों का मिश्रण पाया जाता है। निचली ऊंचाई पर चीड़, देवदार, ओक और अन्य पर्णपाती प्रजातियाँ हैं, जबकि 2,600 मीटर (8,500 फीट) से अधिक ऊंचाई पर नीले पाइन, सिल्वर फीर, स्प्रूस और अन्य शंकुधारी पेड़ों के साथ-साथ पर्णपाती प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
यह क्षेत्र विभिन्न बड़े स्तनधारियों और पक्षियों का घर है, जिनमें एशियाई काला भालू, भूरा भालू, सामान्य तेंदुआ, कस्तूरी मृग, हिमालयन तहर और सीरो शामिल हैं। यहां कई लुप्तप्राय पक्षियों की प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जैसे गोल्डन ईगल, स्टेपी ईगल, ब्लैक ईगल और दाढ़ी वाले गिद्ध।
हिम तेंदुआ परियोजना
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई हिम तेंदुआ परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य हिम तेंदुए की सुरक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देना है, क्योंकि यह प्रजाति अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण संकट में है।
इस अभयारण्य में अन्य छोटे स्तनधारी, जैसे भारतीय कलगीदार साही, यूरोपीय ऊदबिलाव, गोरल, सिवेट, और हिमालयन फील्ड चूहा भी पाए जाते हैं।
पार्क का पारिस्थितिकीय महत्व
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान पारिस्थितिकीय दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह स्थान न केवल हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है, बल्कि यह लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा और संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाता है। यहां की जैव विविधता इस क्षेत्र की पारिस्थितिकीय स्थिरता और संरक्षण के लिए आवश्यक है।
पर्यटन और इको-टूरिज्म
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग और वन्यजीवों को देखने के कई अवसर उपलब्ध हैं। उद्यान के भीतर नैटवाड़, तालुका और ओसला जैसे वन विश्राम गृह हैं, जो ट्रैकिंग और घूमने के लिए लोकप्रिय स्थान हैं। इको-टूरिज्म के माध्यम से अब पर्यटक यहां के प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों का आनंद लेने के लिए आते हैं।
उपसंहार
गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य एक अद्भुत प्राकृतिक स्थल है, जो न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह जैव विविधता और पारिस्थितिकीय संरक्षण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ के अद्भुत वनस्पति और वन्यजीवों के साथ-साथ हिम तेंदुआ और दाढ़ी वाले गिद्ध जैसे संकटग्रस्त प्रजातियाँ इस क्षेत्र को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो यह जगह आपके लिए एक आदर्श यात्रा स्थल हो सकती है।
गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य Frequently Asked Questions (FAQ)
1. गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान कहां स्थित है?
- उत्तर: यह राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
2. गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल कितना है?
- उत्तर: इसका कुल क्षेत्रफल 958 किमी² (370 वर्ग मील) है।
3. गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कब हुई थी?
- उत्तर: इसे 1 मार्च 1955 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रीय उद्यान में परिवर्तित कर दिया गया।
4. इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम किसके नाम पर रखा गया है?
- उत्तर: इस पार्क का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है।
5. यह राष्ट्रीय उद्यान किस ऊंचाई पर स्थित है?
- उत्तर: इस राष्ट्रीय उद्यान की ऊंचाई समुद्र तल से 1,400 मीटर (4,593 फीट) से लेकर 6,323 मीटर (20,745 फीट) तक है।
6. गोविंद पशु विहार में किस प्रकार की वन्यजीव प्रजातियाँ पाई जाती हैं?
- उत्तर: यहाँ हिम तेंदुआ, एशियाई काला भालू, भूरा भालू, सामान्य तेंदुआ, हिमालयन तहर और सीरो जैसी बड़ी स्तनपायी प्रजातियाँ और गोल्डन ईगल, दाढ़ी वाले गिद्ध, हिमालयन मोनाल तीतर जैसी पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
7. यह राष्ट्रीय उद्यान किसके लिए प्रसिद्ध है?
- उत्तर: यह पार्क हिम तेंदुआ परियोजना के लिए प्रसिद्ध है, जो हिम तेंदुए की सुरक्षा के लिए विशेष संरक्षण उपाय प्रदान करता है।
8. इस पार्क में ट्रैकिंग और पर्यटन के लिए कौन सी प्रमुख स्थल हैं?
- उत्तर: यहाँ हर की दून घाटी, रुइनसियारा झील और हर-की-दून वन विश्राम गृह जैसे प्रमुख ट्रैकिंग और पर्यटन स्थल हैं।
9. इस पार्क तक कैसे पहुंच सकते हैं?
- उत्तर: इस पार्क के निकटतम शहर धारकरी है, जो 17 किमी दूर है। निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन देहरादून में स्थित हैं, जो 190 किमी की दूरी पर हैं।
10. गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान की फ्लोरा के बारे में कुछ जानकारी दें।
- उत्तर: यहाँ पश्चिमी हिमालय के चौड़े पत्ते वाले जंगल, नीले पाइन, सिल्वर फ़िर, स्प्रूस, और रोडोडेंड्रोन जैसी शंकुधारी और पर्णपाती प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
11. इस उद्यान का पारिस्थितिकीय महत्व क्या है?
- उत्तर: यह उद्यान दाढ़ी वाले गिद्ध और हिम तेंदुआ जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण है और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा है।
12. इस पार्क में पर्यटन के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
- उत्तर: पर्यटकों को वन्यजीवों के साथ सुरक्षित दूरी बनाए रखने, पार्क में बनाए गए नियमों का पालन करने और स्थायी पर्यावरणीय प्रभाव से बचने के लिए इको-फ्रेंडली पर्यटन का पालन करने की सलाह दी जाती है।
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