25 अगस्त 1942: सालम क्रांति और वीर शहीदों की अमर गाथा
भारत छोड़ो आंदोलन और सालम की क्रांति
महात्मा गांधी द्वारा 9 अगस्त 1942 को "अंग्रेजों भारत छोड़ो" आंदोलन की शुरुआत हुई। इसके कुछ ही दिनों बाद सालम क्षेत्र में भी आजादी के दीवाने क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ बिगुल फूंक दिया।
- 9 अगस्त की घटना:सालम के क्रांतिकारी नौगांव (बिरखम) में एकत्र होकर रणनीति बना रहे थे, जब अंग्रेजी सिपाहियों ने अचानक हमला कर दिया। इस दौरान शेर सिंह घायल हो गए। इस घटना से क्षेत्र में आक्रोश की लहर दौड़ गई, और जैंती के डाकखाने को जला दिया गया।
25 अगस्त 1942: सालम क्रांति का निर्णायक दिन
धामद्यो में निहत्थे क्रांतिकारी भारत माता की जय के नारे लगाते हुए अंग्रेजों का सामना कर रहे थे।
- वीर नर सिंह धानक का अदम्य साहस:उन्होंने अंग्रेजी कमांडर पर पत्थरों से हमला किया। बौखलाए अंग्रेज सिपाहियों ने उन पर गोलियां बरसा दीं। नर सिंह धानक ने मौके पर ही प्राण त्याग दिए।
- टीका सिंह कन्याल का बलिदान:उन्हें भी गोली लगने से गंभीर चोटें आईं, और इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
सालम क्रांति के परिणाम
इस संघर्ष ने पूरे क्षेत्र में आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा दी। सालम के गांवों में क्रांतिकारी गतिविधियां तेज हो गईं। क्षेत्र की जनता ने हिम्मत नहीं हारी और अंग्रेजी शासन के खिलाफ डटी रही।
शहीदों के गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित
चौकुना, कांडे, दाड़िमी जैसे शहीदों के गांव आज भी सड़क, पानी, और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। हर साल शहीद दिवस पर घोषणाएं होती हैं, लेकिन धरातल पर इन वीरों के गांव अब भी विकास से दूर हैं।
FQCs: 25 अगस्त 1942: सालम क्रांति और वीर शहीदों की अमर गाथा
परिचय
- घटना: 25 अगस्त 1942, सालम क्षेत्र (अल्मोड़ा, उत्तराखंड)।
- प्रमुख शहीद: नर सिंह धानक और टीका सिंह कन्याल।
- संदर्भ: भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सालम क्षेत्र के क्रांतिकारियों का अदम्य संघर्ष।
भारत छोड़ो आंदोलन और सालम की क्रांति
- 9 अगस्त 1942: महात्मा गांधी ने "अंग्रेजों भारत छोड़ो" आंदोलन की शुरुआत की।
- सालम क्षेत्र की प्रतिक्रिया:
- नौगांव (बिरखम) में क्रांतिकारी एकत्रित हुए।
- अंग्रेज सिपाहियों के हमले में शेर सिंह घायल।
- आक्रोशित क्रांतिकारियों ने जैंती डाकघर को आग के हवाले किया।
25 अगस्त 1942: सालम क्रांति का निर्णायक दिन
निहत्थे क्रांतिकारियों का संघर्ष:
- धामद्यो में निहत्थे क्रांतिकारी भारत माता की जय के नारों के साथ अंग्रेजी सेना का सामना कर रहे थे।
नर सिंह धानक का बलिदान:
- पत्थरों से अंग्रेजी कमांडर पर हमला किया।
- गोलियों की बौछार से वीरगति को प्राप्त हुए।
टीका सिंह कन्याल का त्याग:
- गंभीर रूप से घायल हुए।
- इलाज के दौरान प्राण त्याग दिए।
सालम क्रांति के परिणाम
- प्रभाव:
- क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा मिली।
- क्रांतिकारी गतिविधियां तेज हुईं।
- जनता ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखा।
- शहीदों के गांवों की स्थिति:
- चौकुना, कांडे, दाड़िमी जैसे शहीदों के गांव आज भी सड़क, पानी, और बुनियादी सुविधाओं से वंचित।
- हर साल घोषणाएं होती हैं, लेकिन विकास की गति धीमी है।
सालम क्रांति का संदेश
- देशप्रेम और संघर्ष का प्रतीक:
- नर सिंह धानक और टीका सिंह कन्याल का बलिदान यह सिखाता है कि देशप्रेम और त्याग से बड़ी कोई शक्ति नहीं।
- प्रेरणा:
- इन शहीदों का त्याग हमें स्वतंत्रता और न्याय के लिए लड़ने की प्रेरणा देता रहेगा।
समाप्ति
सालम क्रांति के वीर शहीदों की गाथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का स्वर्णिम अध्याय है। उनका बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि देश की स्वतंत्रता अमूल्य है और इसके लिए किए गए त्याग को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
जय हिंद!
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